बादामी गुफा मंदिर संक्षिप्त जानकारी
स्थान | बादामी, बागलकोट जिला, कर्नाटक (भारत) |
निर्माण | सातवीं शताब्दी |
निर्माता | पल्लव वंश के शासको द्वारा |
प्रकार | हिन्दू मंदिर |
मुख्य देवता | भगवान शिव |
बादामी गुफा मंदिर का संक्षिप्त विवरण
बादामी दक्षिणी भारतीय राज्य कर्नाटक के बागलकोट जिले का एक प्राचीन शहर है, जिसे प्राचीनकाल में वातापी के नाम से भी जाना जाता था। यहाँ स्थित बादामी गुफा समूह अपने पाषाण शिल्पकला के मंदिरों के लिए जाना जाता है।
यह शहर 6वीं से 8वीं शताब्दी तक चालुक्य राजवंश (सोलंकी/बघेल) की राजधानी रहा था। यहाँ चार गुफा मंदिर हैं जिनमें से 3 हिंदू मंदिर तथा एक जैन मंदिर है। ठोस चट्टानों को काटकर बनाए गए इस मंदिर की आंतरिक सज्जा विशिष्ट है, जिसे देखने के लिए हजारो की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते है।
बादामी गुफा मंदिर का इतिहास
बादामी नगर में स्थित इन चारों ऐतिहासिक गुफाओं का निर्माण छठी शताब्दी के बाद ही करवाया गया था। इस गुफा को भारत की सबसे पुरानी गुफाओं में से एक माना जाता है। वातापी (वर्तमान बादामी) दो से अधिक शताब्दियों तक चालुक्य शासको की राजधानी रही थी।
चालुक्य राजवंश ने 6वीं से 8वीं शताब्दी के मध्य आंध्रप्रदेश तथा कर्नाटक के अधिकाँश भाग पर राज किया था। पुलिकेसी द्वितीय के शासन काल के दौरान इस राजवंश ने नई ऊंचाईयों को छुआ था।
चालुक्यों के पतन के बाद दक्षिण भारत के इस शहर ने अपनी प्रसिद्धि को खो दिया था। लेकिन यहाँ स्िथत बादामी गुफा मंदिर अपनी सुंदर नक्काशियों के लिए आज भी विश्व विख्यात है।
बादामी गुफा मंदिर के रोचक तथ्य
- कर्नाटक के उत्तर-मध्य भाग में स्थित अपनी सुंदर गुफा मंदिरों के लिए प्रसिद्ध बादामी शहर अगत्स्य झील के पास सुन्दर घाटियों तथा सुनहरे बलुआ पत्थर की चट्टानों के मध्य स्थित है।
- इस गुफा के अन्दर 4 मंदिर बने हुए हैं, जिनमें से 3 मंदिर हिन्दू धर्म को समर्पित तथा एक मंदिर जैन धर्म को समर्पित है।
- इस मंदिर में भगवान शिव के अर्धनारीश्वर और हरिहर अवतार की प्रतिमा बनाई गई है।
- यहाँ मौजूद पहली गुफा में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर बना हुआ है। मदिर में 18 फुट ऊंची एक नटराज की मूर्ति स्थापित है जिसके 18 हाथ हैं, जो अनेक नृत्य मुद्राओं को दर्शाती है। इस गुफा में भगवान गणेश, महिषासुर मर्दनी, अर्ध नारीश्वर और शंकरनारायण की भी अद्भुत चित्रकारी की गई है।
- दूसरी गुफा भगवान विष्णु को समर्पित है। इस गुफा की पूर्वी तथा पश्चिमी दीवारों पर भूवराह (नरसिंह देव) और त्रिविक्रम (बामण अवतार) के बड़े चित्र लगे हुए हैं। गुफा की छत भगवान विष्णु के अलावा ब्रह्मा, शिव, अनंतहसहयाना और अष्टादिक्पलाकास आदि के चित्रों से सुशोभित है।
- तीसरी गुफा बादामी की प्राचीनकाल की गुफा मंदिरों की वास्तुकला और मूर्तिकला के भव्य रूप को दर्शाती है। यहाँ कई देवताओं की आकृति बनी हुई हैं तथा यहाँ पर ईसा पश्चात 578 शताब्दी के शिलालेख मिलते हैं।
- चौथी गुफा में एक जैन मंदिर है। यहाँ प्रमुख रूप से जैन मुनियों भगवान महावीर का बैठी अवस्था में एक चित्र बना हुआ है और इसके साथ ही तीर्थंकर पार्श्वनाथ की छवि भी मौजूद हैं। एक कन्नड़ शिलालेख के अनुसार यह मंदिर 12वीं शताब्दी का है।
- गुफा मंदिरों के अलावा उत्तरी पहाड़ी में तीन शिव मंदिर मौजूद हैं जिनमें मालेगट्टी शिवालय सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इसके अलावा अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में भूतनाथ मंदिर, मल्लिकार्जुन मंदिर और दत्तात्रय मंदिर आदि शामिल हैं।
- साल 2015 में यहाँ से केवल 500 मीटर (1600 फीट) की दूरी पर एक ओर गुफा की खोज की गई थी, उस गुफा में लगभग 27 हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तिया मिली थी।
- बादामी पर्वत के ऊपरी हिस्से पर बादामी किला स्थित है जिस पर शिव का प्राचीन मंदिर मलेगेती शिवालय है। किले में बना यह मंदिर पत्थरों से निर्मित है। साहसिक गतिविधियों को पसंद करने वाले पर्यटक यहाँ पर रॉक क्लायम्बिंग का आनंद उठा सकते हैं। बलुआ पत्थरों से घिरे होने के कारण बादामी पर्यटन के लिए एक आकर्षक स्थान है।
- बागलकोट जिले में स्थित इस गुफा तक पहुंचने के लिए हुबली और बेलगांव हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है। यहाँ का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन बगलकोट है। यहां से आप बस या टैक्सी की सहयता से आसानी से पहुँच सकते है।