नाहरगढ़ किला संक्षिप्त जानकारी
स्थान | जयपुर, राजस्थान (भारत) |
निर्माण | 1734 ई. |
निर्माता | महाराजा सवाई जय सिंह II |
प्रकार | किला |
नाहरगढ़ किला का संक्षिप्त विवरण
भारतीय राज्य राजस्थान में स्थित जयपुर जिसे भारत की पिंक सिटी के नाम से जाना जाता है, अपने यहाँ के किलो और मनमोहक दृश्यों के लिए पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। ऐसे तो राजस्थान को रजवाडो की भूमि कहा जाता है लेकिन इसे भारत का सबसे प्राचीन और सभ्य राज्य कहना भी गलत नही होगा। जयपुर में स्थित नाहरगढ़ किला अपनी अद्भुत बनावट, रक्षा और ऐतिहासिक साक्ष्यो के लिए पूरे विश्व में विख्यात है।
नाहरगढ़ किला का इतिहास
जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जय सिंह II द्वारा इस किले का निर्माण वर्ष 1734 में किया गया था। इस किले का निर्माण राजा को ग्रीष्मकाल में गर्मी से बचाने के लिए एक ठंडे निवास के रूप में किया गया था। यह किला महाराजा द्वारा बनवाए गए तीन किलो में से प्रथम था। इस किले का मूल नाम सुदर्शनगढ़ था, जिसे बाद में कुछ परिस्थियों को देखते हुए नाहरगढ़ में बदल दिया गया जिसका मतलब होता है ‘बाघों का निवास’। वर्तमान में इस किले का पुराना ढांचा अब खंडहर बन चुका है, परंतु महाराजा द्वारा 19वीं सदी में बनवाया गया महल अब भी अच्छी हालत में मौजूद है।
नाहरगढ़ किला के रोचक तथ्य
- इस विश्व प्रसिद्ध किले का निर्माण कार्य महाराजा सवाई जय सिंह II द्वारा वर्ष 1734 ई. में किया गया था।
- यह किला एक पहाडी पर बना हुआ है, जिस पर इसकी दीवारें भी फैली हुई हैं, जो इस किले को जयगढ़ से जोड़ती हैं, जो अम्बर की पुरानी राजधानी था।
- यह किला भारत में सबसे ऊंचाई पर बनाए गये किलो में से एक है, यह किला अरावली पर्वत श्रंखला पर बनाया गया है जिसकी ऊंचाई लगभग 1,722 मीटर है।
- इस किले का उपयोग 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान किया गया था, महाराजा ने इस किले में स्थानीय यूरोपीय, ब्रिटिशो और उनकी पत्नियों को रहने की अनुमति प्रदान की थी।
- वर्ष 1868 ई. में महाराजा साईं राम सिंह के शासनकाल के दौरान इस किले का मजबूती देने के लिए इसका विस्तार किया गया था।
- वर्ष 1883-92 ई. के मध्य में, इस किले में गढ़ पटेल की सहायता द्वारा साढ़े तीन लाख रुपये की लागत वाली एक श्रृंखला बनाई गई थी।
- इस किले के भीतर महाराजा सवाई माधो सिंह द्वारा बनाया गया “माधवेंद्र भवन” उनकी जयपुर की रानियों के शयनकक्ष थे, यह कक्ष गलियारे से जुड़े हुए है जिनके अभी भी कुछ नाजुक भित्तिचित्र वहाँ पर मौजूद है।
- इस किले का प्राचीन नाम सुदर्शनगढ़ था जिसे बाद में महराजा द्वारा नहरगढ़ में तब्दील कर दिया गया था।
- इस किले का उपयोग साल1944 तक, जयपुर राज्य सरकार द्वारा अपने आधिकारिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था।
- वर्तमान में इस किले का उपयोग एक पिकनिक स्थल की तरह किया जाता है जो जयपुर में काफी लोकप्रिय है। पर्यटक यहां आकर किले के परिसर में स्थित कैफेटेरिया और रेस्टोरेंट का काफी लुत्फ़ उठाते है।