कोयले का अर्थ, उत्पत्ति, उपयोग और उसके प्रकार: 

कोयला क्या है?:

भारत दुनिया के खनिज सम्पन्न देशों में से एक है। कोयला भारत में सबसे महत्वपूर्ण और प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) है। भारत की खनिज संपन्नता का एक मुख्य कारण यह है कि यहाँ प्राचीनकाल से ही सभी प्रकार की चट्टानें पायी जाती हैं। भारत के अधिकतर धात्विक खनिजों की प्राप्ति धारवाड़ क्रम की चट्टानों से होती है और कोयला मुख्य रूप से गोंडवाना क्रम की चट्टानों (गोंडवाना एक प्राचीन महामहाद्वीप था जो लगभग 180 मिलियन वर्ष पहले टूट गया था।) में मिलता है। भारत में कोयला खनन साल 1774 में शुरू हुआ,

जब रानीगंज कोलफील्ड Raniganj Coalfield (rail coala maafia) (पश्चिम बंगाल) का व्यवसायिक शोषण (दोहन) ईस्ट इण्डिया कंपनी द्वारा शुरू किया गया था। भारत चीन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बाद दुनिया में चौथा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है।

कोयला किसे कहते है?

कोयला एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है जिसको ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में कोयला अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। कुल प्रयुक्त ऊर्जा का 35% से 40% भाग कोयलें से पाप्त होता हैं। विभिन्न प्रकार के कोयले में कार्बन की मात्रा अलग-अलग होती है। कोयले से अन्य दहनशील तथा उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त किया जाता है। ऊर्जा के अन्य स्रोतों में पेट्रोलियम तथा उसके उत्पाद का नाम सर्वोपरि है।

कोयले की उत्पत्ति कैसे हुई?

कोयला एक नवीनीकृत अयोग्य जीवाश्म र्इंधन है। प्राचीनकाल में पृथ्वी के विभिन्न भागों में सघन दलदली वन थे जो भूगर्भीय हलचलो के कारण भूमि में दब गये। कालान्तर में दलदली वनस्पति ही कोयले में परिवर्तित हो गई। क्रमश: ऊपर की मिट्टी, कीचड़ आदि के भार से तथा भूगर्भ के ताप से उसी दबी हुई वनस्पति ने कोयले की परतों का रूप ले लिया। करोड़ो वर्षो के बाद बहुत से क्षे़त्रों में उत्थान होने और शैलों के अनाच्छदित होने के कारण, कोयले की भूमिगत परतें पृथ्वी की ऊपरी सतह पर दिखाई देने लगीं।

कोयले के उपयोग:

वर्तमान काल में संसार की 40 प्रतिशत औद्योगिक शक्ति कोयले से प्राप्त होती है। अब कोयले का प्रयोग कृत्रिम पेट्रोल बनाने में तथा कच्चे मालों की तरह भी किया जा रहा है। यद्यपि पिछली चौथी शताब्दी में शक्ति के अन्य संसाधनों (पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, जल-विद्युत और अणु शक्ति) के प्रयोग में वृद्धि होने के कारण कोयले की खपत कम होती जा रही है, फिर भी लोहा इस्पात निर्माण तथा ताप विद्युत उत्पादन में कोयले का कोर्इ विकल्प नहीं है।

कोयले के विभिन्न स्तर समूह:

भारत में कोयला मुख्यत: दो विभिन्न युगों के स्तर समूहों में मिलता है: पहला गोंडवाना युग में तथा दूसरा तृतीय कल्प में। कोयला उत्खनन में वर्तमान में भारत का स्थान चीन और अमेरिका के बाद विश्व में तीसरा है और यहाँ पर लगभग 136 किग्रा. प्रति व्यक्ति कोयला निकाला जाता है, जो औसत से कम है। भारत में प्रचीन काल की गोण्डवाना शैलों में कुल कोयले का 98 प्रतिशत भाग पाया जाता है जबकि तृतीयक अथवा टर्शियर युगीन कोयला मात्र 2 प्रतिशत है।

1. गोंडवाना युगीन कोयला: गोंडवाना कोयला उच्च श्रेणी का होता है। इसमें राख की मात्रा अल्प तथा तापोत्पादक शक्ति अधिक होती है। भारत में गोंडवाना युगीन और पूर्वोत्तर के कोयला भंडारों के सभी प्रकार का लगभग 2,0624 खरब टन कोयला है। गोण्डवान युगीन कोयला दक्षिण के पठारी भाग से प्राप्त होता है एवं इसकी आयु 25 करोड़ वर्ष निर्धारित की गयी है। गोंडवाना युग के प्रमुख क्षेत्र झरिया (बिहार) तथा रानीगंज (पश्चिम बंगाल) में स्थित है। अन्य प्रमुख क्षेत्रों में बोकारो, गिरिडीह, करनपुरा, पेंचघाटी, उमरिया, सोहागपुर, सिगरेनी, कोठगुदेम आदि उल्लेखनीय हैं।

2. टर्शियर युगीन कोयला: टर्शियर कोयला घटिया श्रेणी का होता है। इसमें गंधक की प्रचुरता होने के कारण यह कतिपय उद्योगों में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। टर्शियर युगीन कोयला उत्तर-पूर्वी राज्यों (पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश तथा नागालैण्ड), जम्मू कश्मीर, राजस्थान एवं कुछ मात्रा में तमिलनाडु राज्य में पाया जाता है। इसकी अनुमानित आयु 1.5 से 6.0 करोड़ वर्ष के बीच है। इसके सबसे प्रमुख क्षेत्र हैं- माकूम क्षेत्र (असम), नेवेली (तमिलनाडु, लिन्गाइट कोयले कक लिए प्रसिद्ध) तथा पलाना (राजस्थान)।

