भारत के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) किसे कहते है?

भारत के महान्यायवादी या अटॉर्नी जनरल, भारत सरकार का प्रमुख कानूनी सलाहकार होता है और देश के सर्वोच्च न्यायालय में सरकार का मुख्य वकील होता है। भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह के आधार पर की जाती है। अटॉर्नी जनरल को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य होना चाहिए।

भारत के वर्तमान महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) 2023:

भारत के वर्तमान महान्यायवादी या अटर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी हैं। उन्हें राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु द्वारा 1 अक्टूबर 2022 को नियुक्त किया गया था और उनका कार्यकाल 03 साल का होगा। आर. वेंकटरमणी भारत के 15वें अटॉर्नी जनरल है। भारत के प्रथम महान्यायवादी एम. सी. सेतलवाड़ थे।

वर्ष 1950 से 2023 तक भारत के महान्यायवादियों की सूची

महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) का नाम कार्यकाल
एम सी सीतलवाड़ (सबसे लंबा कार्यकाल) 28 जनवरी 1950 से 01 मार्च 1963 तक
सी.के. दफ्तरी 02 मार्च 1963 से 030 अक्टूबर 1968 तक
निरेन डे 01 नवम्बर 1968 से 31 मार्च 1977 तक
एस. वी. गुप्ते 01 अप्रैल 1977 से 08 अगस्त 1979 तक
एल. एन. सिन्हा 09 अगस्त 1979 से 08 अगस्त 1983 तक
के. परासरण 09 अगस्त 1983 से 08 दिसम्बर 1989 तक
सोली सोराबजी (सबसे छोटा कार्यकाल) 09 दिसम्बर 1989 से 02 दिसम्बर 1990 तक
जी. रामास्वामी 03 दिसम्बर 1990 से 023 नवम्बर 1992 तक
मिलन के. बनर्जी 21 नवम्बर 1992 से 08 जुलाई 1996 तक
अशोक देसाई 09 जुलाई 1996 से 06 अप्रैल 1998 तक
सोली सोराबजी 07 अप्रैल 1998 से 04 जून 2004 तक
मिलन के. बनर्जी 05 जून 2004 से 07 जून 2009 तक
गुलाम एस्सजी वाहनवति 08 जून 2009 से 11 जून 2014 तक
मुकुल रोहतगी 12 जून 2014 से 30 जून 2017 तक
के. के. वेणुगोपाल 30 जून 2017 से 30 सितम्बर 2022
आर. वेंकटरमणी 1 अक्टूबर 2022 से अब तक

भारत के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) की नियुक्ति कौन करता है?

भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति भारतीय राष्ट्रपति के द्वारा देश के संविधान की धारा 76 (1) के तहत की जाती है।

भारत के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) का कार्यकाल: देश का संविधान महान्यायवादी को निश्चित पद अवधि प्रदान नहीं करता है, इसलिए वह राष्ट्रपति की मर्ज़ी के अनुसार ही कार्यरत रहता है। उसे किसी भी समय राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है। उसे हटाने के लिए संविधान में कोई भी प्रक्रिया या आधार उल्लेखित नहीं है।

भारत के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) का वेतन: भारतीय संविधान में भारत के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) का वेतन तथा भत्ते तय नहीं किए गए हैं उसे राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित वेतन मिलता है। वर्ल्डजीकेहिन्दी वेबसाइट के अनुसार भारत के महान्यायवादी का वेतन 90,000 रूपए प्रतिमाह है।

भारत के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) की योग्ताएं:

  • एक व्यक्ति जो भारत का नागरिक हो और उच्चतम न्यायालय जज बनने के योग्य हो।
  • कोई भी भारतीय नागरिक जो 5 वर्ष तक किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश हो या 10 साल तक उच्च न्यायालय का वकील रहा हो।
  • राष्ट्रपति के नज़र में एक प्रख्यात विधिवेत्ता (jurist) हो।

भारत के महान्यायवादी के कर्तव्य (कार्य): 

  • भारत के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) के मुख्य कार्य निम्नलिखित है:-
  • राष्ट्रपति द्वारा आवंटित किये गए या दिए गए कानूनी कर्तव्यों का निर्वाह करना।
  • कानूनी मामलों पर भारत सरकार को सलाह देना।
  • संविधान या अन्य कानून द्वारा उस पर सौंपे गए कृत्यों का निर्वहन करना।
  • संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत राष्ट्रपति के द्वारा उच्चतम न्यायालय में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करना।
  • भारत सरकार के संबंधित मामलों को लेकर उच्चतम न्यायालय में भारत सरकार की ओर से पेश होना।
  • सरकार से संबंधित किसी मामले में उच्च न्यायालय में सुनवाई का अधिकार।

अधिकार तथा मर्यादाएं :

  • भारत के किसी भी क्षेत्र में किसी भी अदालत में महान्यायवादी को सुनवाई का अधिकार है
  • इसके अतिरिक्त संसद के दोनों सदनों में बोलने या कार्यवाही में भाग लेने यह दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में बिना मताधिकार के भाग लेने का अधिकार है एक सांसद की तरह सभी भत्तें एवं विशेषाधिकार उसे मिलते हैं।
  • संविधान ने उसके कर्तव्यों के तहत किसी भी तरह के संघर्ष को टालने के लिए उसकी सीमाएं भी निर्धारित की है।
  • बिना भारत सरकार की अनुमति के वह किसी भी आपराधिक मामलों में व्यक्ति का बचाव नहीं कर सकता।
  • वह भारत सरकार के खिलाफ कोई सलाह या विश्लेषण नहीं कर सकता।
  • जिन मामले में उसे भारत सरकार की ओर से पेश होना है उस पर वह कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।
  • बिना भारत सरकार की अनुमति के किसी कंपनी के निदेशक का पद ग्रहण नहीं कर सकता।

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  Last update :  Fri 27 Jan 2023
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