दौलताबाद किला संक्षिप्त जानकारी
स्थान | औरंगाबाद, महाराष्ट्र (भारत) |
निर्माण | 1187 ई. और 1327 ई. |
निर्माता | यादव राजा भिलण और मुहम्मद बिन तुगलक |
प्रकार | किला |
दौलताबाद किला का संक्षिप्त विवरण
महाराष्ट्र अपने वीर इतिहास, ऐतिहासिक स्थल और अपनी फ़िल्मी दुनिया के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र का शहर मुंबई को लोग माया नगरी के नाम से जानते है। मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी भी है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित दौलताबाद किला भारत के सबसे ऐतिहासिक और महान किलो में से एक है, जिसका निर्माण दिल्ली सल्तनत के प्रसिद्ध शासक मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा करवाया गया था।
दौलताबाद किला का इतिहास
वर्ष 1328 ई. में, दिल्ली सल्तनत के मोहम्मद बिन तुगलक ने अपने राज्य की राजधानी देवगिरी में स्थानांतरित कर दी थी और इसका नाम बदलकर दौलताबाद रखा दिया था। इस किले पर कुछ समय बाद ही बहमनी शासक का शासन लागू हो गया जिसके प्रसिद्ध शासक हसन गांगु बहमनी द्वारा इस किले के भीतर चांद मीनार का निर्माण था। हसन गंगू ने चांद मीनार को दिल्ली के कुतुब मीनार की प्रतिकृति के रूप में बनाया, जिसके वह एक महान प्रशंसक थे।
अधिकांश किले का निर्माण बहमनियों और अहमदनगर के निजाम (शाह) के तहत किया गया था। शाहजहां के आदेश अनुसार दक्कन के मुगल गवर्नर ने 1632 ई. में इस किले पर कब्जा कर लिया और यहाँ पर शासन कर रहे निजाम शाही राजकुमार हुसैन शाह को कैद कर दिया था।
दौलताबाद किला के रोचक तथ्य
- यह भव्य किला महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले से मात्र 11 कि.मी. की दूरी पर दुर्जेय पहाड़ी पर स्थित है।
- इस किले को दौलताबाद का नाम वर्ष 1327 ई. में दिल्ली सल्तनत के प्रसिद्ध शासक मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा दिया गया था, उससे पहले इसे देवगिरी के नाम से जाना जाता था।
- यह किला एक विशेष प्रकार के प्राकृतिक पहाड़ पर स्थित है, जिसकी ऊंचाई लगभग 200 मीटर है।
- यह किला भारत के सबसे बड़े और भव्य किलो में से एक है, जिसकी संरचना 3 मंजिला है। यह किला इतना मजबूत था कि इसे तोड़ना या क्षति पंहुचाना इसके किसी भी शत्रु के लिए सरल नही था।
- इस किले की सबसे प्रमुख संरचनाओ में से एक है इसका मुख्य प्रवेश द्वार जो लगभग 688 फीट ऊँचा है, जिससे होते हुये ही आपको किले की चोटी तक जाने के लिए लगभग 2 किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा।
- इस किले की सभी दीवारों पर हमेशा तोपें तैनात रहती थीं। आखिरी दरवाजे पर आज भी एक 16 फीट लंबी और दो फीट गोलाकार की मेंडा नामक तोप मौजूद है, जो लगभग 3.5 कि.मी. की दूरी तक निशाना साध सकती है।
- इस किले के भीतर स्थित चांद मीनार का निर्माण वर्ष 1435 ई. में प्रसिद्ध बहमनी शासक अलाउद्दीन बहमनी शाह ने करवाया था, यह मीनार लगभग 63 मीटर ऊँची है जिसमे विभिन्न प्रकार की नक्काशियाँ की गई है।
- इस किले की सबसे अद्भुत और रोचक संरचना इसकी भूल भुलैया है जिसे अंधेरा रास्ता भी कहा जाता है, असल में यह रास्ता एक 150 फुट लंबी अँधेरी सुरंग है।
- इस किले की सुंदरता को देखते हुये प्रसिद्ध फिल्म निर्माता चाँद ने अपनी 1979 ई. में आई “अहिंसा” नामक फिल्म में इसे फिल्माया है।
- इस किले की खूबसुरती और कम फिल्म लागत के कारण यह फिल्म निर्माताओ के लिए एक प्रसिद्ध स्थान है, वर्ष 2011 में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता कुनाल कोहली ने इसे अपनी फिल्म “तेरी मेरी कहानी” के एक प्रसिद्ध गाने “अल्लाह जाने” में फिल्माया है।
- यह किला प्रत्येक दिन सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक खुलता है, जिसमे घुमने की साधारण अवधि 2 से 3 घंटे की है।