हवा महल संक्षिप्त जानकारी
स्थान | जयपुर, राजस्थान (भारत) |
स्थापना (निर्माण) | 1799 |
निर्माता (किसने बनबाया) | महाराजा सवाई प्रताप सिंह वास्तुकार |
वास्तुकार | लाल चंद उस्ताद |
स्थापत्यकला | राजपूत वास्तुकला और मुग़ल वास्तुकला |
हवा महल का संक्षिप्त विवरण
भारतीय राज्य राजस्थान को राजाओं और रजवाड़ो की भूमि के नाम से जाना जाता है, यहाँ पर प्राचीन काल में बहुत सारे राजाओं ने बहुत से ऐतिहासिक किले, महल और इमारतों का निर्माण करवाया था, जो आज तक शान से खड़े हैं, जिनकी चर्चा पूरी दुनिया में की जाती हैं।
राजस्थान में बनी सभी ऐतिहासिक इमारतों, महल और किलो की अपनी ही एक अलग पहचान है। राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित हवा महल ऐसा ही एक ऐतिहासिक राजसी-महल है, जो अपनी सुंदरता और अद्भुत संरचना के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध है। हवामहल का अर्थ है कि हवाओं की एक जगह यानी कि यह एक ऐसी अनोखी जगह है, जो तेज़ गर्मी में भी हमेशा वातानुकूलित (ठंडा) ही रहता है।
हवा महल का इतिहास
एशिया महाद्वीप में स्थित देश भारत अपनी विविधताओं के लिए संसार में प्रसिद्ध है, यहाँ अजूबों और आश्चर्यों की कोई कमी नहीं है। देश के लगभग हर राज्य में बहुत से ऐतिहासिक किले, महल और इमारतें पाई जाती हैं।
वही राजस्थान को भारत की आन और राजपूतों की शान माना जाता हैं, क्योकि यहाँ पर प्राचीन काल में कई राजाओं ने राज किया था। राजस्थान की राजधानी पिंक सिटी (गुलाबी नगरी) या जयपुर के बीचों बीच बना हवा महल का निर्माण महाराजा सवाई प्रताप सिंह (सवाई जयसिंह के पौत्र और सवाई माधोसिंह के पुत्र) द्वारा सन 1799 में कराया गया था।
हवा महल के रोचक तथ्य
- राजा सवाई प्रताप सिहं द्वारा निर्मित इस महल का निर्माण सिर्फ रानियों व राजकुमारियों को विशेष मोकों पर निकलने वाले जुलूस व शहर आदि को देखने के लिए करवाया था।
- इस महल की योजना एवं निर्माण का निर्माण लाल चंद उस्ता द्वारा किया गया है।
- इस महल बहुत ही अनोखे ढंग से बनाया गया है। इसकी रचना में मुग़लों और राजस्थानी शैलियों की वास्तुकला साफ़ दिखाई है।
- जयपुर के प्रसिद्ध जौहरी बाजार के पास स्थित है इस पांच मंजिला महल को पूर्ण रूप से लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से बनाया गया था।
- इस महल का आकर सर के ताज के समान है। ऐसा माना जाता है कि महाराजा सवाई प्रताप सिंह भगवान श्री कृष्ण को काफी मानते थे, जिसकी वजह से उन्होंने इस महल को ताज का आकर में बनबाया था।
- यह पांच-मंजिला इमारत ऊपर से केवल डेढ़ फुट चौड़ी है और बाहर से देखने पर मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखाई देती है। इसमें 950 से भी ज्यादा बेहद खूबसूरत और आकर्षक छोटी-छोटी जालीदार खिड़कियाँ हैं, जिन्हें झरोखा कहा जाता हैं।
- प्राचीन काल में विभिन्न राजपूतों के परिवार गर्मी के दिनों में ठंडी और ताजी हवा का आनंद उठाने के लिए इसी महल में निवास करते थे। यह राजस्थान की ऐतिहासिक इमारतों में से एक है।
- इस महल में अन्दर जाने के लिए कोई भी सीधा प्रवेश द्वार नहीं है। यहाँ जाने के लिए आपको शहर के मुख्य महल, सिटी महल के किनारे से जाना होगा।
- इस 5 मंज़िला महल में जाने के लिए सीढियाँ नही हैं, इन ऊँचे मंज़िलों तक पहुँचने के लिए आपको ढलान पर बने रास्तों से जाना पड़ेगा।
- यह देश का एकमात्र ऐसा महल है, जिसे मुगल और राजपूताना वास्तुकला शैली में बना गया है।
- इस महल का रेख-रखाव राजस्थान सरकार के पुरातात्विक विभाग द्वारा किया जाता है।
- क्या आपको पता वर्ष 2005 में, 50 साल के लम्बे अंतराल के बाद बड़े स्तर पर महल की मरम्मत और नवीनीकरण का कार्य किया गया था, जिसमें लगभग 45,679 लाख रूपए का खर्चा आया था।
- हवा महल को “पैलेस ऑफ़ विंड्स (Palace of Winds)” के नाम से भी जाना जाता है, क्योकि इसकी जालीनुमा खिडकियों से हमेशा ठंडी हवाएं आती है।
- इस महल के प्रसिद्ध होने के बाद ही इसके कॉम्पलेक्स का निर्माण किया गया, उससे पहले यहाँ कॉम्पलेक्स नहीं था।