बिरला मंदिर संक्षिप्त जानकारी
स्थान | कनॉट प्लेस, दिल्ली (भारत) |
निर्माण काल | 1622 ई॰ |
निर्माता | वीर सिंह देव |
समर्पित | भगवान विष्णु |
जीर्णोद्धारक | पृथ्वी सिंह, बिड़ला परिवार |
प्रकार | मंदिर |
वास्तुकार | श्रीश चंद्र चटर्जी |
वास्तुकला | हिन्दू उड़िया |
बिरला मंदिर का संक्षिप्त विवरण
गोल मार्किट के पास, कनॉट प्लेस में स्थित बिरला मंदिर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है, जिसे लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी (समृद्धि की देवी) को समर्पित है। मंदिर में विराजित माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान की मूर्ति का अलौकिक सौंदर्य देखते ही बनता है।
बिरला मंदिर का इतिहास
दिल्ली में स्थित इस भव्य मंदिर का निर्माण मूल रूप में सन 1622 में वीर सिंह देव द्वारा करवाया गया था। बाद में साल 1793 में पृथ्वी सिंह द्वारा जीर्णोद्धार (मरम्मत) करवाई थी। सन 1938 में देश के एक बड़े औद्योगिक परिवार बिड़ला समूह के सदस्य जी. डी. बिरला द्वारा मंदिर का विस्तार और पुनरुत्थान कराया गया था। मंदिर का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा इस शर्त पर किया गया था कि मंदिर के अन्दर सभी जाति के लोगों को प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। कनॉट प्लेस के पश्चिम भाग में स्थित यह मंदिर दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है और एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है।
बिरला मंदिर के रोचक तथ्य
- मंदिर के बाहरी भाग को सफेद संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से मिलकर बना गया है, जो मुगल शैली की याद दिलाता है।
- इसके परिसर को बनाने में मकराना, आगरा, कोटा और जैसलमेर के कोटा पत्थर का उपयोग किया गया था।
- मुख्य मंदिर में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियाँ हैं भगवान शिव, भगवान नारायण, भगवान गणेश और हनुमान को समर्पित अन्य छोटे मंदिर हैं इसके अतिरिक्त भगवान बुद्ध को समर्पित एक मंदिर भी है।
- मंदिर का मुख पूर्व की ओर है और यह एक ऊँचे पठार पर स्थित है
- मंदिर के अन्दर 3 ओर दो मंजिला बरामदे हैं और पिछले भाग में बगीचे और फव्वारे बने हैं।
- मंदिर के उत्तर में स्थित गीता भवन भगवान कृष्ण को समर्पित है
- यह मंदिर लगभग 7.5 एकड़ क्षेत्र में फैला है। जिसमे कई मंदिर, बड़े गार्डन और गीता भवन भी सम्मिलित है।
- मंदिर में स्थापित मूर्तियों की नक्काशी आचार्य विश्वनाथ शास्त्री की अध्यक्षता में बनारस के लगभग 100 कुशल कारीगरों द्वारा की गई थी।
- मंदिर के मुख्य गर्भगृह के ऊपर मंदिर का सबसे ऊंचा शिखर लगभग 160 फीट ऊंचा है।
- मंदिर में मौजूद मूर्तियों को जयपुर से लाए गए संगमरमर द्वारा निर्मित किया गया था।
- मंदिर के गलियारे की सभी दीवारों पर देश के प्रसिद्ध ऋषियों, मुनियों, महापुरूषों एवं पराक्रमी राजाओं के जीवन-चरित चित्रित किए गये हैं।
- मंदिर की दायीं ओर एक गीता भवन भी बना हुआ है, जिसमें भगवान् श्री कृष्ण की एक बड़ी मूर्ति स्थापित है और भगवान् कृष्ण द्वारा गीता मे दिए उपदशों को दीवारों पर बनी कलाकृतियों द्वारा दर्शाया गया हैं।
- इस मंदिर का निर्माण हिन्दू उड़िया वास्तुशैली में किया गया हैं।
- लक्ष्मी नारायण मंदिर का सबसे नज़दीकी मेट्रो स्टेशन आर.के.आश्रम मार्ग है।
- मंदिर को रामनवमी, दिवाली एवं कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्वों के अवसर पर खूब सजाया जाता है। त्यौहार के दिनों में लाखों की संख्या में नर-नारी व बच्चे इस मंदिर को देखने आते हैं, जिसके कारण मंदिर में पैर रखने की भी जगह नहीं मिलती है।
- मंदिर रोजाना सुबह 6 बजे खुलता है और रात्रि को 10 बजे बंद होता है।