सिवाना फोर्ट संक्षिप्त जानकारी

स्थानबाड़मेर, राजस्थान (भारत)
निर्माण10 शताब्दी
निर्मातावीर नारायण
प्रकारकिला

सिवाना फोर्ट का संक्षिप्त विवरण

भारतवर्ष में ऐसे दो ही राज्य हैं जहां पर आपको कदम-कदम पर बहुत से किले और महल देखने को मिलते हैं। ये दो राज्य महाराष्ट्र और राजस्थान है। यदि आप राजस्थान के किसी भी भाग में जायेंगे, तो लगभग प्रत्येक 10 मील के बाद आपको कोई न कोई किला अवश्य देखने को मिल ही जाएगा। सिवाना किला ऐसा ही एक प्राचीन दुर्ग है, जो राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है। यह किला सिवाना तहसील एवं पंचायत ​समिति मुख्यालय पर ही एक ऊँची पहाड़ी पर बना हुआ है। सिवाना दुर्ग राजस्थान के सबसे पुराने किलों में से एक है।

सिवाना फोर्ट का इतिहास

सिवाना के दुर्ग का बड़ा गौरवशाली इतिहास है। इसका निर्माण पंवार राजा भोज के पुत्र श्री वीरनारायण द्वारा 10 शताब्दी में करवाया गया था। प्रारंभ में यह प्रदेश पंवारों के आधीन था, लेकिन बाद में इस दुर्ग पर जालोर के सोनगरा चौहानों ने अपना अधिकार जमा लिया।

14 शताब्दी के आरम्भ में यह दुर्ग कान्हड़देव के भतीजे चौहान सरदार शीतलदेव के अधिकार में था, तब अलाउद्दीन ख़िलजी ने 2 जुलाई, 1306 को किले पर आक्रमण किया, जिसके बाद यह दुर्ग अलाउद्दीन खिलजी के कब्जे में चला गया।

अलाउद्दीन ने विजय के उपरांत सिवाना दुर्ग का नाम खैराबाद कर दिया था। अलाउद्दीन के बाद राव मल्लीनाथ के भाई राठौड़ जैतमल ने इस दुर्ग पर कब्जा कर लिया और कई वर्षों तक जैतमलोतों की इस दुर्ग पर प्रभुता बनी रही। प्राचीन इतिहास विभिन्न प्रसिद्ध पुरूषों राव मालदेव, राव चंद्रसेन, अकबर, कल्ला रायमलात, मोटाराजा, उदयसिंह महाराज, जसवंतसिंह प्रथम, औरंगजेब, राजा सुजानसिंह तथा अजीत सिंह आदि का सम्बन्ध इस किले से रहा है।

सिवाना फोर्ट के रोचक तथ्य

  1. सिवाना किला भारतीय राजस्थान में जोधपुर जिले से 54 मील पश्चिम में हलदेश्वर नामक एक ऊँचे पर्वत पर स्थित है।
  2. इसके पूर्व में नागौर, पश्चिम में मालानी, उत्तर में पचपदरा और दक्षिण में जालौर है।
  3. यह किला चारों तरफ से रेत से घिरा हुआ है, लेकिन इसके साथ-साथ यहां पूर्व से पश्चिम तक छप्पन के पहाड़ों का सिलसिला करीब 48 मील तक फैला हुआ है।
  4. राव मालदेव ने 1538 में इस दुर्ग पर अपना अधिकार करके इसकी सुरक्षा व्यवस्था को ओर मजबूत करने के लिए परकोटे का निर्माण करवाया था।
  5. अपने शासनकाल के दौरान अकबर के कल्ला राठौड से नाराज होने पर उसने जोधपुर के राजा उदयसिंह को सिवाना पर अधिकार करने भेजा। राजा कल्याण उर्फ कल्ला राठौड़ युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए। किले में उनकी दो समाधियां भी बनी हुई हैं।
  6. जब सन 1600 के आसपास अकबर की सेना ने सिवाना किले पर आक्रमण किया था, जिसमे वीरता से लड़ते हुए शासक राव कल्ला राठौड़ शहीद हो गये थे। इस पर रानियों ने किले में जौहर किया था।
  7. दुर्ग के दूसरे दरवाजे में अन्दर दोनों तरफ शिलालेख लगे हुए है, जिसमे दायी तरफ लगा शिलालेख राव मालदेव की सिवाना किले पर विजय का सूचक है।
  8. सिवाना शहर में वीर कल्लाजी की प्रतिमा एक चौराहे पर लगी हुई है और उच्च माध्यमिक विधालय में वीर कल्लाजी के घोड़े की समाधि बनी हुई, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने अपने स्वामी के प्राणों की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था।
  9. किले में किले में पानी का बड़ा तालाब स्थित है जिसका पानी कभी भी खत्म नहीं हुआ है। यहां कितने भी अकाल पड़े, लेकिन इस तालाब में हमेशा पानी बना रहा है। यह तालाब कितना गहरा है इसका अंदाजा किसी को नहीं है, क्योकि आज तक कोई भी तालाब का तल ही नहीं देख पाया है।
  10. किले में बहुत से निवास महल भी बने हुए थे, जो अब भी टूटी—फूटी हालत में देखने को मिलते हैं।
  11. दुर्ग के अन्दर राजमहल के अवशेष और त्रिकलाश प्रसाद के अवशेष देखे जा सकते है। उससे थोडा उपर राजमहल के पास बने एक चबूतरे पर शिवलिंग है, जिसके आगे नंदी बैठे हुए है।
  12. सिवाना के आस-पास के प्रमुख पर्यटक स्थलों में हल्देश्वर मंदिर, भीमगोड़ा मंदिर, मोकलसर की बावड़ी और अमरतिया कुआँ, आशापुरी माता का मंदिर, जालोर दुर्ग, अमरतिया बेरा और जैन मंदिर आदि शामिल है।
    1.   Last update :  Wed 3 Aug 2022
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