बीबी का मकबरा संक्षिप्त जानकारी
स्थान | औरंगाबाद, महाराष्ट्र (भारत) |
निर्माणकाल | 1660 ई. से 1661 ई. |
निर्माता | मुहम्मद आज़म शाह |
वास्तुकार | अता-उल्ला, हंसपत राय |
प्रकार | सांस्कृतिक, मकबरा (कब्र) |
बीबी का मकबरा का संक्षिप्त विवरण
भारत के सबसे बड़े और धनी राज्यों में से एक महाराष्ट्र अपने भीतर कई ऐतिहासिक व अद्भुत कहानियों को समेटे हुये है। भारतीय इतिहास कई महान व शक्तिशाली साम्राज्यों के इतिहास से मिलकर बना हुआ है, इन्ही शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था मुगल साम्राज्य जोकि पूरे भारत में अपना विस्तार कर चुका था। प्रसिद्ध मुगल शासक औरंगजेब के पुत्र आजम ने अपनी माता दिल्रास बानू बेगम की मृत्यु के बाद उनकी याद में महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एक मकबरा बनवाया जिसे बीबी के मकबरे के नाम से जाना जाता है।
बीबी का मकबरा का इतिहास
दिल्रास बानू बेगम का जन्म ईरान (फारस) के प्रमुख सफाविद राजवंश में हुआ था। उन्होंने 8 मई 1637 में मुगल राजकुमार औरंगजेब (मुही-उद-दीन) से विवाह किया था। वह उनकी पहली और सबसे प्रिय पत्नी थी। उनके पांच बच्चे थे जिसमे मुहम्मद आज़म शाह और आदि सम्मिलित थे। अपने पांचवें बच्चे को जन्म देने के दौरान दिल्रास बानू बेगम संभवतः एक भयंकर बुखार से पीड़ित हो गई थी और एक लगभग एक महीने बाद 8 अक्टूबर 1657 को उनकी मृत्यु हो गई थी।
उनकी मृत्यु के बाद औरंगजेब और उनका सबसे बड़े बेटा आज़म शाह बिलकुल ही टूट चुके थे। जिसके बाद उन्होंने यह निश्चय किया की वह उनकी याद में एक निशानी बनवाएगा और लगभग तीन वर्ष उपरांत औरंगाबाद ने एक निश्चित स्थान को चुना, जहाँ मकबरे का कार्य शुरू करना था, लेकिन औरंगजेब केवल कब्र ही बनावा पाया था। औरंगजेब के बाद मकबरे के निर्माण का कार्य आज़म शाह ने संभाला और मकबरे का निर्माण ठीक उसी शैली में करवाने की कोशिश की जिस शैली में उसकी दादी माँ (मुमताज़ महल) का मकबरा बनाया गया था। बाद में इस मकबरे को बिबी का मकबरा (“टॉम्ब ऑफ द लेडी”) कहा जाने लगा था।
बीबी का मकबरा के रोचक तथ्य
- गुलाम मुस्तफा के तारीख नामा के अनुसार इस ऐतिहासिक मकबरे का निर्माण लगभग 1660 ई. से 1661 ई. के मध्य हुआ था।
- इस मकबरे के निर्माण में लगभग 1 वर्ष का समय और लगभग 6,68,7 रुपयों की लागत आई थी।
- इस मकबरे के निर्माण की नींव सबसे पहले औरंगजेब ने रखी थी जिसके बाद इसको पूरा करने का कार्य औरंगजेब के सबसे बड़े बेटे मुहम्मद आज़म शाह ने किया था।
- इस मकबरे में 4 मीनारे है और प्रत्येक मीनार की ऊंचाई लगभग 275 मीटर है।
- इस मकबरे का निर्माण मुगल साम्राज्य के 2 सबसे प्रसिद्ध वास्तुकारों अता-उल्ला और हंसपत राय द्वारा किया है।
- यह मकबरा एक सुंदर से बगीचे के बीचों बीच बनाया गया है जिसे चारबाग गार्डन के नाम से जाना जाता है।
- इसकी तुलना अक्सर ताजमहल के साथ की जाती है जिसके कारण इसे दक्खनि ताज भी कहा जाता है।
- इस मकबरे को बनाने में जिस मार्बल का उपयोग किया गया था उसे जयपुर की खान से मंगवाया गया था।
- इस मकबरे का निर्माण भी मुगल स्थापत्य शैली के अनुसार किया गया है जिस कारण इस मकबरे में जगह-जगह कई प्रकार की नक्काशियां देखने को मिलती है।
- इस मकबरे के बीचों बीच मुगल बादशाह औरंगजेब की पहली पत्नी दिल्रास बानू बेगम की कब्र बनाई गई है जिसके ऊपर एक बहुत सुंदर गुंबद का भी निर्माण करवाया गया था।