विश्व की प्रमुख मिश्र धातुएं, उपयोग और उनके संघटक:
धातु किसे कहते हैं?
रसायनशास्त्र के अनुसार धातु (metals) वे तत्व हैं जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते हैं और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते हैं। इलेक्ट्रानिक मॉडल के आधार पर, धातु इलेक्ट्रानों द्वारा आच्छादित धनायनों का एक लैटिस हैं। धातुओं के प्रकार: धातु दो प्रकार के होते हैं
- लौह धातु (Ferrous Metal)- वह सभी धातु जिसमे मुखी मूल-धातु लोहा रहती है तथा कार्बन की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है, लौह धातु कहलाती है। जैसे- आयरन, स्टील आदि।
- अलौह धातु (Non - Ferrous Metal)- वह सभी धातु जिसमे लोहे के कण नहीं पाये जाते हैं, अलौह धातु कहलाती है। जैसे- तांबा, टिन, एल्युमिनियम आदि।
मिश्र धातु किसे कहते है?
मिश्र धातु की परिभाषा: दो या अधिक धात्विक तत्वों के आंशिक या पूर्ण ठोस-विलयन को मिश्रातु या मिश्र धातु (Alloy) कहते हैं। इस्पात एक मिश्र धातु है। प्रायः मिश्र धातुओं के गुण उस मिश्रधातु को बनाने वाले संघटकों के गुणों से भिन्न होते हैं। इस्पात, लोहे की अपेक्षा अधिक मजबूत होता है। काँसा, पीतल, टाँका (सोल्डर) आदि मिश्रातु हैं।
मिश्र धातुएं और उनके उपयोग:
सब मिश्रधातुओं को साधारणतया लौह तथा अलौह मिश्रधातुओं में विभाजित किया गया है। जब मिश्रधातु में लोहा आधार धातु रहता है, तब वह लौह तथा जब आधार धातु कोई अन्य धातु होती है, तब वह अलौह मिश्रधातु कहलाती है।
मुख्य अलौह मिश्र धातुएँ निम्नलिखित हैं:
- ऐल्युमिनियम-पीतल (Aluminimum-Brass): इसके संगठन में ताँबा, जस्ता और ऐल्युमिनियम हैं, जो क्रमश: 71-55, 26-42 तथा 1-6 प्रतिशत तक होते हैं। इसका उपयोग पानी के जहाजों तथा वायुयान के नोदकों (propeller) के निर्माण में होता है।
- ऐल्युमिनियम-कांसा: इसमें ताँबा 99-89 तथा ऐल्युमिनियम 1-11 प्रतिशत तक होता है। यह अति कठोर तथा संक्षारण अवरोधक होता है। इसके बरतन बनाए जाते हैं।
- बबिट (Babit) धातु: इसमें टिन, ऐंटीमनी तथा ताँबा की प्रतिशत मात्रा क्रमश: 89, 7.3 तथा 3.7 होती है। इसका मुख्य उपयोग बॉल बियरिंग बनाने में होता है।
- घंटा घातु (Bell Metal): इसमें ताँबा और टिन की प्रतिशत मात्रा क्रमश: 75-80 और 25-20 तक होती है। इससे घंटे आदि बनाए जाते हैं।
- पीतल: इसमें ताँबा 73-66 तथा जस्ता 27-34 प्रतिशत तक होता है। इसका उपयोग चादर, नली तथा बरतन बनाने में होता है।
- कार्बोलाय (Carboloy): यह टंग्स्टन कार्बाइड तथा कोबल्ट की मिश्रधातु है। इससे रगड़ने और काटने वाले यंत्र बनाए जाते हैं।
- कॉन्स्टैंटेन (Constantan): इसमें तांबा 60-45, निकल 40-55, मैगनीज 0-1.4, कार्बन 0.1 प्रतिशत तथा शेष लोहा होता है। इसका उपयोग वैद्युत-तापमापक यंत्रों तथा ताप वैद्युत-युग्म (thermocouple) बनाने में होता है, क्योंकि यह विद्युत् का प्रबल प्रतिरोधक होता है।
