मुगल गार्डन संक्षिप्त जानकारी
स्थान | दिल्ली, भारत |
निर्माणकाल | 1912 ई.-1929 ई. |
वास्तुकार | एड्विन लैंडसियर लूट्यन्स |
प्रकार | गार्डन (उद्यान) |
मुगल गार्डन का संक्षिप्त विवरण
मुगल गार्डन देश की राजधानी नई दिल्ली में राजपथ के पश्चिमी छोर पर बने राष्ट्रपति भवन के पीछे के हिस्से में स्थित हैं। राष्ट्रपति भवन लगभग 130 हेक्टेयर (320 एकड़) में फैला है, जिसमें यह विशाल उद्यान भी शामिल है।
यहां पर आप दुनियाभर के खूबसूरत रंग-बिरंगे फूलों को देख सकते है। इस उद्यान में अंग्रेजी शैली के साथ-2 मुगल शैली की झलक साफ़ देखी जा सकती है। यह गार्डन हर साल बसंत ऋतु यानी फरवरी के महीने में पर्यटकों के लिए खुलता है। यह उद्यान दिल्ली में सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक उद्यानों में से एक है।
मुगल गार्डन का इतिहास
जब साल 1911 में ब्रिटिशों ने देश की राजधानी कलकत्ता से बदलकर दिल्ली की, तो उन्होंने दिल्ली को नया रूप देने के लिए मशहूर ब्रिटिश वास्तुकार एडवर्ड लुटियन्स को इंग्लैंड से भारत बुलाया।
लुटियन्स ने दिल्ली आने के बाद वायसराय हाउस (वर्तमान राष्ट्रपति भवन) के लिए रायसीना की पहाड़ी को चुना और एक नक्शा तैयार किया, जिसमें भवन के साथ एक ब्रिटिश शैली का गार्डन भी था।
तत्कालीन वाइररॉय लॉर्ड हार्डिंग की पत्नी लेडी हार्डिंग ने श्रीनगर में निशात बाग और शालीमार बाग देखे थे जिन्होंने उनका मन मोह लिया था, तब उन्होंने यहां पर भारतीय शैली के गार्डन बनाने का प्रस्ताव दिया था। सर एडविन लुटियंस लॉर्ड हार्डिंग का बहुत सम्मान करते थे, इसलिए उनके दिए हुए सुझावों के अनुसार फिर से नक्शा तैयार किया। वायसराय हाउस को बनाने की शुरुआत सन 1912 ई. में हुई और 1929 ई. तक इसे अंतिम रूप दिया था।
मुगल गार्डन के रोचक तथ्य
- राष्ट्रपति भवन परिसर के पिछले भाग में स्थित यह गार्डन 13 एकड़ में फैला है।
- मुगल गार्डन में 4 जलमार्ग हैं, जो कमल के आकार वाले लाल बलुआ पत्थर के फव्वारे के साथ उनके चौराहे पर बनाये गए हैं।
- यहां पर कई छोटे-बड़े बगीचे मौजूद हैं जैसे पर्ल गार्डन, बटरफ्लाई गार्डन और सकरुलर गार्डन आदि।
- इस गार्डन के सबसे बड़े भाग को पीस द रेज़िस्टेन्स कहा जाता हैं। जिसकी लम्बाई 200 मी. और चौड़ाई 175 मी. है। इसके उत्तर और दक्षिण भाग में टेरेस गार्डन और इसके पश्चिम में एक टेनिस कोर्ट तथा लॉन्ग गार्डन स्थित हैं।
- इस गार्डन के अन्दर एक हर्बल गार्डन भी मौजूद है, यहाँ लगभग 33 जड़ी बूटी के हर्बल पौधे पाए जाते है।
- इस उद्यान में आप ट्यूलिप की आठ किस्मों के लगभग 10000 पौधे एक साथ देख सकते है।
- इसके अलावा यहाँ 70 किस्म के मौसमी फूल और 50 किस्मों के लगभग 300 बौने पौधे (बोनसाई) भी पाए जाते है।
- यहां पर उत्तर से दक्षिण की और दो नहरें व दो नहरें पूर्व से पश्चिम को बहती हैं, जिनके बीच में संगम पर कमल के आकार के 6 फव्वारे बने हुए हैं। ये नहरें बाग को चार भागों में विभाजित करती हैं।
- इन फव्वारों से 12 फीट की ऊंचाई तक पानी की धार निकलती है।
- यह गार्डन बनावट के आधार पर चार हिस्सों में विभाजित है:- चतुर्भुज आकार, लम्बा उद्यान, पर्दा गार्डन और वृत्ताकार उद्यान आदि।
- लॉन को 'डूब' घास से ढंक दिया जाता है जिसे मूल रूप से बेलवेरे एस्टेट, कलकत्ता से लाया गया था जब उन्हें प्रारंभ में रखा गया था।
- सन 1947 में देश की आजादी के बाद वायसराय हाउस का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन कर दिया गया था।
- इस गार्डन में बोने नट व ओकलाहोमा को मिलाकर गुलाब की लगभग 250 से भी अधिक किस्में पाई जाती हैं। ओकलाहोमा गुलाब के फूल का रंग लगभग काला है।
- यहाँ नीले रंग के गुलाब की प्रजातियों में पैराडाइज, ब्ल्यूमून और लेडी एक्स शामिल हैं, इसके अलावा आप यहाँ हरे रंग के गुलाब के फूल भी देख सकते है।
- यहां कैलेन्डुला एन्टिरहिनम, ब्रासिकम, मेतुसेरिया, वेरबेना, एलिसम, डिमोरफोथेका, मेसमब्राइन्थेमम, एसोलझिया, लार्क्सपर, गजेनियां, गेरबेरा, गोडेतिया, लाइनेरिया, विओला, पैन्सी, स्टॉक तथा डहलिया, कारनेशन और स्वीटपी जैसे सर्दियों में खिलने वाले फूल भी बड़ी मात्रा में पाए जाते है।
- राष्ट्रपति भवन के गार्डन के विकास और रखरखाव के लिए वर्तमान में 300 से अधिक स्थायी और आकस्मिक कर्मचारी तैनात किए गए हैं।
- यह गार्डन हर साल फरवरी-मार्च में उद्यानोत्सव के दौरान सुबह 9:30 से लेकर शाम 5 बजे तक पर्यटकों के लिए खोला जाता है, लेकिन एंट्री सिर्फ 4 बजे तक ही मिलती है। यह गार्डन सोमवार को छोड़कर बाकी सभी दिन खुलता है।
- इस गार्डन में एंट्री फ्री होती है लेकिन आप अपने साथ बैग, बड़ा लेडीज़ पर्स, छाता, पानी की बोतल और खाने-पीने का सामान इत्यादि साथ लेकर नहीं जा सकते है।