पद्मनाभस्वामी मंदिर संक्षिप्त जानकारी
स्थान | तिरुवनंतपुरम केरल (भारत) |
निर्माण | 18वीं शताब्दी (वर्तमान स्वरूप) |
निर्माता | राजा मार्तण्ड |
प्रकार | हिन्दू मंदिर |
मुख्य देवता | भगवान विष्णु |
पद्मनाभस्वामी मंदिर का संक्षिप्त विवरण
भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक पद्मनाभस्वामी मंदिर भारतीय राज्य केरल की राजधानी तिरुवनन्तपुरम में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। इस मंदिर को तिरुमाला मंदिर भी कहते हैं। माना जाता है कि भगवान के 'अनंत' नामक नाग के नाम पर ही केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम का नाम रखा गया है।
यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का एक अदभुत उदाहरण है। भगवान विष्णु को समर्पित 108 वैष्णव मंदिरों में शामिल इस ऐतिहासिक मंदिर को देखने के लिए हजारो की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते है और यह स्थान तिरुवनंतपुरम के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है।
पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास
इस मंदिर के निर्माण के पीछे ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर सबसे पहले भगवान विष्णु की एक मूर्ति मिली थी, जिसके बाद यहां पर मंदिर बनवाया गया था। इस मंदिर के होने का जिक्र 9वीं शताब्दी के ग्रंथों में भी मिलता है, लेकिन इस भव्य मंदिर के मौजूदा स्वरूप का निर्माण 18वीं शताब्दी में त्रावनकोर के राजा मार्तण्ड द्वारा करवाया था। ऐसा माना जाता है कि इस शाही परिवार ने खुद को भगवान पद्मनाभ को समर्पित कर दिया था और इसी वजह से त्रावणकोर के राजाओं ने अपनी सारी संपत्ति पद्मनाभ मंदिर को सौंप दी।
त्रावणकोर के राजाओं ने वर्ष 1947 तक राज किया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इसे भारत में विलय कर दिया गया था, लेकिन पद्मनाभ स्वामी मंदिर को सरकार ने अपने कब्जे में नहीं लिया। इसे त्रावणकोर के शाही परिवार के पास ही रहने दिया गया, तब से पद्मनाभ स्वामी मंदिर का कामकाज शाही परिवार के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट चलाता आ रहा था।
साल 1991 में त्रावणकोर के अंतिम महाराजा बलराम वर्मा की मौत हो गई, थी जिसके बाद 2007 में एक पूर्व आईपीएस अधिकारी सुंदरराजन ने कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर राज परिवार के अधिकार को चुनौती दी थी।
वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने तहखाने खोलकर खजाने का ब्यौरा तैयार करने को कहा। देश के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार बनाई गयी समिति ने 27 जून 2011 को तहखाने खोलने का काम शुरू किया गया। मंदिर में खोले गए अब तक पांच तहखानों में करीब एक लाख करोड़ की संपत्ति निकली है, जबकि एक तहखाना अभी भी नहीं खोला गया है, जिसके बाद यह मंदिर का सबसे अमीर बन गया है।
पद्मनाभस्वामी मंदिर के रोचक तथ्य
- द्रविड़ एवं केरल की मिश्रित शैली में निर्मित पद्मनाभस्वामी मंदिर के एक तरफ खूबसूरत समुद्र तट और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाडि़यों के मध्य स्थित है।
- इस भव्य मंदिर का परिसर बहुत विशाल है, जिसकी ऊंचाई 7 मंजिला है। गोपुरम को बहुत ही सुन्दर कलाकृतियों से सजाया गया है।
- मंदिर में एक स्वर्ण स्तंभ भी बना हुआ है, जो इस मंदिर की खूबसूरती को ओर भी बड़ा देता है।
- इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की एक बड़ी मूर्ति विराजमान है। इस मूर्ति में भगवान विष्णु अपनी सवारी शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं, जिसे देखने के लिए रोजाना हजारों भक्त दूर दूर से यहां आते हैं।
- इस मंदिर के गलियारे में अनेक खम्बे भी बने हुए हैं जिनके पर अद्भुत नक्काशी की गई है, जो इसकी भव्यता में चार चाँद लगा देती है।
- मंदिर के पास में 'पद्मतीर्थ कुलम' नामक एक सरोवर भी है।
- मंदिर में पुरुष केवल धोती और महिलाएं साड़ी पहनकर ही प्रवेश कर सकती है।
- लगभग 260 साल पुराने इस मंदिर में केवल हिन्दू धर्म के लोगो का ही प्रवेश अनिवार्य हैं।
- हर साल मंदिर में केवल दो महत्वपूर्ण उत्सवों का आयोजन किया जाता है, जिनमें से एक मार्च एवं अप्रैल माह में और दूसरा अक्टूबर एवं नवंबर के महीने में मनाया जाता है।
- यह मंदिर एक ऐसे इलाके में बना हुआ है जहां कभी कोई विदेशी हमला नहीं हुआ। 1790 में टीपू सुल्तान ने मंदिर पर कब्जे की कोशिश की थी, लेकिन कोच्चि में उसे हार का सामना करना पड़ा था। टीपू से पहले भी इस मंदिर पर हमले और कब्जे की कोशिशें की गई थीं, लेकिन यह कोशिशें कभी कामयाब नहीं हो पाईं।
- आजादी के बाद से इस मंदिर का प्रबन्धन राजपरिवार के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा था, किन्तु वर्तमान समय में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय इस पर रोक लगा दी है।
- जून 2011 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार पुरातत्व विभाग व मंदिर ट्रस्टी को शामिल करते हुए मंदिर के दरवाजो को खोलने के लिए 7 लोगों की कमिटी बनाई गई थी। कागजी कार्रवाई में आसानी के लिए सभी तखखानों को ए, बी, सी, डी, ई और एफ नाम दिया गया। लोहे के दरवाजों के बाद एक और भारी लकड़ी का दरवाजा खोलते हुए जमीन के अंदर 20 फुट की खुदाई कर बाकी तहखाने तो खुल गए, लेकिन बी चैंबर नहीं खुल सका। सुप्रीमकोर्ट ने इस तहखाने को खोलने पर रोक लगा दी है। सुप्रीमकोर्ट ने आदेश किया है कि ये संपत्ति मंदिर की है और मंदिर की पवित्रता और सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
- मन्दिर के खोले गए गुप्त तहखानों से करीब 1,32,000 करोड़ के सोने, चांदी और हीरे जैसे कीमती रत्नों के आभूषण, हाथी की मूर्तियां और बंदूकें निकलीं है। सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि यहां 28 किलोग्राम का एक बैग भी मिला था, जिसमें 7 अलग-अलग देशों के राष्ट्रीय सिक्के थे, जिसमें नेपोलियन और इटालियन के समय के भी सिक्के मौजूद थे।