स्टैच्यू ऑफ यूनिटी संक्षिप्त जानकारी
नाम | स्टैच्यू ऑफ यूनिटी |
स्थान | साधू बेट, गरुड़ेश्वर बांध, नर्मदा जिला, गुजरात (भारत) |
प्रकार | मूर्ति |
समय | सुबह 08 से शाम 06 तक खुला रहता है तथा सोमवार को बंद रहता है। |
प्रवेश शुल्क | वयस्क भारतीयों के लिए 120 रु, 3 से 15 वर्ष की आयु के बच्चो के लिए 60 रु तथा वयस्क विदेशियों के लिए 350 रु और 3 से 15 वर्ष की आयु के विदेशी बच्चो के लिए 200रु। |
नजदीकी रेलवे स्टेशन | वड़ोदरा |
निर्माता | भारत सरकार |
निर्माण काल | 31 अक्टूबर, 2013 - 30 अक्टूबर 2018 |
निर्माण की कुल लागत | लगभग 2989 करोड़ रुपये |
उद्घाटन तिथि | 31 अक्टूबर 2018 |
वास्तुकार या मूर्तिकार | राम सुतार |
ऊंचाई | मूर्ति: 182 मीटर, आधार सहित: 240 मीटर |
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का संक्षिप्त विवरण
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को भारत प्रथम गृहमन्त्री तथा प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में बनाया गया है, जोकि भारतीय राज्य गुजरात में स्थित है। यह स्मारक सरदार सरोवर बांध से लगभग 3.2 किलोमीटर की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर है। यह स्थान नर्मदा नदी का एक टापू है। गुजरात के मुख्यमंत्री, और भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा, सरदार वल्लभभाई पटेल के 138वें जन्मदिवस के अवसर पर 31 अक्टूबर 2018 को इसका उद्घाटन किया गया था।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का इतिहास
नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में 7 अक्टूबर 2013 को सबसे पहले कि वह गुजरात में अपनी सरकार के दस वर्ष पूर्ण करने के अवसर पर वह भारत के पहले गृहमंत्री तथा उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल कि एक विशाल प्रतिमा का निर्माण करवाएँगे।
उस समय इस परियोजना को "राष्ट्र के लिए गुजरात कि श्रद्धांजलि" का नाम दिया गया था। इस परियोजना पर कार्य करने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट (एसवीपीआरईटी) नाम से एक संस्था का निर्माण किया गया जिसकी अध्यक्षता उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कि थी।
इसके बाद 31 अक्टूबर 2013 से इस मूर्ति के निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया जिसे लगभग 5 वर्षो बाद 30 अक्टूबर 2018 तक बना लिया गया। जिसके बाद 31 अक्टूबर 2018 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की वास्तुकला तथा मूर्तिकार(Statue of Unity Architecture And Designer):
इस स्मारक के मूर्तिकार भारत के जान माने राम वी. सुतार थे। इस मूर्ति की वास्तुकला भारत के सबसे प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी सरदार वल्लभभाई पटेल से संबंधित है। वल्लभभाई पटेल को भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है क्योंकि उन्होनें ने ही स्वतंत्रता के तुरंत बाद 565 देशी रियासतों तथा रजवाड़ो का विलय भारत में करवाया था। इस मूर्ति का 58 मीटर तथा इसकी ऊंचाई 182 मीटर है, आधार सहित इसकी ऊंचाई 240 मीटर है जो इसे विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति का श्रेय प्रदान करती है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रोचक तथ्य
- यह प्रतिमा विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति है, जिसकी ऊंचाई आधार सहित 204 मीटर तथा आधार रहित 182 मीटर है। इसके बाद विश्व की दूसरी सबसे ऊँची मूर्ति चीन में स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध है, जिसकी आधार सहित कुल ऊंचाई 208 मीटर हैं।
- सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट ने मूर्ति के निर्माण कार्य के लिए पूरे भारतवर्ष में 36 कार्यालय खोले, जिससे लगभग 5 लाख किसानों से लोहा जुटाने का लक्ष्य रखा गया था।
- इस अभियान को पहले "राष्ट्र के लिए गुजरात कि श्रद्धांजलि" का नाम दिया गया था जिसे बाद में बदलकर :स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अभियान" कर दिया गया।
- 3 महीने लम्बे इस अभियान में लगभग 6 लाख ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापना हेतु लोहा दान किया।
- इस मूर्ति के निर्माण हेतु टर्नर कंस्ट्रक्शन "बुर्ज खलीफा का परियोजना प्रबंधक" की सहायता ली गई है।
- इस मूर्ति के निर्माण कार्य का प्रारंभ 31 अक्टूबर 2013 को किया गया था जिसे 5 वर्षो बाद 30 अक्टूबर 2018 तक बनाकर तैयार कर दिया गया था।
- शुरुआत में परियोजना की कुल लागत भारत सरकार द्वारा 3,001 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया था।, परंतु बाद में इस परियोजना की कुल लागत लगभा 2989 करोड़ की आई।
- यह स्मारक नर्मदा बांध की दिशा में, उससे 3.2 किमी दूर साधू बेट नामक नदी द्वीप पर बनाया गया है।
- इस मूर्ति का कुल वजन 1700 टन है, इसके निर्माण में 85% कॉपर, 5% टिन, 5% लेड और 5% जिंक को मिलाकर बनाए गए मिश्रण का प्रयोग किया गया है।
- स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी को अंदर से देखने के लिए दो यात्री लिफ्ट लगाई गई हैं, यह लिफ्ट यात्रियों को मूर्ति के सीने तक ले जाएंगी। वहाँ पर यात्रियों के देखने के लिए एक गैलरी का निर्माण किया गया है। इस गैलरी में एक साथ 200 दर्शक जा सकते।
- गुजरात सरकार ने पर्यटकों की सुविधा के लिए 3.5 किमी लंबा हाइवे का निर्माण किया है, इस हाइवे के माध्यम से पर्यटक केवड़िया कस्बे से स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी तक आसानी से आ सकते है। और सरकार ने एक आधुनिक पब्लिक प्लाज़ा भी बनाया गया है, जिससे नर्मदा नदी व मूर्ति देखी जा सकती है।
- मूर्ति निर्माण के अभियान से "सुराज" प्रार्थना-पत्र बना जिसमे जनता बेहतर शासन पर अपनी राय लिख सकती थी। सुराज प्रार्थना पत्र पर 2 करोड़ लोगों ने अपने हस्ताक्षर किये, जो कि विश्व का सबसे बड़ा प्रार्थना-पत्र बन गया जिसपर हस्ताक्षर हुए हों। इसके अतिरिक्त 15 दिसंबर 2013 को “रन फॉर यूनिटी” मैराथन का आयोजन किया गया था।
- टाइम मैगज़ीन की दुनिया के 100 ग्रेटेस्ट प्लेसेस की लिस्ट में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और मुंबई स्थित 11 मंज़िला क्लब व होटल सोहो हाउस को जगह मिली है।