प्रौद्योगिकी का इतिहास एवं अर्थ:
विज्ञान की परंपरा विश्व की प्राचीनतम वैज्ञानिक परंपराओं में एक है। भारत में विज्ञान का उद्भव ईसा से 3000 वर्ष पूर्व हुआ है। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की खुदाई से प्राप्त सिंध घाटी के प्रमाणों से वहाँ के लोगों की वैज्ञानिक दृष्टि तथा वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोगों का पता चलता है। प्राचीन काल में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में चरक और सुश्रुत, खगोल विज्ञान व गणित के क्षेत्र में आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट द्वितीय और रसायन विज्ञान में नागार्जुन की खोजों का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। प्रौद्योगिकी, व्यावहारिक, औद्योगिक कलाओं और प्रयुक्त विज्ञानों से संबंधित अध्ययन या विज्ञान का एक विकराल समूह है। प्रौद्योगिकी तकनीकों, कौशल, विधियों, और वस्तुओं या सेवाओं के उत्पादन में या उद्देश्यों की सिद्धि में उपयोग की जाने वाली प्रक्रियाओं का योग है, जैसे कि वैज्ञानिक जांच। प्रौद्योगिकी का सबसे सरल रूप बुनियादी उपकरणों का विकास और उपयोग है।
आग को नियंत्रित करने की प्रागैतिहासिक खोज और बाद में नियोलिथिक क्रांति ने भोजन के उपलब्ध स्रोतों में वृद्धि की, और पहिया के आविष्कार ने मनुष्यों को अपने वातावरण में यात्रा करने और नियंत्रित करने में मदद मिली। ऐतिहासिक समय में विकास, जिसमें प्रिंटिंग प्रेस, टेलीफोन और इंटरनेट इत्यादि शामिल हैं, ने संचार के लिए भौतिक बाधाओं को कम किया है और मनुष्यों को वैश्विक स्तर पर स्वतंत्र रूप से बातचीत करने की अनुमति दी। कई लोग तकनीकी और अभियान्त्रिकी शब्द एक दूसरे के लिये प्रयुक्त करते हैं। जो लोग प्रौद्योगिकी को व्यवसाय रूप में अपनाते है उन्हे अभियन्ता कहा जाता है।
विज्ञान का अर्थ एवं इतिहास:
विज्ञान विज्ञान का अर्थ है विशेष ज्ञान। मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं के लिए जो नए-नए आविष्कार किए हैं, वे सब विज्ञान की ही देन हैं। आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान के अनगिनत आविष्कारों के कारण मनुष्य का जीवन पहले से अधिक आरामदायक हो गया है। दुनिया विज्ञान से ही विकसित हुई हैं। विज्ञान शब्द एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है "ज्ञान"। विज्ञान की शुरुआती जड़ों का पता प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया से लगभग 3500 से 3000 ईसा पूर्व में लगाया जा सकता है। गणित, खगोल विज्ञान और चिकित्सा में उनका योगदान शास्त्रीय पुरातनता के ग्रीक प्राकृतिक दर्शन में प्रवेश किया और आकार दिया, जिससे प्राकृतिक कारणों के आधार पर भौतिक दुनिया में घटनाओं की व्याख्या प्रदान करने के लिए औपचारिक प्रयास किए भी गए।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित महत्वपूर्ण अवधारणा:
