दिगंबर जैन मंदिर संक्षिप्त जानकारी
स्थान | चाँदनी चौक, दिल्ली (भारत) |
निर्माण | 16वीं शताब्दी |
प्रमुख पर्व | महावीर जयंती |
प्रकार | जैन मंदिर |
दिगंबर जैन मंदिर का संक्षिप्त विवरण
देश की राजधानी दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में लाल किले के पास स्थित दिगंबर जैन मंदिर दिल्ली का सबसे पुराना जैन मंदिर है। यह मंदिर चाँदनी चौक और नेताजी सुभाष मार्ग के चौराहे पर स्थित है। इस भव्य मंदिर को श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर या रेड टेम्पल के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान जैन धर्म के अनुयायियों के बीच बहुत लोकप्रिय है। इस प्राचीन मंदिर की कलाकृति और प्रतिमाओं की खूबसूरती यहाँ आने वाले श्रदालुओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है।
दिगंबर जैन मंदिर का इतिहास
देश के सबसे बड़े जैन मंदिरों में एक इस मंदिर का निर्माण मुगल शासनकाल के दौरान तत्कालीन मुगल बादशाह शाहजहां के फौजी अफसर ने 16वीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर को शुरु में खेती के कूचे का मंदिर और लश्करी का मंदिर भी कहा जाता था।
कुछ लोग उर्दू बाजार में होने के कारण इसे उर्दू मंदिर भी कहा करते थे। ऐसा माना जाता है कि मंदिर के स्थान पर पहले मुगल सैनिकों की छावनी हुआ करती थी और सेना के एक जैन अधिकारी ने दर्शन के लिए यहां पर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा रखी थी। इसके बाद जब सेना के दूसरे जैन अधिकारियों और सैनिकों को इसका पता चला तो वे भी यहाँ दर्शन के लिए आने लगे तथा धीरे-धीरे इस स्थान ने एक छोटे से मंदिर का रूप ले लिया। फिर बाद में 1935 में इस मंदिर का पुनरोद्धार किया गया था और इसकी इमारतों को भव्य रूप प्रदान किया गया।
मुगल काल में मंदिरों के शिखर बनाने की अनुमति नहीं थी, इसलिए मंदिर में आजादी से पूर्व कोई औपचारिक शिखर नहीं था।
दिगंबर जैन मंदिर के रोचक तथ्य
- इस भव्य मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थरों से किया गया है।
- इसका प्रमुख भक्ति स्थल प्रथम ताल पर मौजूद है, इसके अलावा मंदिर का छोटा-सा आंगन खंभों की पंक्ति से घिरा हुआ है।
- यह मंदिर 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है। 8 वेदियों वाले इस मंदिर में सबसे प्राचीन वेदी पर भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति स्थापित है।
- एक दूसरी वेदी पर एक ओर 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ की यक्षिणी पद्मावती की प्रतिमा भी विराजमान है।
- मंदिर में चारों दिशा की ओर मुंह किए 4 मूर्तियां स्थापित की गई हैं।
- यहां जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की मूर्ति भी स्थापित है।
- मंदिर के अंदर जैन समुदाय ने तीन संगमरमर की मूर्तियों को संवत् 1548 (1491 ईस्वी) में भट्टारक जिनचंद्रा की देखरेख में जिवाराज पापडीवाल द्वारा स्थापित किया था।
- इस मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर में पूजा करने के लिए कोई पुजारी नहीं है और यहां श्रद्घालु स्वयं पूजा करते हैं, लेकिन पूजा सामग्री में सहयोग के लिए एक व्यक्ति होता है, जिसे व्यास कहा जाता है।
- जिन लोगों को जैन धर्म के बारे में जानने की जिज्ञासा है उनके लिए यहाँ पुस्तकों की एक दुकान है, जो जैन धर्म से संबंधित साहित्य बेचती हैं।
- इसके अलावा इस मंदिर में जैन धर्म से जुड़े हुए स्मृति चिन्ह और अलभ्य कलाकृतियाँ भी बेची जाती हैं।
- भारत में जैन धर्म के अनुयायियों करीब 170 मंदिर स्थित है, परन्तु दिल्ली में बने इस मंदिर में श्रद्घालुओं की संख्या सबसे ज्यादा रहती है।
- मंदिर में अलंकृत सुन्दर नक्काशियां और भव्य चित्र यहाँ की सुंदर वास्तुकला को प्रदर्शित करता है।