सिंधुदुर्ग किला संक्षिप्त जानकारी
स्थान | मालवन द्वीप, महाराष्ट्र (भारत) |
निर्माण | 1667 ई. |
निर्माता | छत्रपति शिवाजी महाराज |
वास्तुकार | हिरोजी इंडालकर |
प्रकार | किला |
सिंधुदुर्ग किला का संक्षिप्त विवरण
महाराष्ट्र भारत के सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक मराठा साम्राज्य की जन्मभूमि रहा है। भारतीय राज्य महाराष्ट्र के समीप स्थित मालवन द्वीप भारतीय इतिहास का सबसे मुख्य हिस्सा है, क्यूंकि इस द्वीप पर स्थित सिंधुदुर्ग किला मराठा साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध शासक शिवाजी महाराज द्वारा बनवाया गया था। इस किले में मराठाओ की संस्कृति, वास्तुकला और इतिहास की झलक स्पष्ट देखी जा सकती है, जिस कारण इसे भारतीय इतिहास का सबसे जरूरी भाग माना जाता है।
सिंधुदुर्ग किला का इतिहास
इस विश्व प्रसिद्ध किले का निर्माण मराठा साम्राज्य के प्रसिद्ध शासक छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1667 ई. में करवाया था। इस किले को मराठाओ द्वारा बनाने का मुख्य उद्देश्य विदेशी उपनिवेशवादियों के बढ़ते प्रभाव को रोकन था और जंजीरा के सिद्दी समुदाय के लोगो के भारत की तरफ बढ़ते कदमो को भी रोकने का था। इसका निर्माण कार्य हिरोजी इंडालकर की देख-रेख में किया गया था। यह किला एक छोटे से द्वीप पर बनाया गया था, जिसे “खुर्टे बेट” के नाम से जाना जाता था।
सिंधुदुर्ग किला के रोचक तथ्य
- इस विश्व प्रसिद्ध किले के निर्माण का कार्य मराठा साम्राज्य के प्रसिद्ध शासक छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा भारत के प्रसिद्ध वास्तुकार हिरोजी इंडालकर को सौंपा गया था, और यह किला वर्ष 1667 ई. में बनकर पूर्ण हो गया था।
- इस किले के प्रक्षेप और नींव के निर्माण में लगभग 4000 पाउंड से अधिक लीड वाले पत्थरों का उपयोग किया गया था।
- इस किले के निर्माण में लगभग 3 वर्षो से अधिक का समय लगा था, इसका निर्माण वर्ष 1664 ई. में शुरू हुआ था जिसे कड़ी मेहनत के बाद वर्ष 1667 ई. में संपूर्ण बनाकर तैयार कर दिया गया था।
- यह किला भारत के सबसे बड़े और अद्भुत किलो में से एक है जो लगभग 48 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
- छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनाए गये इस किले को सुरक्षा के दृष्टि से काफी मजबूत बनाया गया था, इस किले में लगभग 3 कि.मी. सुरक्षा दीवार का निर्माण किया गया था जिसे किसी भी दुश्मन द्वारा भेद पाना असंभव था।
- इस किले की सुरक्षा दीवारे किले की आंतरिक दीवारों से काफी मोटी है, यह दीवार लगभग 30 फुट ऊँची और 12 मोटी है।
- इस किले की संरचना इस तरह से तैयार की गई थी कि वह दुश्मनों और अरब सागर की तरंगों और ज्वारों से आसानी से बची रहे।
- इस किले के मुख्य प्रवेश द्वार को बहुत ही चतुराई से छुपाया गया था, जिस कारण किसी भी दुश्मन के लिए उसे खोज पाना असंभव था।
- इस किले का जब निर्माण हुआ था तब इसमें बहुत सारे परिवारों का समूह रहा करता था परंतु समय बीतने के साथ रोजगार के घटते अवसरों ने उन परिवारों को यहाँ से पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया था, वर्तमान में इस किले में 15 परिवार रहते है।
- यह किला सिंधुदुर्ग शहर, गोवा के उत्तर में सिंधुदुर्ग जिले में स्थित है जिसकी मुंबई से दूरी मात्र 450 कि.मी. है।
- इस किले पर आप मुंबई और गोवा से कोंकण रेलवे की सहायता से पंहुच सकते है, इस किले के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन सिंधुदुर्ग रेलवे स्टेशन है, परंतु वहां केवल कुछ ही ट्रेनें ही रुक सकती हैं।