जंतर मंतर जयपुर संक्षिप्त जानकारी
स्थान | जयपुर, राजस्थान राज्य (भारत) |
निर्माण (किसने बनवाया) | राजा सवाई जयसिंह |
निर्माणकाल | 1724 ई॰ से 1734 ई॰ के मध्य |
प्रकार | खगोलीय वेधशाला |
खुलने का समय | सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक |
प्रवेश शुल्क | 50 रुपए तथा विदेशियों के लिए 200 रुपए |
निर्माण सामग्री | स्थानीय पत्थर और संगमरमर |
जंतर मंतर जयपुर का संक्षिप्त विवरण
भारतीय राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित जंतर-मंतर भारत में स्थित सबसे जाने माने जंतर-मंतरों में से एक है। इसका निर्माण 1724 ई॰ से 1734 ई॰ के मध्य कछवाहा वंश के प्रतापी राजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा करवाया गया था। जयपुर का जंतर मंतर एक खगोलीय वेधशाला है, जिसका निर्माण सूर्य की स्थिति से समय पता लगाने के लिए किया जाता था।
जंतर मंतर जयपुर का इतिहास
जयपुर में जंतर मंतर के निर्माण का को कोई लिखित प्रमाण नहीं है, परंतु जंतर मंतर के अंदर उपलब्ध उपकरण 1728 ई॰ में बनाए गए थे और यह निर्माण 1738 ई॰ तक जारी रहा था। जब यह बनकर तैयार हुआ तब इसके लिए लगभग 23 खगोलशास्त्रीयों को जयपुर में नियुक्त किया गया था। जिसके बाद राजा सवाई जयसिंह ने मुख्य वेधशाला के रूप में दिल्ली की जमीन को खरीदा था। परंतु 1743 ई॰ में जब राजा की मृत्यु हुई तब जयपुर का जंतर मंतर राजा की केंद्रीय वेधशाला हुआ करता था।
राजा की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार के लिए गृह युद्ध हुआ जिसमें ईश्वर सिंह के उत्तराधिकारी ने वेधशाला के लिए समर्थन किया था। बाद में वेदशाला में 1778 ई॰ से 1803 ई॰ के मध्य प्रताप सिंह द्वारा जंतर मंतर में पुनःनिर्माण करके परिवर्तन किया गया। परंतु इससे वेधशाला की गतिविधियों का अंत हो गया और बाद में यह प्रताप सिंह द्वारा एक बंदूक कारखाने में बादल दिया गया। जिसके बाद 1835 ई॰ से 1880 के मध्य राम सिंह द्वारा जंतर मंतर के उपकरणों की दौबरा मरम्मत की गई, जिससे यह वेधशाला फिर से कार्यरत हो गई।
जंतर मंतर जयपुर के रोचक तथ्य
- जयपुर के मंतर जंतर को 282 साल पूर्व लकड़ी, चूने, पत्थर और धातु से निर्मित यंत्रों के माध्यम से आकाशीय घटनाओं के अध्ययन की भारतीय विद्या को 'अद्भुत' मानते हुए इस स्मारक को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया है।
- यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल जयपुर का जंतर मंतर भारत के राजस्थान राज्य का पहला और भारत देश का 28 वां स्मारक है। इसके रखरखाव के लिए यूनेस्को 40 हजार डॉलर की अंतर्राष्ट्रीय राशि फंड के रूप में देता है।
- जयपुर के जंतर मंतर में स्थित प्रमुख यन्त्र की सूची में दिगंश, राजयंत्र, उन्नतांश यन्त्र, यन्त्र बृहत सम्राट यन्त्र, लघु सम्राट यन्त्र, जयप्रकाश यन्त्र, रामयंत्र, ध्रुवयंत्र, दक्षिणायन्त्र, लघुक्रांति यन्त्र, नाड़ीवलययन्त्र, राशिवलय, दिशायन्त्र, दीर्घक्रांति यन्त्र, राजयंत्र, और उन्नतांश यन्त्र शामिल हैं
- उन्नतांश यंत्र का उपयोग आकाश में पिंड के उन्नतांश और कोणीय ऊंचाई मापने के रूप में किया जाता है यह जंतर मंतर के प्रवेश द्वार के निकट एक गोलाकार खुली हुई चौकोर और चौरस जगह पर स्थित है।
- जयपुर के जंतर मंतर में दक्षिणोदक भित्तियंत्र एक दीवार के आकार की इमारत है जिसे दक्षिणोदक भित्तियंत्र के नाम से जाना जाता है। यह प्रवेश द्वार से पूर्वी दिशा की ओर स्थित है इस यंत्र का उपयोग मध्यान्न समय में सूर्य के उन्नतांश और उन के द्वारा सूर्य क्रांति व दिनमान इत्यादि के लिए किया जाता था।
- सम्राट यंत्र जयपुर के जंतर मंतर का सबसे बड़ा यंत्र है, क्योंकि इसका शीर्ष 90 फीट ऊंचाई पर स्थित है जिसके कारण इसे सम्राट यंत्र के नाम से जाना जाता है इसका उपयोग ग्रह नक्षत्रों की क्रांति, विषुवांश और समय ज्ञान के लिए किया जाता था।
- जंतर मंतर में स्थित जयप्रकाश यांत का आविष्कार स्वंय राजा जयसिंह ने किया था और इसकी बनावट एक कटोरे के आकार की है जिसके कारण सभी यंत्रों में सबसे इसे सबसे अनोखा यंत्र माना जाता है जिसके साथ की इस यंत्र का उपयोग खगोलीय परिदर्शन, प्रत्येक पदार्थ के ज्ञान, और सूर्य की किसी राशि में अवस्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता था।
- इसी प्रकार नाड़ीवलय यंत्र का उपयोग स्थानीय समय का उपयुक्त अनुमान लगाने के लिए, ध्रुवदर्शक पट्टिका का उपयोग ध्रुव तारे की स्थिति और दिशा ज्ञान के लिए, लघु सम्राट यंत्र का उपयोग समय की सटीक गणना करने के लिए किया जाता था लघु सम्राट यंत्र को धूप घड़ी के नाम से भी जाना जाता है।
- जयपुर के जंतर में स्थित राशि वलय यंत्र का उपयोग ग्रह-नक्षत्रों की अवस्था को दर्शाने के लिए, चक्र यंत्र का उपयोग खगोलीय पिंडों के दिक्पात और तात्कालिक के भौगोलिक निर्देशकों का मापन करने के लिए, रामयंत्र का उपयोग खगोलीय गणनाएं करने के लिए, और अंत में दिगंश यंत्र पिंडों के दिगंश का अध्यन करने के लिए उपयोग किया जाता था।
जंतर मंतर जयपुर कैसे पहुँचे
- जयपुर में स्थित जंतर मंतर का सबसे निकटतम मेट्रो स्टेशन चांदपोल मेट्रो स्टेशन है यह खगोलीय वेधशाला से 1.9 किमी की दूरी पर स्थित है।
- इसके अतिरिक्त जंतर मंतर से 4.7 किमी की दूरी पर स्थित जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन इस स्मारक का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है।