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सरदार वल्लभभाई पटेल का संक्षिप्त सामान्य ज्ञान
नाम | सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) |
वास्तविक नाम / उपनाम | वल्लभभाई झावेरभाई पटेल / सरदार पटेल |
जन्म की तारीख | 31 अक्टूबर |
जन्म स्थान | नडियाद, गुजरात |
निधन तिथि | 15 दिसम्बर |
माता व पिता का नाम | लाडबा देवी / झवेरभाई पटेल |
उपलब्धि | 1947 - स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री |
पेशा / देश | पुरुष / राजनीतिज्ञ / भारत |
सरदार वल्लभभाई पटेल - स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री (1947)
वल्लभभाई झावेरभाई पटेल, जिन्हें सरदार पटेल के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने भारत के पहले उप प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। वह एक भारतीय बैरिस्टर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के एक संस्थापक पिता थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया। भारत और अन्य जगहों पर, उन्हें अक्सर हिंदी, उर्दू और फ़ारसी में सरदार कहा जाता था, जिसका अर्थ है “प्रमुख”। उन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 15 दिसम्बर 1950 तक गृह मंत्री के रूप में कार्य किया था।
स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान खेडा संघर्ष में हुआ था और यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी। गांधी जी की इच्छा का आदर करते हुए आजादी के बाद हुए प्रधानमंत्री पद के चुनाव में सबसे ज्यादा मत प्राप्त होने के बाबजूद पटेल जी ने प्रधानमंत्री पद की दौड से अपने को दूर रखा और जवाहरलाल नेहरू जी का समर्थन किया था। सन 1917 से 1924 तक सरदार पटेल ने अहमदनगर के पहले भारतीय निगम आयुक्त के रूप में सेवा प्रदान की। उन्हें 1934 और 1937 में भारत छोड़ो आंदोलन का प्रचार करते हुए पार्टी के आयोजन के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 49 वें अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। वर्ष 1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान सरदार पटेल को तीन महीने की जेल हुई थी। मार्च, 1931 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के करांची अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। स्वतंत्रता के समय भारत में 562 देसी रियासतें थीं। इनका क्षेत्रफल भारत का 40 प्रतिशत था। सरदार पटेल ने आजादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही वीपी मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हे स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था। फरवरी 1948 में वहाँ जनमत संग्रह कराया गया, जो भारत में विलय के पक्ष में रहा। हैदराबाद भारत की सबसे बड़ी रियासत थी, जो चारों ओर से भारतीय भूमि से घिरी थी। वहाँ के निजाम ने पाकिस्तान के प्रोत्साहन से स्वतंत्र राज्य का दावा किया और अपनी सेना बढ़ाने लगा। सरदार पटेल ढेर सारे हथियार आयात करते रहे।
अन्ततः भारतीय सेना 13 सितंबर 1948 को हैदराबाद में प्रवेश कर गयी। तीन दिनों के बाद निजाम ने आत्मसमर्पण कर दिया और नवंबर 1948 में भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 1947 तक केवल तीन रियासतें-कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद छोड़कर उस लौह पुरुष ने सभी रियासतों को भारत में मिला दिया। इन तीन रियासतों में भी जूनागढ़ को 9 नवम्बर 1947 को मिला लिया गया तथा जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान भाग गया। 13 नवम्बर को सरदार पटेल ने सोमनाथ के भग्न मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया, जो पंडित नेहरू के तीव्र विरोध के पश्चात भी बना। 1948 में हैदराबाद भी केवल 4 दिन की पुलिस कार्रवाई द्वारा मिला लिया गया। न कोई बम चला, न कोई क्रांति हुई, जैसा कि डराया जा रहा था। सरदार पटेल को वर्ष 1947 में टाइम पत्रिका के कवर पर चित्रित किया गया था। इसके बाद वर्ष 1982 में सईद जाफरी ने पटेल को चित्रित किया था।
सरदार वल्लभभाई पटेल प्रश्नोत्तर (FAQs):
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नडियाद, गुजरात में हुआ था।
सरदार वल्लभभाई पटेल को 1947 में स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री के रूप में जाना जाता है।
सरदार वल्लभभाई पटेल का पूरा नाम वल्लभभाई झावेरभाई पटेल था।
सरदार वल्लभभाई पटेल की मृत्यु 15 दिसम्बर 1950 को हुई थी।
सरदार वल्लभभाई पटेल के पिता का नाम झवेरभाई पटेल था।
सरदार वल्लभभाई पटेल की माता का नाम लाडबा देवी था।
सरदार वल्लभभाई पटेल को सरदार पटेल के उपनाम से जाना जाता है।