छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे संक्षिप्त जानकारी
स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र (भारत) |
निर्मित | 1878-1888 ई. |
निर्माता | ब्रिटिश साम्राज्य |
स्थापत्य शैली | नव- गॉथिक शैली |
वास्तुकार | फ्रेडरिक विलियम स्टीवंस, एक्सेल हैग |
अभियंता | विल्सन बेल |
प्रकार | रेलवे स्टेशन, ऐतिहासिक स्मारक |
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे का संक्षिप्त विवरण
भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है, जोकि भारत का सबसे बड़ा महानगर भी है। मायानगरी मुम्बई अपने फ़िल्मी वातावरण और ऐतिहासिक स्मारकों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। मुम्बई में स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस भारतीय और यूरोपीय वास्तुशैली का बेजोड़ उदाहरण है, इस पर की गई नक्काशी और ऐतिहासिक महत्व के कारण इसे यूनेस्को द्वारा संरक्षित विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया जा चुका है।
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे का इतिहास
भारत का सबसे पहला रेलवे स्टेशन बोरी बंडर था, जिसका उपयोग पहले मुंबई में आयात और निर्यात करने वाले सामानों को रखने के लिए एक गोदाम के रूप में किया जाता था। रेलवे स्टेशन का उपयोग वर्ष 1853 ई. से 1878 ई. तक किया गया था। इस स्टेशन को फिर से प्रचलन में लाने के लिए इसे पुनर्निर्मित करने का निश्चय किया गया। स्टेशन को वर्ष 1878 में ब्रिटिश वास्तुकार फ्रेडरिक विलियम स्टीवंस द्वारा डिजाइन किया और इसका निर्माण शुरू करवा दिया, जिसके बाद इस स्टेशन को वर्ष 1888 तक पूरा बनाकर तैयार कर दिया गया था। स्टेशन के बनने के बाद इसे विक्टोरिया टर्मिनस नाम दिया गया था, जिसे बाद में कई बार बदला गया, वर्तमान में इसका नाम छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन है।
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे के रोचक तथ्य
- भारत का सबसे पहला रेलवे स्टेशन वर्ष 1853 में बना था जिसे बोरी बंडर के नाम से जाना जाता था। यह स्टेशन 1878 तक कार्यरत था, जिसके बाद इसे समाप्त कर वहाँ विक्टोरिया टर्मिनस का निर्माण किया गया था।
- भारत की पहली यात्रीवाहक रेल 16 अप्रैल 1853 में बोरी बंदर से ठाणे तक लगभग 34 कि.मी. चली थी, जिसने बोरी बंदर से ठाणे तक की दूरी छोटी तय करने में लगभग 50 मिनट का समय लिया था।
- वर्ष 1878 ई. में प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार फ्रेडरिक विलियम स्टीवंस ने इस स्टेशन का पहला नक्शा बनाया था, जिसके तुरंत बाद इसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया और लगभग 10 वर्षो के बाद इस स्टेशन को पूर्ण रुप से बनाकर तैयार कर दिया गया था।
- यह स्टेशन भारत का सबसे पहला ऐसा स्टेशन है, जिसका निर्माण नव-गॉथिक शैली में किया गया था, यह इमारत उस समय बॉम्बे की सबसे ऊँची इमरात थी।
- इस स्टेशन का केन्द्रीय गुंबद लगभग 330 फुट लंबा है, जो लगभग 1,200 फुट लंबी ट्रेन शेड से जुड़ा हुआ है।
- जब इस स्टेशन का निर्माण हुआ था, तब इसके प्लेटफार्मों की मूल संख्या 9 थी, परंतु समय के साथ इस स्टेशन पर बढती भीड़ के कारण वर्ष 1929 में इसके प्लेटफार्मों की संख्या बढ़ाकर 13 कर दी गई थी। वर्तमान में इस स्टेशन की प्लेटफॉर्म की संख्या 18 हैं, जिसमे 7 प्लेटफार्म उपनगरीय रेलगाड़ियों के लिए और 11 प्लेटफार्म इंटर सिटी ट्रेनों के लिए उपयोग किये जाते हैं।
- यह स्टेशन वर्तमान में केन्द्रीय रेलवे के मुख्यालय के रूप में काम करने के साथ-साथ मुंबई उपनगरीय यातायात को भी संभालने का कार्य करता है।
- यह स्टेशन भारत का सबसे व्यस्तम रेलवे स्टेशन है, जो प्रत्येक दिन लगभग 3 मिलियन से अधिक यात्रियों की सेवा करता है।
- इस स्टेशन के नाम को 4 बार बदला गया है, इसका पहला नाम बोरी बंदर (1853-1888) था, जिसे बाद में रानी विक्टोरिया की स्वर्णिम जयंती के दौरान विक्टोरिया टर्मिनस दिया गया था। वर्ष 1996 में इस स्टेशन का नाम फिर से बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस कर दिया गया था, जिसमे साल 2017 में संशोधन कर उसका नाम छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस कर दिया गया था।
- 16 अप्रैल 2013 में इस स्टेशन में वातानुकूलित शयनकक्ष का उद्घाटन किया गया था, जिसमे पुरुषों के ठहरने के लिए 58 बिस्तरो की और महिलाओ के ठहरने के लिए 20 बिस्तर की सुविधा उपलब्ध कराई गई हैं।
- इस स्टेशन को भारत की कई प्रसिद्ध फिल्मो में फिल्माया गया है, जिनमे से प्रमुख है स्लमडॉग मिलियनेयर (2008) और रा वन (2011)।
- इस स्टेशन को विश्व के कई प्रसिद्ध चेनलो ने विश्व के सबसे व्यस्तम स्टेशन के रूप में फिल्माया है, जिसमे से 2015 में आया एक विश्व प्रसिद्ध शो “बी.बी.सी. टू शो” प्रमुख है, इस टी.वी. शो ने इस स्टेशन के ऊपर एक डोक्युमेंटरी तैयार की थी जिसे “वर्ल्डस बिजिएस्ट रेलवे 2015” का नाम दिया गया था।
- यह इमारत ताजमहल के बाद देश में सबसे अधिक फोटोग्राफ लेने वाली इमारत है।