अकबर किला और संग्रहालय संक्षिप्त जानकारी
स्थान | अजमेर, राजस्थान (भारत) |
निर्माण | 16वीं शताब्दी |
निर्माता | मुगल बादशाह अकबर |
प्रकार | किला |
अकबर किला और संग्रहालय का संक्षिप्त विवरण
भारत विश्व का 7वां सबसे बड़ा देश है। भारत अपनी भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृति और वास्तुकलाओं के कारण पूरी दुनिया में विख्यात है। प्राचीनकाल में भारत काफी समृद्ध था इसलिए इसे सोने की चिड़िया भी कहा जाता था। प्राचीन भारतीय इतिहास में बहुत से शासकों ने यहाँ पर राज किया और अपने शासनकाल के दौरान बहुत सी इमारतों का निर्माण भी करवाया था।
मुगल बादशाह अकबर ने अजमेर में ऐसे ही एक किले का निर्माण कराया था, जिसे अकबर का किला कहा जाता है जोकि वर्तमान समय में एक 'राजकीय संग्रहालय' भी है। यह किला राजस्थान के मजबूत किलों में से एक है। कुछ समय पहले राजस्थान सरकार द्वारा अजमेर स्थित अकबर के किले का नाम बदलकर अजमेर का किला एवं संग्रहालय रख दिया गया है, जो अपनी अद्भुत स्थापत्य शैली के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
अकबर किला और संग्रहालय का इतिहास
भारतीय राज्य राजस्थान के अजमेर में स्थित इस ऐतिहासिक किले का निर्माण मुगल बादशाह अकबर द्वारा 16 शताब्दी में करवाया गया था। मुग़ल बादशाह जहांगीर ने अपने शासनकाल के समय 1613 से 1616 तक इस किले से सैन्य अभियानों का संचालन किया था। इस किले का प्रयोग मुगल सम्राट जहाँगीर और मुगल दरबार के अंग्रेज राजदूत सर थॉमस रो की बैठक की जगह के रूप में किया गया था। यह महल सम्राट एवं उनके सैनिकों के लिए ठहरने के लिये प्रयुक्त होता था, जब वे अजमेर में होते थे।
अकबर किला और संग्रहालय के रोचक तथ्य
- अकबर की राजधानी आगरा होने के बाबजूद भी उन्होंने अपने ठहरने के लिये 1570 ई. मे अजमेर के नए बाजार में एक क़िले का निर्माण करवाया, जो अकबर के क़िले के नाम से जाना जाता है।
- इस ऐतिहासिक किले में चार बड़े बुर्ज और कई विशाल दरवाजे लगे हुए हैं।
- किले की पश्चिम दिशा में एक सुंदर दरवाजा लगा हुआ है तथा दुर्ग परिसर के ठीक मध्य में मुख्य भवन बना हुआ है। दुर्ग का दरवाजा 84 फुट ऊँचा तथा 43 फुट चौड़ा है।
- ऐसा कहा जाता है कि मुग़ल बादशाह अकबर हर साल ख्वाजा साहब के दर्शन करने और राजपूताना के युद्धों में भाग लेने के लिए यहाँ आया करता था।
- राजस्थान में स्थित इस किले को “अकबर का दौलतखाना”, ‘मैग्जीन किला" और "अजमेर का किला" के नाम से भी जाना जाता है।
- अकबर द्वारा इस किले का निर्माण हिन्दू-मुस्लिम पद्धति में करवाया गया था।
- इसी किले के अन्दर ही साल 1576 में महाराणा प्रताप के विरुद्ध हल्दीघाटी युद्ध की योजना को अन्तिम रूप दिया गया था।
- 18 नवम्बर 1613 को जब मुग़ल सम्राट जहाँगीर उदयपुर के महाराणा अमर सिंह को हराकर मेवाड़ को अधीनता में लाने के लिए अजमेर आया था, तो वह 3 साल तक इसी किले में ठहरा था।
- किले के मुख्य द्वार को “जहाँगीरी दरवाजा” भी कहा जाता हैं, क्योकि शहंशाह जहांगीर रोजाना इस दरवाजे पर स्थित झरोखे में बैठकर जनता को दर्शन देते थे तथा न्याय करता थे।
- ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम के राजदूत सर टॉमस रो ने 10 जनवरी, 1616 को मुग़ल बादशाह जहाँगीर से मुलाकात की तथा ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए भारत में व्यापार करने की अनुमति प्राप्त की थी। इसके बाद अंग्रेजों ने भारत के अलग-अलग हिस्सों पर कब्जा करना शुरु दिया, इसलिए कह सकते है कि अकबर किले से ही देश की गुलामी की दास्तान शुरु हुई थी।
- इस क़िले पर साल 1818 में अंग्रेज़ों ने अधिकार कर लिया था। उन्होंने इस किले का उपयोग राजपूताना शस्त्रगार के तौर पर किया और वे इसे 'मैग्जीन' के नाम से पुकारते थे, इसलिए तब से ही इसे मैग्जीन किला भी कहा जाता हैं।
- भारत की आजादी के समय 15 अगस्त 1947 को अजमेर कांग्रेस के अध्यक्ष जीतमल लूणिया ने इस किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर, अंग्रेजों का राज्य समाप्त तथा अजमेर के स्वतंत्र होने की घोषणा की थी।
- 1902 ई. में लार्ड कर्जन ने अपनी अजमेर यात्रा के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तत्कालीन डायरेक्टर जनरल सर जॉन मार्शल को प्राचीन राजपूत स्मारकों तथा विभिन्न स्थलों पर बिखरी हुई कलात्मक पुरावस्तुओं को इकठ्ठा करने की राय दी। जिसके बाद कुछ राज्यों के राजाओं ने पुरा-सामग्री एकत्रित करने में अपना योगदान दिया था।
- भारत सरकार द्वारा 19 अक्टूबर 1908 को अजमेर के दौलतखाना (मैगजीन अथवा अकबर का किला) में 'दिल्ली-राजपूताना म्यूजियम' की स्थापना की गई। राजपूताना के तत्कालीन एजीजी कॉल्विन ने इस संग्रहालय का उद्घाटन किया। प्रख्यात इतिहासकार गौरीशंकर हीराचंद ओझा को इस संग्रहालय का प्रथम क्यूरेटर बनाया गया।
- इस संग्रहालय में छठी एवं 7वी शताब्दी के स्थापत्यकला के नमूने, कई हिन्दू मूर्तियां, सिक्के, पेटिंग्स, अस्त्र-शस्त्र, सरस्वती कण्ठाभरण मंदिर (ढाई दिन का झौंपड़ा) से प्राप्त विशाल सामग्री, नाटकों की चौकियां, शिलालेख आदि रखे हुए है। संग्रहालय में रखी मूर्तियों की अधिकतर बनावट राजपूत और मुगल शैली के मिश्रण को दर्शाती है। यह संग्रहालय भारत के समृद्ध संग्रहालयों में से एक है।
- इस किले में बहुत ही भव्य चित्रकला तथा पुरुष कक्षों की दीवारों पर पच्चीकारी का कार्य बड़ा कलापूर्ण ढंग से किया गया है।
- किले के भीतर माता काली की काले संगमरमर से बनी एक बड़ी प्रतिमा भी मौजूद है, जो यहाँ का सबसे प्रसिद्ध आकर्षण है।