- रोबोटिक्स: विज्ञान की वह तकनीक जिसके माध्यम से माईक्रोप्रोसेसर , कैमरा, और संवेदी यंत्रों से युक्त किसी संरचना को इस प्रकार संयोजित/नियंत्रित किया जाता है की वह एक स्वचालित मशीन के रूप में कार्य करता है। 1913 में सर्वप्रथम अमेरिका के वैज्ञानिकों ने " जार्ज " नमक रोबोट का निर्माण किया।
- स्टेम सेल तकनीक: स्टेम सेल ऐसी मूलभूत कोशिकाएं होती है जिन्हें मानव शरीर के फेफड़े, त्वचा, आँख के रेटिना, मांसपेशियाँ, यकृत, मष्तिष्क, तंत्रिका तंत्र, और ह्रदय आदि की लगभग 250 विभिन्न प्रकार की कोशिकयों या उतकों में विकसित या परिवर्तित किया जा सकता है। इसे मानव शरीर में आसानी से प्रतिरोपित कर अनुवांशिक बीमारी सहित कई बिमारियों को ठीक किया जा सकता है। भारत में स्टेम सेल तकनीक हेतु प्रथम अनुसंधान केंद्र के स्थापना हैदराबाद में की गई है।
- क्लोनिंग: क्लोन वास्तव में एक जीव अथवा रचना है जो गैर-यौनिक विधि द्वारा एकल जनक (माता-पिता में से कोई एक) से व्युत्पन्न होता है। इस तकनीक में सर्वप्रथम कोशिका से नाभिक को यांत्रिक विधि द्वारा निकाल लिया जाता है और फिर नाभिक रहित अंडाणु में प्रवेश कराया जाता है अंततः पूर्ण विकसित अंडाणु को प्रतिनियुक्त माँ के गर्भ में आरोपित कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के साथ ही गर्भाधान, बच्चे का विकास और जन्म की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है।। क्लोन पैदा करने की इस तकनीक को क्लोनिंग कहते है।
- लेसर (LASER - Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation): यह एक ऐसी युक्ति है जिसमे विकिरण से प्रेरित उत्सर्जन द्वारा एकवर्णीय प्रकाश प्राप्त किया जाता है। इन लेसर तरंगो की आवृति एक सामान होती है। लेसर की खोज 1960 में थियोडोर मेनन (अमेरिका) ने की थी।
- ट्रेटर प्रौधोगिकी: इस तकनीक का प्रयोग बहुजीन ट्रांसजेनिक फसलों (अनुवांशिक जीनों के प्रोसेस से निर्मित) के उत्पादन में किया जाता है। इस तकनीक से विकसित बीजों का अंकुरण तो हो जाता है लेकिन उसमे रूपांतरित लक्षण तब तक नहीं आते जब तक इनमे विशेष तौर से विकसित रसायनों का उपयोग न किया जाये।
- बायोमेट्रिक तकनीक: यह तकनीक व्यक्ति को उसके शारीरिक एवं व्यावहारिक विशेषताओ, गुण तथा दोषों के आधार पर पहचानने, सत्यापित करने तथा मान्यता प्रदान करने की स्वचालित विधि है। इसके अंतर्गत व्यक्ति का चेहरा, फिंगरप्रिंट, हथेली की रेखाएं, रेटिना, लिखावट, ब्लड पल्स, तथा आवाज की विशेषताओं की जांच की जाती है।
- जैविक कृषि: कृषि की वह पध्दति जिसमे खेतों की जुताई और उत्पादन में वृध्दि के लिए उन तकनीकों का प्रयोग किया जाता है जिनसे मृदा की जीवन्तता भी बनी रहे और पर्यावरण को भी नुकसान न हो। इस तकनीक में मृदा को भौतिक तत्त्व न मानकर जैविक माना जाता है और रसायन विहीन खेती की जाती है।
- ग्लोबल वार्मिंग: ग्रीन हाउस गैसों (क्लोरोफ्लोरोकार्बन, कार्बन डाईआक्साइड, मीथेन, नाईट्रस आक्साइड आदि) की बढती सांद्रता से पृथ्वी के वायुमंडलीय तापमान में जो वृध्दि हो रही है उसके परिणामस्वरूप ग्लेसियरों के पिघलने का खतरा है जिससे समुद्रों में जल का स्तर बढ़ जायेगा। तापमान वृध्दि की इस प्रक्रिया को ग्लोबल वार्मिंग कहते है। विश्व में सर्वप्रथम ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पापुआ न्यू गिनी देश का एक द्वीप डूब गया है।
