बीदर किला संक्षिप्त जानकारी

स्थानबीदर, कर्नाटक (भारत)
निर्माणकाल15वीं शताब्दी ई. (वर्तमान स्वरूप)
निर्मातासुल्तान अला-उद दीन बहमान
प्रकारकिला

बीदर किला का संक्षिप्त विवरण

भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण में स्थित कर्नाटक राज्य भारत के सबसे प्रमुख राज्यों में से एक है, यह राज्य न केवल अपने यहाँ की अनूठी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है बल्कि यह अपने यहाँ के ऐतिहासिक स्मारको के लिए भी विश्व विख्यात है। कर्नाटक में स्थित बीदर का किला भारतीय इतिहास को पुनर्जीवित करने की क्षमता रखता है, इस किले की स्थापत्य शैली और इसका इतिहास इसको भारत के अन्य किलो से काफी भिन्न और प्रमुख बनाता है।

बीदर किला का इतिहास

ऐसा माना जाता है कि इस किले का सर्वप्रथम निर्माण अहमद शाह वाली बहमान द्वारा करवाया गया था। इस किले को 13वीं शताब्दी में तुगलक राजवंश के राजकुमार उलुग खान द्वारा अपने कब्जे में ले लिया गया था, जो बाद में दिल्ली सल्तनत के सुलतान बन गये थे। वर्ष 1347 ई. में बहमनी सल्तनत की स्थापना के तुरंत बाद ही सुल्तान आला-उद-दीन बहमान ने बिदर पर कब्जा कर लिया था।

अहमद शाह प्रथम के शासनकाल के दौरान बिदर को बहमनी साम्राज्य की राजधानी के रूप में विकसित किया गया था। अहमद शाह के शासनकाल के दौरान इस किले पुनर्निर्माण वर्ष 1429 ई. में शुरू हुआ तथा 1432 ई. तक इसे बनाकर पूर्णत: तैयार कर दिया गया था। यह किला कई साम्राज्यों और सल्तनतो द्वारा शासित हो चुका है जिसमे बीजापुर सल्तनत और मुगल साम्राज्य सम्मिलित है।

17वीं शताब्दी में यह किला बिदर के निजाम “असफ जाही साम्राज्य” का हिस्सा बन गया था। असफ जाह की मृत्यु के बाद उनके तीसरे बेटे नवाब मीर सईद मुहम्मद खान ने इस किले और साम्राज्य को चलाना शुरू किया था परंतु वह इस किले पर ज्यादा दिनों तक शासन नही कर पाए थे क्यूंकि कुछ समय बाद ही इनके भाई मीर निजाम अली खान (असफ जहां II) ने इन्हें कैद कर इनकी हत्या कर दी थी।

बीदर किला के रोचक तथ्य

  1. इस किले के वर्तमान स्वरूप का निर्माण 1428 ई. के आसपास प्रसिद्ध बहमनी शासक अहमद शाह द्वारा करवाया गया था।
  2. इस किले को पुन: बनाने में लगभग 6 सालो का वक्त लगा था, इसका निर्माण वर्ष 1428 ई. में शुरू किया गया था जिसे बाद में वर्ष 1432 ई. तक बनाकर पूर्ण कर दिया गया था।
  3. इस किले को सुरक्षा की दृष्टि से एक पठार पर बनाया गया था, जिसकी ऊंचाई लगभग 670 मीटर है।
  4. इस किले के पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य की प्राचीन राजधानी कल्याणी स्थित है, जो इससे लगभग 40 मील (64 कि.मी.) की दूरी पर स्थित है।
  5. इस किले की संरचना इस्लामिक शैली में की गई थी, इस किले के अंदर लगभग 30 से अधिक स्मारक मौजूद है।
  6. इस किले को भारत के सबसे खतरनाक किलो में से एक माना जाता है, क्यूंकि इसके भीतर की संरचना एक समचतुर्भुज आकार के अभिन्यास वाली है।
  7. यह किला भारत के सबसे विशाल किलो में से एक है, जिसकी कुल लंबाई 1.21 कि.मी. है और चौड़ाई लगभग 800 मीटर है।
  8. इस किले की बाहरी सुरक्षा दीवार लगभग 2.5 कि.मी. तक लंबी हैं, जिसके भीतर किले कई प्रमुख इमारत, मेहराब, मंडप, मस्जिदे, गेट और उद्यान शामिल हैं।
  9. इस किले में लगभग 7 प्रवेश द्वार है, जिनमें सबसे प्रमुख है मंडु द्वार, कलमाद्गी द्वार, दिल्ली द्वार, कल्याणी द्वार और कर्नाटक द्वार।
  10. इस किले की दीवार पर लगभग 37 बुर्ज हैं, जिनकी सलाखों में धातु से बनी तोपों को एक साथ जोड़ा गया है।
  11. इस किले में सबसे बड़ा बुर्ज मुंडा बुर्ज है, जिसमे सुरक्षा के दृष्टिकोण से सबसे भारी बंदूकें और तोप रखी गई थीं।
  12. इस किले में जल की सुविधा करेज़ जल आपूर्ति प्रणाली द्वारा पूरी की जाती थी, इस किले में लगभग 21 लंबवत शाफ्टे थी जो लगभग 2 कि.मी. तक फैली हुई थी, वर्तमान में 21 शाफ्टो में से केवल 17 ही बची हुई हैं।
  13. एक फारसी विद्वान फ़िरिशता (1560-1620 ई.) ने अपनी पुस्तक तारख-ए फ़िरिशता में इस किले के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल दारुल इमारा (तख्त महल) के बारे में यह लिखा था कि इसे पुराने किले के अवशेषों के ऊपर ही पर बनाया गया है।
  14. वर्ष 1619-20 ई. के मध्य इस किले और साम्राज्य पर स्वतंत्र बीजापुर सल्तनत द्वारा कब्जा कर लिया गया था परंतु 1657 में मुगल सम्राट औरंगजेब ने इसे अपने नियंत्रण में लेकर इसे औपचारिक रूप से 1686 में मुगल साम्राज्य का भाग घोषित कर दिया था।
  15. वर्ष 1724 ई. में बिदर “असफ जाही साम्राज्य” का हिस्सा बन गया था। जिस पर असफ जाह I की मृत्यु के बाद उनके पुत्र नवाब मीर सईद मुहम्मद खान करना ने 1751 में शासन करना शुरू किया था, परंतु 1762 ई. में उनके भाई मीर निजाम अली खान (असफ जहा II) ने उन पर हमला कर दिया उन्हें कैद कर 16 सितंबर 1763 में किले भीतर ही मार डाला।
  16. बिदर का पुराना नाम, "मोहम्मदबाद" था जिसका अर्थ था “सलाबाथ जंग” का शासन है।
  17. वर्ष 1956 ई. में, जब हैदराबाद राज्य का विभाजन हुआ तो बिदर किला नवगठित मैसूर राज्य (कर्नाटक) का हिस्सा में आ गया था।

  Last update :  Wed 3 Aug 2022
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