खजुराहो स्मारकों का समूह संक्षिप्त जानकारी
स्थान | छतरपुर, मध्य प्रदेश (भारत) |
निर्माता | चंदेल वंश द्वारा |
स्थापना | 970 ई. से 1030 ई. के मध्य |
प्रकार | धार्मिक स्थल, मंदिर |
खजुराहो स्मारकों का समूह का संक्षिप्त विवरण
भारत अपनी संस्कृति और कला के लिए विश्व में विख्यात है। भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के प्रांत छतरपुर में स्थित खजुराहो स्मारक समूह अपनी कलाकृति, स्थापत्य शैली और इतिहास के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार की मूर्तियाँ भी उत्कृष्ट की गई है जो ऐसा प्रतीत कराती है की भारतीय इतिहास पुन: सजीव हो उठा हो।
खजुराहो स्मारकों का समूह का इतिहास
इस स्मारक समूह के मंदिरों का निर्माण वर्तमान से लगभग 1000 वर्ष पूर्व, चन्देल राजवंश के शासनकाल के समय में हुआ था। उस समय यह राजवंश अपनी विरासत को मजबूत कर रहा था जिसे बाद में बुंदेलखंड के नाम से जाना जाने लगा था। इस स्मारक समूह में अधिकतर मंदिरों का निर्माण भारतीय हिन्दू राजा धंगदेवा और यशोवर्मन के शासन काल में हुआ था।
यशोवर्मन चन्देल वंश का शासक था जिसने लक्ष्मण मंदिर का निर्माण करवाया था और धंग यशोवर्मन का पुत्र था जिसने विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। इस स्मारक समूह का वर्तमान में सबसे लोकप्रिय मंदिर कन्दारिया महादेव मंदिर है जिसका निर्माण एक चन्देल शासक विद्याधर ने करवाया था। इन मंदिरों में मौजूद अभिलेखों और शिलालेखो से यह पता चलता है की इनका निर्माण 970 ई. से 1030 ई. के मध्य में हुआ था।
मध्यकालीन महोबा शहर से लगभग 35 मील की दूरी पर यह स्मारक समूह के मंदिर बनाए गये थे। महोबा (कालिंजर क्षेत्र) उस चन्देल राजवंश की राजधानी थी। वर्ष 1022 ई. में महमूद गजनवी ने कालिंजर क्षेत्र पर आक्रमण कर दिया था, जिसमे उसके साथ आए एक फारसी इतिहासकार अल बेरुनी ने अपनी पुस्तक में यह लिखा था कि खजुराहो जेजाहुती की राजधानी थी। महमूद गजनवी का यह युद्ध असफल रहा क्योंकि उस समय एक हिन्दू शासक ने उसे कुछ धन-संपदा देकर एक समझौता कर लिया था।
इन मंदिरो का उपयोग लगभग 12वीं शताब्दी तक बंद हो चुका था, जब 13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के शासक कुतुब-उद-दीन ऐबक ने चन्देलों के साथ युद्ध में विजय प्राप्त की तो उसने यहाँ की राजधानी को भी बदल दिया था। वर्ष 1335 से 1342 ईस्वी के मध्य एक मोरोकन यात्री इब्नबतूता ने इस क्षेत्र का भ्रमण किया और उसने खजुराहो को "कजरा" कहकर संबोधित किया था। लगभग 13वीं से 18वीं शताब्दी के मध्य भिन्न-भिन्न मुस्लिम शासकों ने खजुराहो पर शासन किया था जिन्होने इसे काफी क्षति भी पंहुचाई थी।
वर्ष 1495 ई. में सिकन्दर लोदी ने एक अभियान चलाया जिसमें उसने खजुराहो के मंदिरो को काफी क्षति पंहुची थी। 1930 के दशक में ब्रिटेनी सर्वेक्षक टी.एस. बर्ट ने खजुराहो के मन्दिरों की पुनः खोज की थी, जिसके तुरंत बाद अंग्रेजी पुरात्त्वशास्त्री "अलेक्ज़ैंडर कन्निघम" ने बर्ट की खोज का पुनरीक्षण किया और पाया कि इन मंदिरो में हिन्दू योगी और हज़ारों की संख्या में हिन्दू भक्त मार्च और फ़रवरी माह के मध्य यहाँ शिवरात्रि का उत्सव मनाया करते थे।
खजुराहो स्मारकों का समूह के रोचक तथ्य
- इस विश्व प्रसिद्ध स्मारक समूहों का निर्माण कार्य लगभग 950 ई. और 1050 ई. के मध्य चंदेला राजपूत राजवंश के द्वारा कराया गया था।
- खजुराहो में मुस्लिम शासको के शासन से पहले लगभग 85 हिंदू मंदिर मौजूद थे, जिनमे से कुछ उनके और कुछ प्राकृतिक आपदाओ के कारण नष्ट हो गये थे। वर्तमान में वहाँ लगभग 22 हिंदू मंदिर मौजूद हैं।
- इस प्रसिद्ध स्मारक समूह के मंदिरो का छायाचित्र 1852 ई. में मेसे द्वारा तैयार किया गया था।
- इस महान स्मारक समूह को वर्ष 1986 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया था।
- इस स्मारक समूह में स्थित कंदरिया महादेव मंदिर सबसे ख़ास है, जिसकी ऊंचाई 107 फुट है और इसके भीतर लगभग246 आकृतियाँ व बाहर लगभग 646 आकृतियों की गणना की गई है।
- खजुराहो में मध्यकालीन हिंदू और जैन मंदिरों का सबसे बड़ा समूह उपस्थित है, इन मंदिरो को सजाने के लिए कामुक मूर्तियों का उपयोग किया गया था जिसने इस मंदिर को और भी प्रसिद्ध बना दिया था।
- खजुराहो का यह नाम हिंदी शब्द 'खजूर' से लिया गया है, जिसका अर्थ है “खजूर का पेड़”।
- इन स्मारकों को मध्यकालीन भारतीय वास्तुशिल्प प्रतिभा का "उच्च बिंदु" माना जाता है क्यूंकि इस पर की गई नक्काशी उस समय की सबसे अद्भुत नक्काशियों में से एक थी।
- खजुराहो मंदिरो को भौगोलिक दिशा के रूप से तीन विभागों में विभाजित किया गया है जिन्हें पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्र कहा जाता हैं।
- खजुराहो के आकर्षक मंदिर अत्यधिक विकसित सभ्यता की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह स्मारक भारत में पर्यटकों को अपनी ओर मुख्य रूप से आकर्षित करते है।