- ई-अपशिष्ट/ई-कचरा: इलेक्ट्रोनिक उत्पादों के ख़राब होने के उपरांत उनका विनिष्टीकरण पूर्ण वैज्ञानिक पध्दिती से नहीं हो पाता परिणामतः इसमें से निकलने वाले रेडियोधर्मी विकिरण पर्यावरण और जीव जगत के लिए नुकसानदायक होते है। कई विकसित देश डंपिंग के द्वारा इन अनुपयोगी उत्पादों को अल्पविकसित देशों में भेज देते है जिससे भू-गर्भिक जल संसाधन प्रदूषित हो गए है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिशा में सकारात्मक पहल कर अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने का निर्णय किया है।
- 3G तकनीक: यह तीसरी पीढी की संचार तकनीक है जिसके माध्यम से हाईस्पीड इन्टरनेट, तीव्र डाटा सम्प्रेषण दर, वीडियो कॉल, आधुनिक मल्टीमीडिया सुविधायों के साथ साथ मोबाइल टीवी की सुविधा भी उपलब्ध होगी। भारत में सर्वप्रथम इस तकनीक का प्रारंभ बीएसएनएल कंपनी ने किया है।
विज्ञान की प्रमुख शाखाएँ
शाखा | अध्ययन का विषय |
भूविज्ञान | पृथ्वी की आंतरिक्ष संरचना |
रत्न विज्ञान | रत्नों का अध्ययन |
विरूपताविज्ञान (टेराटोलॉजी) | ट्यूमर का अध्ययन |
टैक्टोलॉजी | पशु – शरीर का रचनात्मक संघटन |
त्वचाविज्ञान (डर्मेटोलॉजी) | त्वचा एवं संबंधित रोगों का अध्ययन |
डेन्ड्रोलॉजी | वृक्षों का अध्ययन |
डेक्टाइलॉजी | अंकों (संख्याओ) का अध्ययन |
तंत्रिकाविज्ञान (न्यूरोलॉजी) | नाड़ी स्पंदन एवं संबंधित विषय |
मुद्राविज्ञान (न्यूमिसमेटिक्स) | मुद्रा – निर्माण एवं अंकन |
रोगविज्ञान (पैथोलॉजी) | रोगों के कारण एवं संबंधित विषय |
जीवाशिमकी (पैलिओंटोलॉजी) | जीवाश्म एवं संबंधित विषय |
परजीवीविज्ञान (पैरासाइटोलॉजी) | परजीवी वनस्पतियां एवं जीवाणु |
फायनोलॉजी | जीव-जन्तुओं का जातीय विकास |
ब्रायोफाइटा-विज्ञान (ब्रायोलॉजी) | दलदल एवं कीचड़ का अध्ययन |
बैलनियोलॉजी | खनिज निष्कासन एवं संबंधित विषय |
जीवविज्ञान (बायलॉजी) | जीवधारियों का शारीरिक अध्ययन |
वनस्पति विज्ञान | पौधों का अध्ययन |
जीवाणु-विज्ञान (बैक्टीरियोलॉजी) | जीवाणुओं से संबंधित विषय |
मारफोलॉजी | जीव एवं भौतिक जगत् की आकारिकी का अध्ययन |
खनिजविज्ञान (मिनेरालॉजी) | खनिजों का अध्ययन |
मौसम विज्ञान (मेटेरोलॉजी) | वातावरण एवं संबंधित विषय |
अंतरिक्ष विज्ञान | अंतरिक्ष यात्रा एवं संबंधित विषय |
मत्स्यविज्ञान | मछलियां एवं संबंधित विषय |
अस्थि विज्ञान (आस्टियोलॉजी) | अथियों (हड्डियों) का अध्ययन |
पक्षीविज्ञान (आर्निन्थोलॉजी) | पक्षियों से संबंधित विषय |
प्रकाशिकी (ऑप्टिक्स) | प्रकाश का गुण एवं उसकी संरचना |
परिस्थितिविज्ञान(इकोलॉजी) | परिस्थितिकी का अध्ययन |
इक्क्राइनोलॉजी | गुप्त सूचनाएं एवं संबंधित विषय |
शरीर-रचना विज्ञान (एनाटॉमी) | मानव-शरीर की संरचना |
एयरोनॉटिक्स | विमानों की उड़ान |
खगोलिकी (एस्ट्रोनॉमी) | तारों एवं ग्रहों से संबंधित विषय तथा आकाशीय पिंडों का अध्ययन |
