रंगनाथस्वामी मंदिर संक्षिप्त जानकारी
स्थान | तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु (भारत) |
वास्तुशिल्प शैली | द्रविड़ वास्तुकला |
ऊँचाई | 70 मीटर (230 फीट) |
प्रकार | हिन्दू मंदिर |
रंगनाथस्वामी मंदिर का संक्षिप्त विवरण
दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली शहर में श्रीरंगम द्वीप पर स्थित ‘श्री रंगनाथस्वामी मंदिर’ एक विश्वप्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर को ‘भू-लोक वैकुंठ’ अर्थात् ‘धरती का वैकुण्ठ’ कहा जाता है। यह देश के सबसे बड़े मंदिर परिसरों में से एक है। इसे ‘श्रीरंगम मंदिर’, ‘तिरुवरंगम तिरुपति’, ‘पेरियाकोइल’ आदि विभिन्न नामों से भी जाना जाता है।
रंगनाथस्वामी मंदिर का इतिहास
इस भव्य मंदिर का उल्लेख संगम युग (100ई. से 250ई.) के तमिल साहित्य और शिलप्पादिकारम (तमिल साहित्य के पांच श्रेष्ठ महाकाव्यों में से एक) में भी मिलता है। हालांकि इसके पुरातात्विक शिलालेख केवल 10वीं शताब्दी से उपलब्ध हैं।
इस मंदिर में उपलब्ध शिलालेख मुख्य रूप से चोल, पांड्य, होयसाल और विजयनगर राजवंशों से सम्बंधित हैं। इस मंदिर को बनाने में होयसल और विजयनगर साम्राज्य के राजाओं का काफी योगदान रहा है। मंदिर के भीतरी भवन का निर्माण हम्बी नामक एक महिला ने करवाया गया था।
गंग वंश के शासनकाल में थिरुमलाराया ने यहाँ नवरंग मंडप का निर्माण कराया, उन्होंने ही महाद्वार की बायीं तरफ भगवान तिरुमाला के मंदिर को भी बनवाया था। इतिहासकारों के अनुसार, दक्षिण भारत में राज करने वाले अधिकांश राजवंशों ने इस मंदिर का पुनःनिर्माण और विस्तार कराया था।
रंगनाथस्वामी मंदिर के रोचक तथ्य
- इस विशाल और भव्य मंदिर परिसर का क्षेत्रफल लगभग 156 एकड़ (6,31,000 वर्ग मी.) है और परिधि 4116 मीटर है।
- यह मंदिर कावेरी नदी के तट पर स्थित है।
- मंदिर परिसर का निर्माण 7 प्रकारों (संकेंद्रित दीवारी अनुभागों) और 21 गोपुरमों से मिलकर किया गया है।
- इस मंदिर में 7 मुखबिर एवं 21 टावर हैं।
- इस मंदिर के मुख्य गोपुरम की ऊंचाई 72 मीटर (236 फीट) है, इसे ‘राजगोपुरम (शाही मंदिर टावर)’ कहा जाता है।
- इस मंदिर के निर्माण में मुख्य रूप से तमिल वास्तुकला शैली की झलक दिखाई देती है।
- मंदिर में एक लकड़ी की मूर्ति भी है जिसे याना वहाना (Yana Vahan) कहते है, इसके ऊपर बैठे हुए भगवान विष्णु मस्तोदोनटिओटाइदा (Mastodontoidea) जैसे दिखते है। मस्तोदोनटिओटाइदा एक प्रागैतिहासिक हाथी है, जो लगभग 15 मिलियन वर्ष पहले विलुप्त हो गया था।
- मंदिर के विमानम (गर्भगृह के ऊपर की संरचना) के ऊपरी भाग में सोने का उपयोग किया गया है।
- रंगनाथ स्वामी के जन्म दिवस के अवसर पर हर साल शुक्ल पक्ष सप्तमी के दिन मंदिर में रंग जयंती का आयोजन किया जाता है। यह उत्सव पूरे 8 दिन तक चलता है।
- साल में केवल एक बार वैकुण्ठ एकादशी वाले दिन ही ‘परमपद वासल’ अर्थात् वैकुण्ठ लोक का द्वार खोला जाता है।
- तमिल महीने मार्गजी (दिसंबर-जनवरी) के दौरान आयोजित 21 दिन के पर्व में हर साल लगभग 1 मिलियन श्रद्धालु दर्शन के लिए यहाँ आते है और अक्सर इस मंदिर को विश्व में सबसे बड़े कार्यशील हिंदू मंदिर के रूप में भी सूचीबद्ध किया जाता है।
- इस मंदिर को बड़े पैमाने पर पुननिर्माण और बहाली के काम के बाद सांस्कृतिक विरासत संरक्षण हेतु 3 नवम्बर, 2017 को ‘यूनेस्को एशिया प्रशांत पुरस्कार मेरिट, 2017’ (The UNESCO Asia Pacific Award of Merit 2017) से भी सम्मानित किया जा चुका है। यह संयुक्त राष्ट्र संघ से इस प्रतिष्ठित सम्मान को प्राप्त करने वाला तमिलनाडु राज्य का पहला मंदिर है।
- दक्षिण भारत में बने भगवान् विष्णु को समर्पित 108 मंदिरो के बीच यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसे तमिल भक्ति आंदोलन के सभी संतों के गीतों में प्रशंसा मिली हैं। यहां पर आनन्दम योजना के अंतर्गत रोज 200 भक्तों को मुफ्त में भोजन कराया जाता है।