स्वर्ण मंदिर संक्षिप्त जानकारी
स्थान | वेल्लोर, तमिलनाडु (भारत) |
निर्माणकाल | 2007 |
निर्माता | नारायणी अम्मा (मूल नाम: सतीश कुमार) |
प्रकार | हिन्दू मंदिर |
मुख्य देवता | भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी |
स्वर्ण मंदिर का संक्षिप्त विवरण
प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर, श्रीपुरम दक्षिणी भारतीय राज्य तमिलनाडु के वेल्लोर शहर के दक्षिणी भाग में स्थित है। इस भव्य मंदिर को महालक्ष्मी स्वर्ण मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। पंजाब के अमृतसर में बने खूबसूरत गोल्डन टेम्पल की तरह ही वैल्लोर स्थित गोल्डन टेम्पल भी विश्व के अजूबों में शामिल है। सोने से बने इस अद्भुत मंदिर की खूबसूरती को देखने के लिए प्रतिदिन एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं।
स्वर्ण मंदिर का इतिहास
दक्षिण भारत के बने मंदिरों ने सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में काफी प्रचलित हैं। इन मंदिरों में मुख्य रूप से हिन्दू मंदिर हैं। दक्षिण भारत के इन मंदिरों की सुन्दरता और शिल्प कार्य देखने ही बनता है।
तमिलनाडु के वेल्लोर शहर में बने स्वर्ण मंदिर, श्रीपुरम का निर्माण दक्षिण भारत के नारायणी अम्मा नामक एक सन्यासी व्यक्ति ने करवाया था, जिनका वास्तविक नाम सतीश कुमार है। इस मंदिर का उद्घाटन साल 2007 के अगस्त महीने में हुआ था। एक तारे की तर्ज पर बने इस मंदिर के आंतरिक और बाह्य भाग में बड़ी मात्रा में सोने का उपयोग किया गया है। अब तक विश्व में किसी भी मंदिर के निर्माण में इतना सोना नहीं लगा है।
स्वर्ण मंदिर के रोचक तथ्य
- भारतीय राज्य तमिलनाडू के वेल्लोर की मलाईकोड़ी पहाड़ो पर स्थित महालक्ष्मी मंदिर का यह खूबसूरत मंदिर करीब 100 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है।
- इस भव्य मंदिर में निर्माण में तकरीबन 15,000 किलोग्राम विशुद्ध सोने का इस्तेमाल किया गया था।
- मंदिर में 9 से 15 सोने की परतें हैं, जिन्हें शिलालेखों द्वारा सुशोभित किया गया हैं। मंदिर में शिलालेख की कला वेदों से ली गई हैं।
- मंदिर परिसर में बाहर की तरफ एक सरोवर भी बना है, जिसमे भारत की सभी प्रमुख नदियो से पानी लाकर बनाया गया है। इसे सर्वतीर्थम सरोवर के नाम से जाना जाता है।
- वेल्लोर स्थित इस गोल्डन टेम्पल के निर्माण में करीब 300 करोड़ रूपए की लागत आई थी।
- 7 साल में बनकर तैयार हुए इस गोल्डन टेम्पल का उदघाटन 24 अगस्त 2007 को हुआ था।
- मंदिर परिसर में धन की देवी माता महालक्ष्मी की 70 किलो सोने से बनी एक मूर्ति भी स्थापित है।
- मंदिर में अभिषेकम सुबह 4 बजे से 8 बजे तक होती है और आरती सेवा शाम 6 से 7 बजे के बीच आयोजित की जाती है।
- इस मंदिर में जब रात्री में प्रकाश किया जाता है, तब मंदिर में लगे सोने की चमक से पूरा मंदिर जगमगा उठता है।
- इस भव्य मंदिर में पूरे वर्षभर श्रृद्धालुओं का तांता लगा रहता है और किसी-किसी दिन तो यहाँ श्रद्धालुओं की संख्या एक लाख से ऊपर चली जाती हैं।
- यह मंदिर रोजाना सुबह 8 से रात्रि 8 के तक भक्तों के लिये वर्षभर खुला रहता है।
- मंदिर की सुरक्षा में लिए पुलिस की तैनाती भी की गई है, जो यहाँ पर 24 घंटे पुलिस सिक्योरिटी करती है।
- मंदिर के लिए नियम के अनुसार, कोई भी भक्त लुंगी, शॉर्ट्स, नाइटी, मिडी और बरमूडा आदि वस्त्र पहनकर मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते है।
- मंदिर के अन्दर इलेक्ट्रॉनिक आइटम जैसे मोबाइल फोन, कैमरा, तंबाकू, शराब और ज्वीलंतशील वस्तुओं का प्रवेश वर्जित है।
- इस मंदिर तक पहुँचने के लिए वेल्लोर में तीन मुख्य रेलवे स्टेशन: वेल्लूर कट्पडी जंक्शन, वेल्लोर छावनी और कट्पडी जंक्शन है, जहाँ से आप राज्य की टैक्सी या बस द्वारा मंदिर तक आसानी से आ सकते है।
- हवाई मार्ग द्वारा वेल्लोर आने के लिए आपको 100 कि.मी. की दूरी पर स्थित निकटतम घरेलू हवाई अड्डे तिरुपति एयरपोर्ट पर उतरना होगा। यहां से चेन्नई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लगभग 130 कि.मी. की दूरी पर और बेंगलुरू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा करीब 200 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।