जूनागढ़ किला संक्षिप्त जानकारी
स्थान | बीकानेर, राजस्थान (भारत) |
निर्माण | 1589-1594 ई. |
निर्माता | बीकानेर के राजा राय सिंह के तहत करण चंद द्वारा |
प्रकार | किला |
जूनागढ़ किला का संक्षिप्त विवरण
भारत के सबसे प्रसिद्ध किलो में से एक जूनागढ़ किला भारतीय राज्य राजस्थान के सबसे खूबसूरत जिलो में से एक बीकानेर में स्थित है। यह किला भारत के सबसे धनी और ऐतिहासिक किलो में से एक है, जिसका निर्माण प्रसिद्ध राजस्थानी शासक राजा राय सिंह के एक भरोसेमंद दरबारी ने करवाया था।
जूनागढ़ किला का इतिहास
वर्तमान किले से पहले यहाँ पर वर्ष 1478 ई. में राव बिका ने एक किले का निर्माण करवाया था। बीकानेर शहर और इस किले का इतिहास राजा बिका से जुड़ा हुआ है। राजा बिका के शासन के लगभग 100 वर्ष बाद बीकानेर का शासन राजा राय सिंह के अधीन आ गया था, जिन्होंने बाद में मुगलो के अधिपत्य को स्वीकार कर मुग़लो के दरबार में मुख्य सेनापति का पद प्राप्त किया था।
लगातार विजय प्राप्त करने के कारण उन्हें मुगलों द्वारा गुजरात और बुरहानपुर की शासन व्यवस्था उपहार स्वरूप दे दी गई थी। उन्होंने अपने शासित क्षेत्रो से अच्छी मात्रा में राजस्व अर्जित कर जूनागढ़ किले का निर्माण का कार्य वर्ष 1589 ई. में शुरू करवाया जिसे कुछ समय बाद ही वर्ष 1594 ई. तक बनाकर तैयार कर दिया गया था।
जूनागढ़ किला के रोचक तथ्य
- इस भव्य और ऐतिहासिक किले के वर्तमान स्वरूप का निर्माण लगभग 1589 ई. से 1594 ई. के मध्य में राजा राय सिंह ने करवाया था।
- इस किले के निर्माण में लगभग 5 वर्षो से अधिक का समय लगा था, इसका निर्माण वर्ष 1589 ई. में शुरू किया गया था जिसे वर्ष 1594 ई. तक बनाकर पूर्ण कर दिया गया था।
- यह किला भारत के सबसे ऊँचे किलो में से है, जिसकी औसत ऊँचाई लगभग 230 मीटर है।
- बीकानेर के मैदानी इलाके में बने इस किले के अभिन्यास का आकार आयताकार है, जिसकी परिधि की लंबाई लगभग 986 मीटर है।
- यह किला भारत के सबसे विशाल किलो में शामिल है, जोकि लगभग 5.28 हेक्टेयर क्षेत्रफल के क्षेत्र में फैला हुआ है।
- इस किले की बाहरी सुरक्षा दीवारे लगभग 14.5 फीट चौड़ी और 12 मीटर ऊंची हैं।
- इस किले में सुरक्षा की दृष्टि से बहरी दीवारों के ऊपर लगभग 37 से अधिक बुर्जों को बनाया गया था, जिसमे हथियार से युक्त सैनिक खड़े रहते थे।
- इस किले के काफी बड़े क्षेत्रफल में फैले होने होने के कारण इसमें लगभग 7 बड़े प्रवेश द्वारो का निर्माण किया गया था, जिसमे से केवल 2 ही अच्छी तरह से मजबूत बनाये गये थे।
- इस किले के भीतर कई प्रसिद्ध मंदिर स्थित है जिसमे “हर मंदिर” शाही लोगो के लिए और “रतन बेहरी मंदिर” सामान्य जनता के लिए था, इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1846 ई. इंडो-मुगल वास्तुकला शैली में किया गया था।
- इस किले में बना करण महल भारतीय वास्तुकला का बेजोड़ उदाहारण है क्यूंकि इसमें 1 सुंदर बाग़, पत्थर और लकड़ी के बने स्तंभ, नक्काशीदार बालकनी और शीशे वाली खिड़कियां सम्मिलित है, जिनका निर्माण वर्ष 1680 ई. में करण सिंह ने मुगल सम्राट औरंगजेब पर अपनी जीत को चिन्हित करने के लिए किया था।
- इस किले में स्थित फूल महल ("फ्लावर पैलेस") किले का सबसे पुराना और सुंदर हिस्सा है, जिसका निर्माण राजा राय सिंह वर्ष 1571 से 1668 ई. के बीच शासन किया था।
- अनूप सिंह ने वर्ष 1669 से 1698 ई. के मध्य करण महल में संसोधन किया जो एक बहु मंजिला संरचना है, इसमें उन्होंने दर्पण युक्त छत, इतालवी टाइल्स वाली अलंकृत बालकनी, जनाना तिमाही, दीवान-ऐ-आम और खिड़कियों को बनाकर इस महल का नाम अनूप महल रख दिया था।
- इस किले की एक सबसे प्रमुख संरचना चंद्र महल है जिसका निर्माण वर्ष 1746 से 1787 ई. के मध्य राजा गज सिंह द्वारा करवाया गया था, इस महल में शाही बेडरूम और सोने से बनाई हुई भगवानो की प्रतिमाएं काफी लोकप्रिय है।
- इस किले के भीतर स्थित “गंगा महल” का निर्माण 20वीं शताब्दी ई. में महराजा गंगा सिंह द्वारा किया गया था। इस महल की प्रमुख विशेषता इसका संग्रहालय है जिसे “बड़ा दरबार हॉल” (गंगा हॉल) के नाम से जाना जाता है। इस संग्रहालय में प्रथम विश्व युद्ध के हथियार और हवाई जहाज को संभालकर रखा गया है।
- इस किले में स्थित बादल महल अनुप महल परिसर का ही एक हिस्सा है, जिसका निर्माण 1872 से 1887ई. के मध्य राजा डूंगर सिंह ने करवाया था।
- इस किले के भीतर स्थित “किला संग्रहालय” (फोर्ट म्यूजियम) की स्थापना वर्ष 1961 ई. में "महाराजा राय सिंहजी ट्रस्ट" के नियंत्रण में महाराजा डॉ. कर्नी सिंहजी द्वारा की गई थी।