कोयले के प्रकार:

कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला चार प्रकार का होता है:

  • एन्थ्रेसाइट कोयला (Anthracite coal): यह कोयले की सबसे उत्तम कोटि है। इसमें कार्बन की मात्रा 94% से 98% से भी अधिक रहती है।
  • बिटुमिनस कोयला (Bituminous coal):  इसे मुलायम कोयला भी कहा जाता है। इसका उपयोग घरेलू कार्यों में होता है। इसमें कर्बन की मात्रा 78% से 86% तक होती है।
  • लिग्नाइट कोयला (Lignite coal): कोयला इसमें कार्बन की मात्रा 28% से 30% तक होती है। इसका रंग भूरा होता है, इसमें जलवाष्प की मात्रा अधिक होती है।
  • पीट कोयला (Peat coal): इसमें कार्बन की मात्रा लगभग 27% तक होती है। इसे जलाने पर अधिक राख एवं धुआँ निकलता है। यह सबसे निम्न कोटि का कोयला है।

भारत के प्रमुख कोयला उत्पादक राज्यों की सूची:

कोयला उत्पादक राज्य का नाम कोयला-क्षेत्र
पश्चिम बंगाल रानीगंज (भारत में सबसे पुराना कोयला क्षेत्र)
झारखंड झरिया (सबसे बड़ा), बोकारो, धनबाद, गिरिडीह, करणपुरा, रामगढ़, डाल्टनगंज
मध्य प्रदेश सिंगरौली, सुहागपुर, जोहला, उमरिया, सतपुरा कोयलाफील्ड
ओडिशा तालचेर, हिमगिरी, रामपुर
आंध्र प्रदेश कंटापल्ली, सिंगरेनी
छत्तीसगढ़ कोरबा, बिसरमपुर, सोनहट, झिलमिल, हस्दो-अरंड
असम मकुम, नजीरा, जानजी, जयपुर
मेघालय उमरलोंग, डारंगीगिरी, चेरपूंजी, मावलोंग, लैंग्रिन
अरुणाचल प्रदेश नाक्मचिक-नामफुक

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

  • गोंडवाना भूमि क्या है?अतीत भूवैज्ञानिक काल में दक्षिणी गोलार्ध में स्थित एक परिकल्पित बृहत् महाद्वीप जिसके विखंडित होने से वर्तमान दक्षिणी अमरीका, अफ्रीका, अरब प्रायद्वीप, भारत, आस्ट्रेलिया तथा अन्टार्कटिका का निर्माण हुआ। एक भू-संहति, जो कैम्ब्रियन पूर्व पेंजिया (pangea) का दक्षिणी भाग था।
  • भारत में सर्वाधिक कोयला कहाँ पाया जाता है? कोयला उत्पादन के संदर्भ में, छत्तीसगढ़ राज्य 127.095 करोड़ टन के उत्पादन के साथ सूची में सबसे ऊपर है। झारखंड 113.014 मिलियन टन के उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर आ गया है, जबकि ओडिशा 112.917 मिलियन टन उत्पादन के साथ तीसरे स्थान पर है
  • कोयला कैसे बनता है? करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर होने वाली प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकंप, बाढ़, ज्वालामुखी का निकलना, आकाश में बिजली का गिरना आदि घटनाओं के कारण पृथ्वी पर उपस्थित पेड़ पौधों जमीन के अंदर दब गए जिस कारण कोयले का निर्माण होता है
  • कोकिंग कोयला क्या है? कोकिंग कोल को हवा की अनुपस्थिति में 600 डिग्री सेल्सियस से ऊपर गरम करने पर जो संश्लेषित पदार्थ बनता है उसे कोक (Coke) कहा जाता है । कोक को स्टील के उत्पादन के लिये स्टील प्लांट्स में लौह अयस्क और चूना पत्थर के साथ आग की भट्टी में रखा जाता है।

अब संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें और देखें कि आपने क्या सीखा?

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कोयला उत्पादक राज्य प्रश्नोत्तर (FAQs):

अवसादी चट्टानों में खनिज, तेल और कोयला पाया जाता है। तलछटी चट्टानों को द्वितीयक चट्टानों के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि वे असंगठित तलछटों के संघनन या पौधों और जानवरों के अवशेषों से बने घोल या कार्बनिक पदार्थ से रासायनिक अवक्षेपण से बनती हैं।

एन्थ्रेसाइट में 86%-97% कार्बन होता है और आम तौर पर कोयले की सभी श्रेणियों की तुलना में इसका कैलोरी मान सबसे अधिक होता है।

रानीगंज कोयला क्षेत्र मुख्य रूप से भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान जिले के आसनसोल और दुर्गापुर उप-मंडलों में स्थित है।

एन्थ्रेसाइट कोयले में 90 प्रतिशत से अधिक कार्बन होता है और यह धुआं रहित होता है।

एन्थ्रेसाइट सर्वोत्तम गुणवत्ता वाला कोयला है। इसमें कार्बन की मात्रा 85 प्रतिशत से अधिक, तापमान अधिक, नमी कम तथा धुएँ की मात्रा भी कम पाई जाती है। भारत में एन्थ्रेसाइट कोयला जम्मू-कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में पाया जाता है।

  Last update :  Wed 12 Oct 2022
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