जैसलमेर का किला संक्षिप्त जानकारी
स्थान | जैसलमेर, राजस्थान (भारत) |
निर्माण | 1156 |
निर्माता | राजा जैसल |
प्रकार | किला |
जैसलमेर का किला का संक्षिप्त विवरण
भारतीय राज्य राजस्थान के जैसलमेर में स्थित जैसलमेर किला विश्व के सबसे बड़े किलो में से एक है। इस किले को 'सोनार किला' या 'स्वर्ण किला' भी कहा जाता है क्योंकि पीले बलुआ पत्थर से निर्मित यह किला सूर्यास्त के समय सोने की तरह चमकता है। इस किले के भीतर बहुत ही सुन्दर महल, मंदिर और सैनिकों व व्यापारियों के आवासीय परिसर बने हुए हैं, जो इसे अन्य किलों से अलग बनाते हैं। यह किला जैसलमेर के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
जैसलमेर का किला का इतिहास
इस किले का निर्माण 1156 ई. में राजा जैसल द्वारा करवाया गया था, इसीलिए किले का नाम भी उन्ही के नाम पर रखा गया था। इस किले पर 13वी शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश के दूसरे शासक अलाउद्दीन खिलजी ने हमला किया और 9 साल तक इस किले पर अपना अधिपत्य जमाये रखा। राजपूत महिलाओं ने किले में खिलजी का कब्जा होने के बाद जौहर भी किया था। 1541 ई. में इस किले पर दूसरा हमला मुगल सम्राट हुमायूं ने किया था।
इसके बाद मुगलों के साथ संबंध सुधारने के लिए राजा रावल ने 1541 ई. में अकबर के साथ अपनी पुत्री की शादी कर दी। किले पर 1762 तक मुगलों का कब्जा रहा। जिसके बाद इस किले पर महारावल मूलराज का राज रहा। इसके बाद मूलराज और अंग्रेजों के बीच संधि हो गई और उनका कब्जा किले पर बना रहा। सन 1820 में मूलराज की मृत्यु के बाद यहां का शासन उसके पोते गज सिंह के हाथों में आ गया था।
जैसलमेर का किला के रोचक तथ्य
- जैसलमेर का किला 1156 ई0 में थार मरुस्थल की त्रिकुटा पहाड़ी के ऊपर पर बनाया गया था।
- इस पहाड़ी की लंबाई 150 फीट और चौडाई 750 फीट है।
- यह किला एक 30 फुट ऊंची दीवार से घिरा हुआ है। यह एक विशाल 99 बुर्जों वाला किला है।
- इस किले को बनाने में बेहद ही खूबसूरत तरीके से पीले और सुनहरे पत्थरों के विशाल खण्डों का प्रयोग किया गया था, पूरे फोर्ट में कहीं भी चूना या गारे का इस्तेमाल नहीं किया गया था।
- किले की पहाड़ी तलहटी में चारों ओर 15 से 20 फीट की ऊँचाई का एक घाघरानुमा परकोट खिचा हुआ है, इसके बाद 200 फीट की ऊँचाई पर एक परकोट है, जिसकी ऊंचाई 10 से 156 फीट है।
- यह दुर्ग तीन मंजिला है, जिसमें पहले तल पर राज सभा का विशाल कक्ष है, दूसरी मंजिल पर खुली छत, कुछ कमरे व सुंदर झरोखों से युक्त कटावदार बारादरियाँ हैं।
- इस किले में राजपूत और मुगल स्थापत्य शैली का मिश्रण देखने को मिलता है।
- फोर्ट के अन्दर एक शानदार जलनिकासी सिस्टम भी है जिसे घुट नाली नाम दिया गया है जो बरसात के पानी को किले से आसानी से बहार निकाल देता है।
- वर्तमान में, यह शहर की आबादी के एक 1/4 भाग के लिए एक आवासीय स्थान है। किले के अन्दर कई कुएं हैं जो यहाँ के निवासियों के लिए पानी का प्रमुख स्रोत हैं।
- प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्देशक सत्यजीत राय ने किरण पर आधारित सोनार केला (द गोल्डन किले), एक जासूसी का उपन्यास लिखा था और बाद में उन्होंने इसे फिल्माया।
- जून 2013 के दौरान नोम पेन्ह में विश्व धरोहर समिति की 37 वीं बैठक के दौरान जैसलमेर फोर्ट को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया गया था।
- राजस्थान के अन्य किलों की भांति इस किले में भी अखाई पोल, हवा पोल, सूरज पोल और गणेश पोल जैसे कई द्वार हैं। सभी द्वारों में अखाई पोल या प्रथम द्वार अपनी शानदार स्थापत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है।
- इसके अलावा यहां एक भव्य लाइब्रेरी भी है, जहां पर पर्यटक पुरातत्व से संबंधित पुस्तके पढ़ सकते हैं ।
- यह किला सैलानियों के लिए सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुलता है। इसके अन्दर संग्रहालय भी स्थित है, जिसका प्रवेश शुल्क 50 रूपए प्रति व्यक्ति है।