साबरमती आश्रम संक्षिप्त जानकारी
स्थान | साबरमती, अहमदाबाद जिला, गुजरात (भारत) |
निर्माण | 17 जून 1917 |
प्रकार | आश्रम |
साबरमती आश्रम का संक्षिप्त विवरण
भारतीय इतिहास के सुवर्णमय पन्नो में कई ऐसे महान लोगो के नाम दर्ज है जिन्होंने भारत को अंग्रेजो से स्वतंत्रता दिलाने जैसा वीरतापूर्ण कार्य किया था। उन्ही अविस्मरणीय महान लोगो में से एक थे “मोहनदास करमचन्द गांधी” जिन्हें महात्मा गांधी या भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। महात्मा गांधी से जुड़ा साबरमती आश्रम भारत के गुजरात राज्य के अहमदाबाद जिले के प्रशासनिक केंद्र अहमदाबाद के समीप साबरमती नदी के किनारे स्थित है।
साबरमती आश्रम का इतिहास
दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद भारत में गांधी का पहला आश्रम अहमदाबाद के कोचरा इलाके में स्थापित किया गया था जिसे सत्याग्रह आश्रम कहा जाता था। उस आश्रम को बाद में 17 जून 1917 में साबरमती नदी के तट के पास एक खुले उपजाऊ भूमि के टुकड़े के पास स्थानांतरित कर दिया गया था।
इस आश्रम को स्थानांतरित करने के प्रमुख कारण थे खेती, पशुपालन, गाय प्रजनन, खादी और संबंधित रचनात्मक गतिविधियां जो महात्मा गांधी वहाँ करना चाहते थे। साबरमती आश्रम लगभग 13 वर्षो तक गांधी जी का घर था, जोकि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य केंद्रों के रूप में कार्य कर रहा था।
इस आश्रम में रहते हुए, गांधी जी ने एक ऐसे स्कूल का निर्माण किया जिसमें स्वयं श्रमिकता, कृषि और साक्षरता, और आत्मनिर्भरता आदि जैसे कुछ विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाता था। इस आश्रम से गांधी जी ने ब्रिटिश द्वारा बनाए गये साल्ट लॉ के विरोध में दांडी यात्रा की शुरुआत की थी और नमक कानून को तोड़ कर भारत को नमक कर से मुक्त कराया था।
महात्मा गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 में भारत के लोगो को यह वचन दिया कि जब तक भारत स्वतंत्रता हासिल नही कर लेता, तब तक वह आश्रम वापस नहीं लौटेंगे। 15 अगस्त 1947 में भारत स्वतंत्र हो गया था परंतु गांधी जी कुछ कार्य को करने के लिए दिल्ली में ठहरे ही थे कि जनवरी 1948 में उनकी हत्या कर दी गई थी और उसके बाद वह कभी भी साबरमती आश्रम वापस नहीं लौट पाए।
साबरमती आश्रम के रोचक तथ्य
- महात्मा गांधी के लिए सबसे पहले आश्रम का निर्माण 25 मई 1915 में जीवनलाल देसाई द्वारा गुजरात में कोचरब बंगला में करवाया गया था, जिसे सत्याग्रह आश्रम कहा जाता था।
- यह आश्रम गुजरात के सबसे प्रसिद्ध जिले अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे बना हुआ है, इस आश्रम को हरिजन आश्रम के नाम से भी जाना जाता है।
- इस प्रसिद्ध साबरमती आश्रम का निर्माण 17 जून 1917 में महात्मा गांधी जी के भारत में रहने और उनकी कृषि, पशुपालन आदि जैसी इच्छाओं को पूरा करने के लिए किया गया था।
- महात्मा गांधी इस आश्रम में वर्ष 1917 से लेकर वर्ष 1930 तक लगभग 13 वर्षो तक रहे थे।
- इस आश्रम में वर्ष 1917 तक महात्मा गांधी के साथ लगभग 40 से अधिक लोग रहा करते थे।
- महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम में रहते हुए 2 मार्च 1930 ई. को भारत के तत्कालीन वाइसराय को एक पत्र लिखकर यह सूचित किया कि वह 9 दिनों का सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करने जा रहे हैं।
- महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम से ही 12 मार्च 1930 में आश्रम के 78 व्यक्तियों के साथ अंग्रेजो द्वारा बनाए गये नमक कानून को समाप्त करने के लिए एक ऐतिहासिक दांडी यात्रा की शुरुआत की थी, जिसके बाद वह इस आश्रम में कभी नही लौट पाए थे।
- ब्रिटिश सरकार ने दांडी यात्रा के बाद महात्मा गाँधी और उनके अनुययियो को गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद ब्रिटिश सरकार ने 22 जुलाई 1933 में आश्रम को तोड़ने का फैसला किया था, परंतु लोगो के आक्रोश और ब्रिटिश संसद से मिले आदेश के कारण उन्होंने इसे नही तोड़ा था।
- इस आश्रम को वर्ष 1963 में एक संग्रहालय के रूप में वास्तुकार चार्ल्स कोर्रिया द्वारा पुननिर्मित किया गया जिसका उद्घाटन 10 मई 1963 में भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
- इस भव्य आश्रम के संग्रहालय में एक "मेरा जीवन मेरा संदेश है" नामक गैलरी है, जिसमें गांधी जी के जीवन के कुछ सबसे ज्वलंत 8 पूर्णकाय चित्र शामिल हैं और इस गैलेरी में महात्मा गांधी के ऐतिहासिक घटनाओं के भी 250 से अधिक फोटो लगायें गये हैं।
- इस आश्रम के पुस्तकालय में गांधी जी की जिंदगी, काम, शिक्षाओं, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन आदि से संबंधित विषयों की लगभग 35,000 किताबें, सम्मिलित है और इसमें 80 से अधिक पत्र-पत्रिका मौजूद है जो अंग्रेजी, गुजराती और हिंदी में लिखी गई है।
- इस आश्रम के अभिलेखागार में मूल और फोटोकॉपी दोनों में गांधी जी के लगभग 34,117 पत्र शामिल हैं।
- हरिजन, हरिजनसेवक और हरिजनबंधू नामक पुस्तको में गांधी के लेखों की पांडुलिपियों के बारे में लगभग 8,781 पृष्ठ और लगभग 6,000 तस्वीरें सम्मिलित है।
- साबरमती आश्रम को प्रत्येक वर्ष लगभग 700,000 से अधिक आगंतुक देखने के लिए आते है जिनकी जरूरतों की देखभाल गुजरात की सरकार द्वारा की जाती है।
- यह आश्रम साल के प्रत्येक दिन पर्यटकों के लिए 8.00 बजे से 7.00.pm तक खुला रहता है।
- इस आश्रम की यात्रा भारत के प्रमुख नेता ही नही बल्कि विदेशो से आए हुये नेता भी करते है, जैसे- 17 जनवरी 2018 में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और 13 सितंबर 2017 में जापान के प्रधानमंत्री शिन्ज़ो अबे ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर इस भव्य आश्रम का भ्रमण किया था।