भीमबेटका गुफाएं संक्षिप्त जानकारी
स्थान | रायसेन, मध्य प्रदेश (भारत) |
खोज | 1957 ई.-1958 ई. |
खोजकर्ता | विष्णु श्रीधर वाकणकर |
प्रकार | सांस्कृतिक |
भीमबेटका गुफाएं का संक्षिप्त विवरण
भारत की सबसे प्राचीन गुफाओं में से एक भीमबेटका गुफाएं एवं चट्टानों से बने आश्रय स्थल भारतीय राज्य मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित हैं। यह स्थान चारों तरफ से विंध्य पर्वत से घिरा हुआ हैं, जिनका संबंध 'नव पाषाण काल' से है। इसके दक्षिणी भाग में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ शुरू हो जाती हैं। ये गुफाएं एवं चट्टानों आदिमानवों द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इन गुफाओं के अंदर की गई उत्कृष्ट चित्रण व शिल्पकारी हमें भारत के सांस्कृतिक इतिहास से अवगत कराती हैं।
भीमबेटका गुफाएं का इतिहास
भारत के मशहूर पुरातत्व विशेषज्ञ डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर ने साल 1958 में नागपुर जाते समय भीमबेटका गुफाओं एवं चट्टानों की खोज की थी। उन्होंने यहाँ पर बिखरे पुरातात्विक खजाने को देखा कि इन गुफाओं में बने चित्र लगभग 40,000 वर्ष पुरानें हैं। भीमबेटका का अर्थ है– भीम के बैठने का स्थान। इन गुफाओं में मौजूद शैल चित्र ऑस्ट्रेलिया के कालाहारी रेगिस्तान में मौजूद काकादू नेशनल पार्क, जहां बुशमैन गुफाओं और फ्रांस की लासकॉउक्स गुफाओं में बने चित्रों जैसे प्रतीत होते है।
भीमबेटका गुफाएं के रोचक तथ्य
- भारतीय राज्य मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध भीमबेटका की गुफाएं भोपाल से मात्र 46 किलोमीटर की दूरी पर रायसेन जिले में स्थित हैं।
- हिन्दू धर्म ग्रंथ महाभारत के अनुसार भीमबेटका को भीम का निवास स्थान भी कहा जाता हैं। ऐसा माना जाता है कि भीमबेटका गुफ़ाओं का स्थान महाभारत के पात्र भीम से संबन्धित है और जिसके कारण इसका नाम भीमबेटका’ पड़ा था।
- यहाँ 600 से भी अधिक गुफाएं हैं, जिनमें भिन्न- भिन्न प्रकार के अद्भुत चित्र देखे जा सकते हैं।
- इन गुफ़ाओं में प्राकृतिक लाल और सफ़ेद रंगों से बने मनुष्यों के चित्रों के अलावा कई गुफाओं में विभिन्न प्राणियों जैसे कि चीता, कुत्ता, छिपकली, हाथी, भैंस इत्यादि के रंगीन चित्र भी देखने को मिलते हैं।
- यहाँ बने अविश्वनीय चित्रों में प्रयोग किये गए खनिज रंगों में मुख्य रूप से लाल, गेरुआ और सफेद हैं और कहीं-कहीं पीले और हरे रंग भी प्रयोग किया गया है।
- ये रंग मैगनीज, हेमाटाइट, लकड़ी के कोयला, मुलायम लाल पत्थर, पौधों की पत्तियों और पशुओं की चर्बी मिलाकर तैयार किए गए थे।
- यहां पर सैकड़ों शैलाश्रय मौजूद हैं जिन्हें लगभग 500 से ज्यादा शैलाश्रय चित्रों से सजाया गया हैं।
- यहाँ पर अन्य पुरावशेष भी पाए गए हैं, जिनमें प्राचीन किले की दीवार, लघुस्तूप, पाषाण निर्मित भवन, शुंग-गुप्त कालीन अभिलेख, शंख अभिलेख और परमार कालीन मंदिर के अवशेष आदि शामिल हैं।
- यहां पर मौजूद कलाकृतियों में सबसे पुरानी पेंटिंग लगभग 12 हजार साल पुरानी है, जबकि सबसे नवीन पेंटिंग लगभग 1000 साल पुरानी है।
- यहाँ पर पर्यटकों के घुमने के लिए केवल 12 गुफाएं ही खुली हुई हैं।
- पहली बार इसका उल्लेख भारतीय पुरातात्विक रिकॉर्ड में साल 1888 में बुद्धिस्ट साइट के तौर पर आया।
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण भोपाल मंडल ने इस क्षेत्र को साल 1990 के अगस्त महीने में राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित किया था।
- यूनेस्को द्वारा जुलाई 2003 में इस पुरापाषाणिक शैलाश्रय को विश्व विरासत स्थल के रूप में घोषित किया था।
- ये गुफाएं रातापानी बाघ अभयारण्य में स्थित है, जिसके कारण भारतीय लोगो का पार्किंग चार्ज 50 रूपए प्रति व्यक्ति और विदेशियों के लिए 100 रूपए प्रति पर्यटक शुल्क देना पड़ता है, जिसमें गाइड का शुल्क अलग होता है।
भीमबेटका गुफाएं कैसे पहुँचे
यहाँ जाने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा भोपाल (45 किलोमीटर) में स्थित है। अगर आप रेल मार्ग द्वारा यहाँ जाना चाहते है तो आप भोपाल आकर वहां से टैक्सी या बस के जरिए भीमबेटका आसानी से पहुंच सकते है।
प्रमुख शहरों से भीमबेटका की दूरी:- भोपालः 46 किलोमीटर
- नई दिल्लीः 795 किलोमीटर
- मुंबईः 818 किलोमीटर