इंडिया गेट संक्षिप्त जानकारी
स्थान | राजपथ मार्ग, दिल्ली (भारत) |
स्थापना (निर्माण) | 1931 |
वास्तुकार | एड्विन लैंडसियर लूट्यन्स |
लम्बाई | 42 मीटर (137.79 फुट) |
इंडिया गेट का संक्षिप्त विवरण
भारत की राजधानी नई दिल्ली के राजपथ मार्ग पर स्थित इंडिया गेट एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय स्मारक है। इसका निर्माण प्रथम विश्वयुद्ध में मारे गए 80,000 से अधिक भारतीय सैनिकों की याद में किया गया था। इस युद्ध स्मारक पर शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है और लोगों को उनके विषय में जानकारी प्राप्त होती है। हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर निकलने वाली परेड राष्ट्रपति भवन से शुरू होकर इण्डिया गेट से होते हुए लाल किले तक पहुँचती है। गणतंत्र दिवस की परेड देखने में बहुत सुंदर होती हैं क्योंकि इनमें भारत की तीनो सेनाओं के कमांडर अपने नवीनतम रक्षा प्रोद्योगिकी की परेड निकलते है और साथ ही देश के सभी राज्यों के सांस्कृतिक कार्यकर्मों की विभिन्न प्रकार की झांकियां भी प्रस्तुत की जाती है।
इंडिया गेट का इतिहास
इंडिया गेट को पहले अखिल भारतीय युद्ध स्मारक (All India War Memorial) के नाम से जाना जाता था। इसका निर्माण ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) और तीसरे एंग्लो-अफ़ग़ान युद्ध (1919) में शहीद हुए 80000 से अधिक भारतीय सैनिक को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया था। इसकी आधारशिला 10 फरवरी, 1921 को शाम 4:30 बजे माननीय डयूक ऑफ कनॉट द्वारा एक सैन्य समारोह के दौरान भारतीय सेना के सदस्यों और इंपीरियल सर्विस टॉप्स के सदस्यों के साथ रखी गई थी। यह प्रोजेक्ट 10 साल में पूरा हुआ और 12 फरवरी, 1931 को वाइसरॉय, लॉर्ड इरविन ने इंडिया गेट का उदघाटन किया। साल 1920 तक, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पूरे शहर का एकमात्र रेलवे स्टेशन हुआ करता था। उस समय आगरा-दिल्ली रेलवे लाइन वर्तमान इण्डिया गेट के निर्माण-स्थल से होकर गुजरती थी। बाद में इस रेलवे लाइन को यमुना नदी के पास स्थानान्तरित कर दिया गया। जब साल 1924 में यह मार्ग शुरू हुआ तब इस स्मारक स्थल का निर्माण कार्य शुरू हो सका।
इंडिया गेट के रोचक तथ्य
- इसका डिजाइन एड्विन लैंडसियर लूट्यन्स द्वारा तैयार किया गया था और साल 1931 में इसका निर्माण कार्य सम्पन्न हुआ था।
- इस दर्शनीय स्मारक का निर्माण करने में मुख्य रूप से लाल और पीले पत्थरों का उपयोग किया गया है, जिन्हें खासतौर पर भरतपुर से लाया गया था।
- यह एक षट्कोणीय जगह के बीचों बीच स्थित है, जिसका व्यास 625 मीटर है, क्षेत्रफल 360,000 वर्ग मीटर और चौड़ाई 9.1 मीटर है।
- इसकी ऊंचाई 137.79 फुट (42 मीटर) है।
- इस स्मारक की संरचना पेरिस के आर्क डे ट्रॉयम्फ़ से प्रेरित है।
- इसके कोने के मेहराबों पर ब्रितानिया-सूर्य अंकित है, जबकि महराब के दोनों ओर इंडिया छपा हुआ है। इसके नीचे MCMX। (1914 बाई तरफ) और MCMXIX (1919 दाई तरफ) छपा है।
- जब इण्डिया गेट बनकर तैयार हुआ था तब इसके सामने जार्ज पंचम की एक मूर्ति लगी हुई थी, जिसे बाद में अंग्रेजी राज की अन्य मूर्तियों के साथ कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया।
- इस स्मारक में साल 1919 में हुए अफगान युद्ध के दौरान पश्चिमोत्तर सीमांत (अब उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान) में शहीद हुए 13516 से अधिक ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों के नाम छपे हुए है।
- इस स्मारक को 10 साल बाद तत्कालीन वायसराय लार्ड इर्विन ने राष्ट्र को समर्पित किया था।
- इण्डिया गेट के मेहराब के नीचे साल 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में वीरगति को प्राप्त होने वाले शहीद भारतीय सैनिकों के सम्मान में अमर जवान ज्योति (अमर योद्धाओं की लौ) की स्थापना की गई थी। यह अमर-ज्योति दिन-रात जलती रहती है।
- अमर जवान ज्योति का निर्माण काले संगमरमर से किया गया है, इसके ऊपर एक बंदूक और एक सैनिक की टोपी रखी हुई है।
- भारत के प्रधानमंत्री और भारतीय सशस्त्र बलों के प्रमुख 26 जनवरी, विजय दिवस और इन्फैन्ट्री डे पर अमर जवान ज्योति में श्रद्धांजलि देते हैं।
- दिल्ली के लोग और पर्यटक शाम के समय प्रतिदिन इंडिया गेट के पास घूमने जाते हैं और इसके आस-पास के सुंदर नज़रों जैसे फव्वारों, लाइट
- दिल्ली के लोग और पर्यटक इसके आसपास के लॉन, फव्वारे और राष्ट्रपति भवन के दृश्य के कारण यहाँ अपने परिवार के साथ घूमने जाते हैं।