बिहारी पुरस्कार का इतिहास:
बिहारी पुरस्कार के. के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित साहित्य सम्मान है। वर्ष 1991 में के. के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा रीति काल के प्रसिद्ध कवि बिहारी लाल के नाम पर बिहारी पुरस्कार की स्थापना की गई थी। साल 1991 में प्रसिद्ध कवि जयसिंह नीरज को उनके काव्य संकलन ‘ढाणी का आदमी’ के लिए प्रथम बिहारी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
साल 1991 से अब तक यशवंत व्यास, अलका सरावगी, हेमंत शेष, गिरिधर राठी, अर्जुन देव चारण, हरी राम मीणा, चन्द्र प्रकाश देवल, ओम थानवी, डॉ. भगवती लाल व्यास, सत्य नारायण, विजय वर्मा, मनीषा कुलश्रेष्ठ, मोहनकृष्ण बोहरा, ऐदन सिंह भाटी, मधु कांकरिया, डॉ माधव हरदा जैसे लेखकों को यह पुरस्कार मिल चुका है।
Quick Info About Bihari Award
पुरस्कार का वर्ग | साहित्य |
स्थापना वर्ष | 1991 |
पुरस्कार राशि | दो लाख रुपये |
प्रथम विजेता | जयसिंह नीरज |
32वें बिहारी पुरस्कार 2022 के विजेता | डॉ माधव हरदा (प्रख्यात हिंदी लेखक) |
विवरण | साहित्यिक आलोचना पुस्तक 'पचरंग चोल पहाड़ सखी री' के लिए |
बिहारी पुरस्कार के लिए चयन कैसे होता है?
यह पुरस्कार भारत के किसी भी भाग में निवास करने वाले राजस्थान के मूल निवासी या फिर बीते 07 वर्ष से स्थायी रूप से राजस्थान में रहने वाले देश के किसी भी हिस्से के निवासी लेखक की उत्कृष्ट राजस्थानी या हिन्दी की कृति को प्रदान किया जाता है। कृति का प्रकाशन बीते 10 साल में हुआ हो।
बिहारी पुरस्कार में मिलने वाली राशि: बिहारी पुरस्कार में दो लाख 50 हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र और पट्टिका के पुरस्कार के रूप में प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार 1991 में के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा स्थापित तीन साहित्यिक पुरस्कारों में से एक है। प्रसिद्ध हिंदी कवि बिहारी के नाम पर, यह पुरस्कार हर साल राजस्थानी लेखक द्वारा पिछले 10 वर्षों में प्रकाशित हिंदी या राजस्थानी में उत्कृष्ट योगदान के लिए
32वां बिहारी पुरस्कार 2022: के.के. बिड़ला फांउडेशन द्वारा वर्ष 2022 का 32 वां बिहारी पुरस्कार डॉ माधव हरदा को उनकी साहित्यिक आलोचना पुस्तक 'पचरंग चोल पहाड़ सखी री' को दिया जाएगा। के.के. बिड़ला फाउंडेशन ने नई दिल्ली में यह घोषणा की। ये पुस्तक 2015 में प्रकाशित हुई|
वर्ष 1991 से 2022 तक बिहारी पुरस्कार विजेताओं की सूची:
वर्ष | साहित्यकार के नाम | कृति |
2022 | डॉ माधव हाड़ा | साहित्यिक आलोचना पुस्तक 'पचरंग चोल पहाड़ सखी री' |
2021 | मधु कांकरिया | उपन्यास 'हम यहां थे' |
2020 | मोहनकृष्ण बोहरा | तस्लीमा: संघर्ष और साहित्य |
2019 | ऐदन सिंह भाटी | आंखे हे हरयाल सपना (ग्रीन ड्रीम्स ऑफ़ द हार्ट्स आई) (काव्य संग्रह) |
2018 | मनीषा कुलश्रेष्ठ | स्वप्नाश (उपन्यास) |
2017 | विजय वर्मा | लोकावलोकन (निबंध संग्रह) |
2016 | सत्य नारायण | ये एक दुनिया (हिंदी पुस्तक) |
2015 | डॉ. भगवती लाल व्यास | कथा सुन आवे है शब्द (राजस्थानी कविता) |
2014 | ओम थानवी | मुअनजोदडो (यात्रा वृत्तांत) |
2013 | चन्द्र प्रकाश देवल | हिरना मौन साध वन हिरना' (कविता) |
2012 | हरी राम मीणा | धूणी तपे तीर (हिंदी उपन्यास) |
2011 | अर्जुन देव चारण | घर तो एक नाम है भरोसे रौ (राजस्थानी कविता) |
2010 | गिरिधर राठी | अन्ता के संशय (कविताएं) |
2009 | हेमंत शेष | जगह जैसी जगह (हिंदी कविताएँ) |
1991 | जयसिंह नीरज | ढाणी का आदमी (कविता) |
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