- डेल्टा धातु (Delta Metal): इसमें ताँबा 56-54, जस्ता 40-44, लोहा 0.9-1.3, मैंगनीज 0.8-1.4 और सीसा 0.4-1.8 प्रतिशत तक होता है। यह मृदु इस्पात के समान मजबूत है, किंतु उसकी तरह सरलता से जंग खाकर नष्ट नहीं होती। इसका उपयोग पानी के जहाज बनाने में होता है।
- डो धातु (Dow Metal): इसमें मैग्नीशियम 90-96, ऐल्युमिनियम 10-4 प्रतिशत तक तथा कुछ अंशों में मैंगनीज़ होता है। इसका उपयोग मोटर तथा वायुयान के कुछ हिस्सों को बनाने में होता है।
- जर्मन सिलवर: इसमें ताँबा 55, जस्ता 25 और निकल 20 प्रतिशत होता है। कुछ वस्तुओं को बनाने में चाँदी के स्थान पर इसका उपयोग करते हैं, क्योंकि इससे बनी वस्तुएँ चाँदी के समान ही होती हैं।
- हरित स्वर्ण (Green Gold): इसमें सोना, चाँदी और कैडमियम, क्रमश: 75, 11-25 तथा 13-0 प्रतिशत तक, होते हैं। इसके आभूषण बनाए जाते हैं।
- गन मेटल (Gun Metal): इसमें ताँबा 95-71, टिन 0-11, सीसा 0.-13, जस्ता 0-5 तथा लोहा 0-1.4 प्रतिशत तक होता है। इससे बटन, बिल्ले, थालियाँ तथा दाँतीदार चक्र (gear) बनाए जाते हैं।
- मैग्नेलियम (Magnalium): इसमें ऐल्युमिनियम 95-70 प्रतिशत तथा मैग्नीशियम 5-30 प्रतिशत तक होता है। यह मिश्रधातु हल्की होती है। इसका उपयोग विज्ञान संबंधी यंत्रों तथा तुलादंड बनाने में होता है।
- नाइक्रोम (Nichrome): इसमें निकल 80-54, क्रोमियम 10-22, लोहा 4.8-27 प्रतिशत तक होते हैं। ऊँचे ताप पर इसका संक्षारण नहीं होता तथा इसका वैद्युत प्रतिरोध अधिक होता है। इसका उपयोग ऊष्मक (heater) बनाने में होता है।
- पालौ (Palau): इसमें सोना 80 तथा पैलेडियम 20 प्रतिशत होते हैं। मूषा (crucibles) और थाली बनाने में प्लैटिनम के स्थान पर इसका उपयोग किया जाता है।
- पर्मलॉय (Permalloy): इसमें निकल 78, लोहा 21, कोबल्ट 0.4 प्रतिशत तथा शेष मैगनीज, ताँबा, कार्बन, गंधक और सिलीकन होते हैं। इससे टेलीफोन के तार बनाए जाते हैं।
- सोल्डर (Solder): इसमें सीसा 97 तथा टिन 33 प्रतिशत होते हैं। यह धातु दो धातुओं को आपस में जोड़ने के काम आती है।
- शॉट धातु (Shot Metal): इसमें सीसा 99 तथा आर्सेनिक 1 प्रतिशत होता है। इससे बंदूक की गीली तथा छरें बनाए जाते हैं।
- टिन की पन्नी (Tin Foil): इसमें टिन 88, सीसा 8, ताँबा 4 और ऐंटिमनी 0.5 प्रतिशत होते हैं। यह पन्नी सिगरेट और खाद्य वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिये उनके ऊपर लपेटी जाती है।
- उड की धातु (Wood Metal): यह मिश्रधातु सर्वप्रथम उड ने बनाई थी। इसमें बिस्मथ 50, सीसा 25, टिन 13 और कैडमियम 13 प्रतिशत होते हैं। इसका गलनांक बहुत कम होता है। आग को पानी छिड़क कर बुझानेवाले, स्वचालित यंत्रों में, जो प्लग (plug) लगा रहता है वह इस मिश्रधातु का बना होता है।
महत्वपूर्ण मिश्रित धातुएँ एवं उनके संघटको की सूची:
मिश्रित धातु | संघटको के नाम |
पीतल | तांबा (75 प्रतिशत) + जस्ता (25 प्रतिशत) |
