रोहतासगढ़ किला संक्षिप्त जानकारी
स्थान | रोहतास जिला, बिहार (भारत) |
निर्माण | त्रेता युग और 15वीं शताब्दी ई. (वर्तमान स्वरूप) |
निर्माता | राजा हरिश्चन्द्र और शेरशाह सूरी |
प्रकार | किला |
रोहतासगढ़ किला का संक्षिप्त विवरण
भारतीय राज्य बिहार देश के सबसे ऐतिहासिक राज्यों में से एक है, यह वही राज्य है जहाँ पर प्राचीन मगध साम्राज्य की स्थापना की गई थी। बिहार का प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास काफी रोचक है क्यूंकि यह भारत का एक ऐसा राज्य है जो प्राचीन समय में तो सबसे अधिक धनी था परंतु वर्तमान समय में भारत का सबसे पिछड़ा हुआ राज्य है। बिहार के सबसे प्रसिद्ध जिले रोहतास में भारत के सबसे सुंदर किलो में से एक रोहतासगढ़ किला स्थित है, यह किला अपने रोमांचक इतिहास सुंदर कलाकृतियों और अपनी मजबूती के लिए पुरे विश्व भर में जाना जाता है।
रोहतासगढ़ किला का इतिहास
इस ऐतिहासिक और विश्व प्रसिद्ध किले का इतहास काफी पुराना है जिसके निर्माण और बाकी की गतिविधियों को पूर्ण साक्ष्य उपलब्ध नही है, ऐसा माना जाता है की किले का निर्माण 7वीं शताब्दी के में शासन कर रहे राजा हरिश्चंद्र ने करवाया था परंतु इसके कोई उचित साक्ष्य उपलब्ध नही है। इस किले के मध्यकालीन इतिहास की जानकारी शेर शाह सूरी के शासनकाल से प्राप्त की गई है, ऐसा माना जाता है की वर्ष 1539 ई. में रोहतस का किला शेर शाह सूरी द्वारा हिंदू राजाओं के हाथों से छिन्न लिया गया था।
मुगलों से एक युद्ध के दौरान शेर शाह सूरी ने रोहतस के शासक से अनुरोध किया कि वह अपने किले में उसके बच्चो और महिलाओं को शरण प्रदान करे, रोहतास के शासको ने ऐसा किया जिसके बाद शेर शाह सूरी ने कुछ पालकियाँ वहाँ भेजी जिसमे उसकी सेना छुपी हुई थी जिन्होंने वहाँ के शासको को या तो मार दिया या फिर वहाँ से भगा दिया था। इस घटना के बाद इस किले पर शेर शाह सूरी का शासन कायम हो गया उसने अपने शासन के दौरान इस किले को पुन: बनवाया था इसकी मजबूती को और बढ़ा दिया था। शेर शाह सूरी के शासन के बाद रोहतास पर मुगलों ने और उनके बाद अंग्रेजो ने भी शासन किया था।
रोहतासगढ़ किला के रोचक तथ्य
- इस भव्य और ऐतिहासिक किले का सर्वप्रथम निर्माण त्रेता युग में राजा हरिश्चंदर ने करवाया था, जिसके बाद इसके वर्तमान स्वरूप का निर्माण 15वीं शताब्दी के आस-पास शेर शाह सूरी ने करवाया था।
- वर्ष 1539 ई. से पहले इस किले पर हिन्दू शासको का आधिपत्य था, जिन्होंने इस किले की सुरक्षा के लिए लगभग 10000 से अधिक सैनिको को नियुक्त कर रखा था।
- यह किला पहले हिन्दू शासको के नियन्त्रण में था, जिसे वर्ष 1539 ई. में एक अफगानी शासक शेर शाह सूरी ने छल द्वारा जीत लिया था।
- वर्ष 1543 ई. में इस किले के पश्चिम में स्थित जामी मस्जिद का निर्माण शेर शाह के एक भरोसेमंद सैनिक हैबात खान के द्वारा किया गया था।
- यह किला भारत के सबसे ऐतिहासिक और ऊंचे किलो में से एक है, यह किला समुद्रतल से लगभग 1500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।
- इस किले के एक स्थान पर लगभग 2000 से अधिक चूना पत्थरो द्वारा बनाई गई एक विचित्र संरचना मौजूद है, जिसका उपयोग शायद किले में मौजूद हाथियों को रखने के लिए किया जाता था।
- वर्ष 1558 ई. में इस किले पर मुगलों का आधिपत्य स्थापित हो गया था, जिसके बाद मुगल सम्राट अकबर के प्रसिद्ध हिंदू राज्यपाल “राजा मान सिंह” को इस क्षेत्र और किले पर शासन करने के लिए भेजा गया था, जिन्होंने इसमें एक शानदार महल बनाया जिसके पास एक तालाब और फारसी शैली में बना एक बगीचा भी स्थित है।
- वर्ष 1621 ई. में राजकुमार खुर्रम ने अपने पिता जहांगीर के विरूद्ध विद्रोह किया और खुद को बचाने के लिए रोहतस में शरण ले ली थी।
- इस किले से ही अवध के नवाब ने वर्ष 1857 ई. में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था।
- वर्ष 1557 ई. में इस किले का सबसे विशाल और प्रमुख प्रवेश द्वार का निर्माण किया गया था, जिसे “हाथिया पोल” के नाम से जाना जाता है।
- इस किले में स्थित “आइना महल” का निर्माण राजा मान सिंह द्वारा किया गया था, यह महल 4 मंजिला है जिसके ऊपर विभिन्न नक्काशियों से युक्त एक गुंबद भी स्थित है।
- मान सिंह द्वारा बनाए गये महल से मात्र 500 मीटर की दुरी पर एक गणेश मंदिर स्थित है, जिसके गर्भगृह में 2 द्वारमण्डप स्थित है।
- इस किले के पश्चिम में एक संरचना मौजूद है जिसे स्थानीय लोगो द्वारा “झूलता हुआ घर” (हैंगिंग हाउस) कहा जाता है क्यूंकि यह एक 1500 फुट गहरी खाई के ऊपर झूल रहा है।
- मान सिंह द्वारा बनाए गये महल के से 1 मील की दूरी पर 2 मंदिरों के खंडहर आज भी मौजूद है जिसमे से सबसे प्रमुख मंदिर “भगवान शिव” का हैं। इस मंदिर पर चढने के लिए भक्तो को लगभग 84 सीढियाँ चढ़नी पडती है जिस कारण इसे "चौरासन सिद्धी" भी कहा जाता है।