सुल्तान अहमद मस्जिद संक्षिप्त जानकारी
स्थान | इस्तांबुल (तुर्की) |
निर्माण | 1616 ई. |
निर्माता | सुल्तान अहमद I |
वास्तुकला | इस्लामी, प्राचीन तुर्की वास्तुकला शैली |
वास्तुकार | सेदीफकर मेहमद आगा |
प्रकार | मस्जिद |
अन्य नाम | ब्लू मस्जिद |
सुल्तान अहमद मस्जिद का संक्षिप्त विवरण
विश्व के सबसे प्रसिद्ध देशो में से एक तुर्की अपनी वास्तुकला, शिल्पकला और इतिहास के लिए दुनिया में प्रसिद्ध है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जिसकी अधिकतर जनसंख्या इस्लाम को मानने वाली है परंतु फिर भी यह एक धर्मनिरपेक्ष देश है।
तुर्की के सबसे बड़े शहर इस्तांबुल में स्थित सुल्तान अहमद मस्जिद (ब्लू मस्जिद) दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। इस मस्जिद की खूबसूरती का प्रमुख कारण इसका नीला रंग है, जो इसे विश्व मे विख्यात बनाता हैं।
सुल्तान अहमद मस्जिद का इतिहास
वर्ष 1606 ई. में ज़ीसवेटोरोक की शांति संधि और फारस के साथ हुए युद्ध (1603-1618) में हार के परिणामस स्वरूप तुर्की साम्राज्य के बाद के शासक सुल्तान अहमद-I ने तुर्की साम्राज्य को फिर से विश्व में प्रसिद्ध बनाने के लिए इस्तांबुल में एक विशाल मस्जिद का निश्चय किया था।
सुल्तान द्वारा यह कहा गया था की “यह विश्व की पहली महान शाही मस्जिद होगी जो 40 वर्षों से अधिक समय में बनेगी”। सुल्तान के पूर्वजो ने अपने साम्राज्य को सुदृढ करने के लिए कई देशो के साथ युद्ध कर उन्हें लूटा था।
सुल्तान अपने पूर्वजो के धन को एक अच्छे निर्माण कार्य में लगाना चाहते थे, क्यूंकि उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान कोई उल्लेखनीय जीत हासिल नही की थी इसलिए वहाँ के मुस्लिम कानूनी विद्वान तुर्क उलेमाओं ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया था, जिन्हें शांत करने के लिए उन्होंने इस मस्जिद का निर्माण करने का निश्चय किया और वर्ष 1616 ई. में इस मस्जिद का निर्माण कार्य पूरा हो गया था, जो उस समय विश्व की सबसे खूबसूरत मस्जिद मानी जाती थी।
सुल्तान अहमद मस्जिद के रोचक तथ्य
- इस भव्य और प्रसिद्ध मस्जिद का निर्माण वर्ष 1609 से 1616 के दौरान प्रसिद्ध तुर्की शासक सुल्तान अहमद-I ने अपने कुशल वास्तुकार सेदीफकर मेहमद आगा द्वारा करवाया था।
- मस्जिद के आंतरिक भाग को सजाने के लिए लगभग 20,000 कृत्रिम नीले टाइल्सो का उपयोग किया गया है, जिससे इस मस्जिद का रंग नीला दिखाई पड़ता है और साथ में जिसमें 60 ट्यूलिप डिज़ाइनों का प्रयोग किया गया है।
- इस मस्जिद में लगभग 10,000 लोग एकसाथ बैठ प्रार्थना (आराधना) कर सकते है।
- इस मस्जिद में लगभग 5 प्रमुख और 8 सामान्य गुंबद है, जिसमे सबसे बड़े गुंबद का व्यास लगभग 23.50 मीटर और ऊंचाई लगभग 43 मीटर है।
- मस्जिद का केन्द्रीय गुंबद सबसे विशाल है, जिसमे लगभग चारो ओर से कुल मिलाकर 28 खिड़कियाँ बनी हुई है। खिड़कियों के लिए रंगीन कांच, सुल्तान को वेनिस के सिग्नोरिया का उपहार था।
- इस प्रसिद्ध मस्जिद में 6 मीनारे है, जिनकी ऊंचाई लगभग 64 मीटर है।
- मस्जिद की सजावट के लिए कुरान से छंद लिए गए हैं, उनमें से कई को सैय्यद कासिम गुबरी द्वारा बनाया गया था, जिसे अपने समय का सबसे महान सुलेखक माना जाता था।
- मस्जिद में प्रयोग हुई प्रत्येक टाइलों की भुगतान की जाने वाली कीमत सुल्तान के फरमान द्वारा तय की गई थी जबकि समय के साथ टाइल की कीमतें सामान्य रूप से बढ़ गई थीं परंतु मस्जिद में प्रयोग हुई टाइलों की गुणवत्ता धीरे-धीरे कम हो गई थी
- यह मस्जिद सदैव रौशनी से जगमगाती रहती है, क्यूंकि इसमें लगभग 260 रंगीन धब्बेदार वाली शीशे की खिड़कियां मौजूद हैं।
- यह मस्जिद वर्ष के 365 दिनों तक खुली रहती है, परंतु यह प्रत्येक दिन 90 मिनट की प्रार्थना के समय गैर-मुस्लिम लोगो के लिए बंद रहती है।
- इस मस्जिद के प्रत्येक एक्सेड्रा (Exedra) में 5 खिड़कियाँ बनी हुई है जो इसके प्रत्येक क्षेत्र को रोशन करने का कार्य करती है।
- हागिया सोफिया के किनारे इसकी बाहरी दीवार से सटा हुआ है। इसी स्थान पर आगंतुकों को सामान्य रूप से ब्लू मस्जिद और इस्लाम पर एक मुफ्त ओरिएंटेशनल प्रस्तुति प्रदान करते हैं।
- वर्ष 2006 और 2014 में जर्मनी के शासक पोप बेनेडिक्ट XVI ने इस मस्जिद का दौरा किया था।
- वर्ष 2009 में संयुक्त राज्य अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा इस्तांबुल पहुंचे और तुर्की के पूर्व प्रधान मंत्री रसेप तैयप एर्डोगान के साथ ब्लू मस्जिद का दौरा किया था।
- यह मस्जिद पारंपरिक इस्लामी वास्तुकला के साथ पड़ोसी हागिया सोफिया के कुछ बीजान्टिन ईसाई तत्वों को शामिल करती है और शास्त्रीय काल की अंतिम महान मस्जिद के रूप में माना जाता है।
- मस्जिद को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि जब यह सबसे अधिक भीड़ पर हो, तब भी मस्जिद में हर कोई इमाम को देख और सुन सकता है