एग्रोलॉजी | भूमि (मिट्टी) का अध्ययन |
कीटविज्ञान (एंटोमोलॉजी) | कीट एवं संबंधित विषय |
एरेक्नोलॉजी | मकड़े एवं संबंधित विषय |
भ्रूणविज्ञान (एम्ब्रायोलॉजी) | भ्रण एवं संबंधित विषय |
समुद्र विज्ञान | समुद्र से संबंधित विषय |
ब्रह्माण्डविद्या | ब्रम्हांड का अध्ययन |
बीज-लेखन | गुप्त लेखन अथवा गूढ लिपि |
स्त्री-रोग विज्ञान | मादाओं के प्रजनन अंगों का अध्ययन |
माइक्रोलॉजी | फफूंद एवं संबंधित विषय |
मायोलॉजी | मांस-पेशियों का अध्ययन |
विकिरणजैविकी (रेडियोबायोलॉजी) | जीव-जंतुओं पर सौर विकिरण का प्रभाव |
शैल लक्षण (लिथोलॉजी) | चट्टानों एवं पत्थरों से संबंधित विषय |
लिम्नोलॉजी | झीलों एवं स्थलीय जल भागों का अध्ययन |
सीरमविज्ञान (सीरोलॉजी) | रक्त सीरम एवं रक्त आधान से संबंधित |
स्पलैक्नोलॉजी | शरीर के आंतरिक अंग एवं संबंधित |
अंतरिक्ष जीवविज्ञान (स्पेस बायलोजी) | पृथ्वी से परे अंतरिक्ष में जीवन की सम्भावना का अध्ययन |
रुधिरविज्ञान (हीमेटोलॉजी) | रक्त एवं संबंधित विषयों का अध्ययन |
हेलियोलॉजी | सूर्य का अध्ययन |
उभयसृपविज्ञान (हरपेटोलॉजी) | सरीसृपों का अध्ययन |
ऊतकविज्ञान (हिस्टोलॉजी) | शरीर के ऊतक एवं संबंधित विषय |
हिप्नोलॉजी | निद्रा एवं संबंधित विषयों का अध्ययन |
अब संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें और देखें कि आपने क्या सीखा?
☞ भारतीय प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रश्न उत्तर 🔗
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विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रश्नोत्तर (FAQs):
देश की अग्रणी सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) निर्यातक के रूप में अपनी भूमिका के कारण बेंगलुरु को "भारत की सिलिकॉन वैली" या "भारत की आईटी राजधानी" के रूप में जाना जाता है।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को भारतीय मिसाइल तकनीक का जनक कहा जाता है। कलाम ने चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का नेतृत्व किया और भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल विकास प्रयासों में भी शामिल थे। हैं।
सेंट्रल जूट टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRIJAF) बैरकपुर, पश्चिम बंगाल, भारत में स्थित है। यह आपस में जूट और मैत्री पर एक शोध संस्थान है। यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारत सरकार के तहत काम करता है।
ब्लूटूथ का उपयोग वायरलेस नेटवर्किंग स्थापित करने के लिए किया जाता है। ब्लूटूथ वायरलेस संचार के लिए एक प्रोटोकॉल है। मोबाइल फोन, लैपटॉप, कंप्यूटर, प्रिंटर, डिजिटल कैमरा और वीडियो गेम जैसे उपकरणों को एक दूसरे से जोड़ा जा सकता है और सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सकता है।
केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान एक भारतीय खाद्य अनुसंधान संस्थान और प्रयोगशाला है जिसका मुख्यालय मैसूर, भारत में है। यह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की एक घटक प्रयोगशाला है।