घंटा धातु | तांबा (75 प्रतिशत) + टिन (25 प्रतिशत) |
कांसा | तांबा (75 प्रतिशत) + टिन (25 प्रतिशत) |
जर्मन सिल्वर | तांबा (50 प्रतिशत) + जस्ता (25 प्रतिशत) + निकेल (25 प्रतिशत) |
एल्युमीनियम कांसा | तांबा (50 प्रतिशत) एल्युमीनियम (40 प्रतिशत) + लोहा (10 प्रतिशत) |
गन मेटल | तांबा (88 प्रतिशत) + जस्ता (2 प्रतिशत) + टिन (१० प्रतिशत) |
टाइप (प्रिटिंग) मेटल | लेड (60 प्रतिशत) + एंटीमनी (30 प्रतिशत) + टिन (10 प्रतिशत) |
स्टेनलेस स्टील | लोहा + क्रोमियम + निकेल |
हिंडालियम | एल्युमीनियम (91 प्रतिशत) + मैग्नीशियम (9 प्रतिशत) |
डेल्टा धातु | तांबा (55 प्रतिशत) + जस्ता (41 प्रतिशत) + लोहा (4 प्रतिशत) |
डच मेटल | तांबा (80 प्रतिशत) + जस्ता (20 प्रतिशत) |
मोनल धातु | तांबा (27 प्रतिशत) + निकिल (70 प्रतिशत) + लोहा (3 प्रतिशत) |
टांका | टिन (67 प्रतिशत) + सीसा (33 प्रतिशत) |
बुड्स धातु | बिस्मथ (33.5 प्रतिशत) + सीसा (33 प्रतिशत) + टिन (19 प्रतिशत) + कैडमियम (14.5 प्रतिशत) |
कांस्टैटन | तांबा (60 प्रतिशत) + निकिल (40 प्रतिशत) |
मुट्ज धातु | तांबा (60 प्रतिशत) + जस्ता (40 प्रतिशत) |
अब संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें और देखें कि आपने क्या सीखा?
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मिश्र धातुएं, उपयोग प्रश्नोत्तर (FAQs):
पीतल मिश्र धातु है, जो ताँबे और जस्ते के संयोग से बनती है। ताँबे में जस्ता डालने से ताँबे का सामर्थ्य, चौमड़पन और कठोरता बढ़ती है। यह वृद्धि ३६ प्रतिशत जस्ते तक नियमित रूप से होती है, पर बाद में केवल सामर्थ्य में वृद्धि अधिक स्पष्ट देखी जाती है।
कांसा या कांस्य, किसी तांबे या ताम्र-मिश्रित धातु मिश्रण को कहा जाता है, प्रायः टिन के संग, परंतु कई बार फासफोरस, मैंगनीज़, अल्युमिनियम या सिलिकॉन आदि के संग भी होते हैं। यह पुरावस्तुओं में महत्वपूर्ण था, जिसने उस युग को कांस्य युग नाम दिया।
निकल रजत (Nickel silver), ताँबे का एक मिश्रातु है जिसमें निकल और प्रायः जस्ता मिला होता है। प्रायः इसमें 60% ताँबा, 20% निकल और 20% जस्ता होता है। इसे 'जर्मन सिल्वर', नयी चाँदी, निकल पीतल, इलेक्ट्रम आदि नामों से भी जाना जाता है।
पीतल मिश्र धातु है, जो ताँबे और जस्ते के संयोग से बनती है। ताँबे में जस्ता डालने से ताँबे का सामर्थ्य, चौमड़पन और कठोरता बढ़ती है। यह वृद्धि ३६ प्रतिशत जस्ते तक नियमित रूप से होती है, पर बाद में केवल सामर्थ्य में वृद्धि अधिक स्पष्ट देखी जाती है।
चुम्बक बनाने के लिए एल्निको मिश्रधातु (Alloy) का प्रयोग किया जाता हैं। चुम्बक (मैग्नेट्) वह पदार्थ या वस्तु है जो चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। चुम्बकीय क्षेत्र अदृश्य होता है और चुम्बक का प्रमुख गुण - आस-पास की चुम्बकीय पदार्थों को अपनी ओर खींचने एवं दूसरे चुम्बकों को आकर्षित या प्रतिकर्षित करने का गुण, इसी के कारण होता है।