मोती मस्जिद संक्षिप्त जानकारी

स्थानआगरा, उत्तर प्रदेश (भारत)
स्थापना (निर्माण)16वीं शताब्दी (1648-1654)
निर्माताशाहजहाँ
प्रकारमस्जिद

मोती मस्जिद का संक्षिप्त विवरण

मोती मस्जिद मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा निर्मित भव्य रचनाओं में से एक है जोकि भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा में स्थित है। मस्जिद का नाम इसकी रचना की वजह से पड़ा, क्यूंकि यह एक बड़े मोती की तरह चमकती है। प्रसिद्ध मुगल सम्राट शाहजहां के युग को भारतीय इतिहास में कला और वास्तुकला का स्वर्णिम काल कहा जाता है। उनके शासनकाल के दौरान बहुत सी अद्भुत इमारतों का निर्माण हुआ था।

उन्होंने ताज महल, आगरा किला, लाल किला (दिल्ली) और जामा मस्जिद (दिल्ली) जैसे विश्व प्रसिद्ध स्मारकों का निर्माण करवाया था। मोती मस्जिद को “Pearl Mosque” की उपाधि दी गयी है।

मोती मस्जिद का इतिहास

मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा इस मस्जिद का निर्माण 16वीं शताब्दी में किया गया था। ऐसा माना जाता है कि इस मस्जिद का निर्माण सम्राट ने अपने शाही दरबार के सदस्यों के लिए करवाया था। सफेद संगमरमर से बेहद कलात्मक रूप से बनी यह मस्जिद देखने में बहुत ही भव्य लगती है, जिस कारण हर साल हजारों की संख्या में आगरा आने वाले पर्यटक इस मस्जिद को देखे बगैर नहीं जाते है।

मोती मस्जिद के रोचक तथ्य

  1. इस भव्य मस्जिद को बनाने में 6 साल का समय लगा था। इसका निर्माण कार्य लगभग 1648 में आरम्भ हुआ और 1654 में पूरा हुआ था।
  2. मस्जिद के निर्माण के लिए शुद्ध सफेद पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था, जिसके कारण यह मोती के समान चमकदार सफेद मख़मली दिखाई पड़ती है।
  3. मोती मस्जिद में 7 खण्ड है, जिनको खंडदार मेहराब और खम्बो ने सहारा दे रखा है, आगे प्रत्येक को फिर से तीन गलियारों में विभाजित किया गया है।
  4. मस्जिद की छत पर 3 गुंबद बने हैं, जिन्हें सफेद संगमरमर से बनाया गया हैं। गुम्बद की दीवारों को लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया हैं।
  5. मस्जिद के बायीं तरफ दीवान-ऐ-आम स्थित है, यह वे स्थान है जहां पर सम्राट अपनी प्रजा से भेंट करने के लिए दरबार को आयोजित करते थे।
  6. मस्जिद में बने फर्श का ढलान पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा की ओर नीचे की तरफ जाता है।
  7. मस्जिद परिसर के मध्य के एक संगमरमर का टैंक है और साथ ही एक पारम्परिक धूप घड़ी जो दरबार के एक कोने पर स्थित अष्टकोणीय संगमरमर के स्तंभ पर स्थापित की गयी है।
  8. मस्जिद के अन्दर 3 प्रवेश द्वार है, जिनमे से सबसे बड़ा द्वार परिसर की पूर्वी तरफ स्थित है जिसे मुख्य द्वार भी कहा जाता है। दक्षिणी और उत्तरी छोर पर बाकी दो अतिरिक्त द्वार है।
  9. मस्जिद के मुख्य इबादत कक्ष के एक हिस्से को जालियों से ढका गया है, जिससे मुगल महिलाएं भी इस इबादत खाने में इबादत कर सकें। इन जालियों का निर्माण सफेद संगमरमर से किया गया है।
  10. दुनिया में स्थित सभी मस्जिदो के मंच में 3 सीढ़िया होती है, लेकिन ये एकमात्र ऐसी मस्जिद है जिसमे चार सीढ़िया है।
  11. यहाँ गुम्बंददार खोखो से बनी एक श्रृंखला है, जिनका निर्माण मुख्य तौर पर हिन्दू वास्तुकला से प्रेरित होकर किया गया था।
  12. यह मस्जिद मुग़ल शासनकाल में बनी सबसे महँगी वास्तुकलाओं में से एक है। उस समय इसकी कुल निर्माण लागत 1,60,000 रूपए थी।
  13. इस मस्जिद की वास्तुशिल्प शैली की कुछ विशेषताएं मास्को स्थित संत बासिल कैथिडरल से काफी मिलती-जुलती है।
  14. मुग़लकाल में बनी सभी इमारतों की ही तरह इस मस्जिद का निर्माण भी सममितीय डिजाइन से किया गया है, जो देखने में बहुत ही आकर्षक लगती है।
  15. यह मस्जिद यमुना नदी के किनारे पर आगरा शहर के करीब ही स्थित है।
  16. समिति द्वारा मस्जिद में प्रवेश करने के लिए कुछ शुल्क निर्धारित किये हुए है जिनके अनुसार भारतीय नागरिकों का शुल्क 20 रूपए और विदेशी पर्यटकों को 750 रूपए का शुल्क अदा करना होता है।

  Last update :  Wed 3 Aug 2022
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