गेटवे ऑफ इंडिया संक्षिप्त जानकारी
स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र (भारत) |
निर्माण कार्य शुरू हुआ | 31 मार्च 1913 |
उद्घाटन | 04 दिसंबर, 1924 |
वास्तुकार | जॉर्ज विटेट |
निर्मित | ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा |
गेटवे ऑफ इंडिया का संक्षिप्त विवरण
भारतीय इतिहास विश्व के सबसे रोचक इतिहासों में से एक है, भारत में कई साम्राज्यों ने शासन किया और उनके शासन के फलस्वरूप भारत ने कुछ रोचक व विश्व प्रसिद्ध इमारते पाई परंतु भारत ने उन साम्राज्यों के कारण अपनी धनसंपदा भी गवाई है, भारतीय इतिहास में मुगल वास्तुकला के बाद यूरोपीय वास्तुकला सबसे अधिक देखी जा सकती है जिसका सबसे अच्छा उदाहरण गेटवे ऑफ इंडिया है जिसे 20 वीं शताब्दी के दौरान मुंबई (बॉम्बे) भारत में निर्मित किया गया था।
गेटवे ऑफ इंडिया का इतिहास
गेटवे ऑफ इंडिया को बनाने की पहल इसलिए शुरू की गई थी क्यूंकि 1911 में इंग्लैंड के राजा जॉर्ज पंचम और उनकी पत्नी रानी मेर्री भारत में दिल्ली दरबार के भ्रमण पर आने वाले थे और उससे पहले वह मुंबई के बंदरगाह पर उतरने वाले थे जिसको स्मृतिपत्र बनाने हेतु ब्रिटिश सरकार ने गेटवे ऑफ इंडिया को बनाने का निश्चय किया और वास्तुकार जॉर्ज विटेट को गेटवे ऑफ इंडिया बनाने का आदेश दिया गया था किंतु राजा जॉर्ज पंचम और उनकी पत्नी रानी मेर्री ने गेटवे ऑफ़ इंडिया की संरचना का मॉडल ही देख सके क्यूंकि इसका निर्माण 1915 तक शुरू नहीं हुआ था और इसकी यह संरचना 31 मार्च, 1911 को बॉम्बे के गवर्नर सर जॉर्ज सिडेनहम क्लार्क ने रखी थी, जबकि जॉर्ज विट्टेट द्वारा इसके अंतिम डिजाइन को 31 मार्च 1914 में मंजूरी दे दी गई. यह गेटवे पीले बेसाल्ट और कंक्रीट के साथ बनाया गया था।
जिस भूमि पर गेटवे बनाया गया था वह पहले एक बंदरगाह, जिसे मछली पकड़ने वाले समुदाय द्वारा उपयोग किया जाता था जिसे बाद में पुनर्निर्मित किया गया था और ब्रिटिश गवर्नर और अन्य प्रमुख लोगों के लिए किनारे पर उतरने की जगह के रूप में उपयोग किया जाने लगा था। 1915 से 1919 के बीच में अपोलो बंडर (पोर्ट) को इमारत बनाने योग्य के लिए काम शुरू किया जिस पर गेटवे और नई समुद्री दीवार का निर्माण किया जाना था। गेटवे ऑफ इंडिया को 1924 तक बना लिया गया और 4 दिसंबर, 1924 को वाइसराय, रीडिंग के अर्ल द्वारा उद्घाटन कर खोल दिया गया था।
गेटवे ऑफ इंडिया की स्थापत्य शैली
गेटवे ऑफ इंडिया का संरचनात्मक डिजाइन 26 मीटर की ऊंचाई के साथ एक बड़े मेहराब के रूप में बनाया गया है। स्मारक को पीले बेसाल्ट और पक्के कंक्रीट से बनाया गया है। गेटवे ऑफ इंडिया की स्थापत्य शैली भारत-सरसेनिक शैली में डिज़ाइन की गई है। ग्रैंडियोज़ भवन की संरचना में शामिल मुस्लिम वास्तुशिल्प शैलियों के भी निशान पाए जा सकते है। स्मारक के केंद्रीय गुंबद का व्यास लगभग 48 फीट है, जिसमें 83 फीट की कुल ऊंचाई है। जटिल जाली के साथ बनाया गया, 4 बुर्ज गेटवे ऑफ इंडिया की पूरी संरचना की प्रमुख विशेषताएं हैं।
गेटवे ऑफ इंडिया के रोचक तथ्य
- मुंबई के कोलाबा में स्थित गेटवे ऑफ इंडिया इंडो- सरसेनिक वास्तुशिल्प का अद्भुत उदाहारण है जिसकी ऊँचाई लगभग आठ मंजिल के समान है।
- गेटवे ऑफ इंडिया के समीप ही पर्यटकों के समुद्र भ्रमण हेतु नौका-सेवा भी उपल्ब्ध है जो इसकी सुन्दरता को और भी निखारती है।
- गेटवे ऑफ इंडिया के गुम्बद निर्मित करने में 21 लाख रु. का खर्च आया था और पूरे गेटवे ऑफ इंडिया के निर्माण में 2.1 मिलियन की लागत आई थी
- भारत की स्वतंत्रता के पश्चात अंतिम ब्रिटिश सेना इसी में से होकर वापस यूरोप गई थी।
- छत्रपति शिवाजी और स्वामी विवेकानंद की मूर्तियों को बाद में गेटवे में स्थापित किया गया था।
- गेटवे ऑफ इंडिया को मुंबई के ताजमहल के रूप में भी जाना जाता है।
- गेटवे ऑफ इंडिया देश में तीन प्रमुख आतंकवादी हमलों का स्थान रहा है जो 2003 और 2008 में मुंबई के ताज महल होटल और अन्य प्रमुख स्थानों पर हुए थे।