अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस संक्षिप्त तथ्य
कार्यक्रम नाम | अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस (International Slave Eradication Day) |
कार्यक्रम दिनांक | 02 / दिसम्बर |
कार्यक्रम की शुरुआत | 2 दिसंबर 1949 |
कार्यक्रम का स्तर | अंतरराष्ट्रीय दिवस |
कार्यक्रम आयोजक | संयुक्त राष्ट्र महासभा |
अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस का संक्षिप्त विवरण
प्रतिवर्ष 02 दिसम्बर को अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य- "सम्पूर्ण विश्व से दास प्रथा को समाप्त करना है।" दास प्रथा विश्व के अधिकांश देशों में प्राचीन समय से ही व्य्पाप्त रही है।
संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2 दिसंबर को "अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस" के तौर पर मनाने की घोषणा की गई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव तस्करी और वेश्वावृत्ति को रोकने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसके बाद से हर साल 2 दिसंबर को यह दिवस मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र महासभा में 2 दिसंबर 1949 को एक संकल्प पारित हुआ, जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस को अडॉप्ट किया गया. इसमें मुख्य उद्देश्य मानव तस्करी रोकना और वेश्यावृति को रोकना था. दोनों को दासता का प्रतीक मानते हुए रेजोल्यूशन 317 (IV) पारित किया गया.
अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस का उद्देश्य
इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य गुलामी के सभी रूपों, जैसे मानव तस्करी, यौन शोषण, सबसे बुरे रूप बाल श्रम, जबरन शादी और सशस्त्र संघर्ष के दौरान बच्चों की सेना में जबरन भर्ती से सम्बंधित मुद्दों के उन्मूलन के लिए सार्थक प्रयासों पर ध्यान केन्द्रित करना है।
अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस के बारे में अन्य विवरण
दासप्रथा का उन्मूलन:
18वीं शती में पश्चिम में दासप्रथा उन्मूलन संबंधी वातावरण बनने लगा था। अमरीकी स्वातंत्र्य युद्ध का एक प्रमुख नारा मनुष्य की स्वतंत्रता था और फलस्वरूप संयुक्त राज्य के उत्तरी राज्यों में सन् 1804 तक दासताविरोधी वातावरण बनाने में मानवीय मूल अधिकारों पर घोर निष्ठा रखनेवाली फ्रांसीसी राज्यक्रांति का अधिक महत्व है। अमरीकी महाद्वीपों के सभी देशों में दासताविरोधी आंदोलन प्रबल होने लगा।
संयुक्त राज्य अमरीका के उदारवादी उत्तर राज्यों में दासता का विरोध जितना प्रबल होता गया उतनी ही प्रतिक्रियावादी दक्षिण के दास राज्यों में दासों के प्रति कठोरता बरती जाने लगी तथा यह तनाव इतना बढ़ा कि अंतत: उत्तरी तथा दक्षिणी राज्यों के बीच गृहयुद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में अब्राहम लिंकन के नेतृत्व में दासविरोधी एकतावादी उत्तरी राज्यों की विजय हुई। सन् 1888 के अधिनियम के अनुसार संयुक्त राज्य में दासता पर खड़े पुर्तगाली ब्राजील साम्राज्य का पतन हुआ। शनै: शनै: अमरीकी महाद्वीपों के सभी देशों से दासता का उन्मूलन होने लगा।
1890 में ब्रसेल्स के 18 देशों के सम्मेलन में हब्श दासों के समुद्री व्यापार को अवैधानिक घोषित किया गया। 1919 के सैंट जर्मेन संमेलन में तथा 1926 के लीग ऑव नेशंस के तत्वावधान में किए गए संमेलन में हर प्रकार की दासता तथा दासव्यापार के संपूर्ण उन्मूलन संबंधी प्रस्ताव पर सभी प्रमुख देशों ने हस्ताक्षर किए। ब्रिटिश अधिकृत प्रदेशों में सन् 1833 में दासप्रथा समाप्त कर दी गई।
अन्य देशों में कानूनन इसकी समाप्ति इन वर्षों में हुई - भारत 1846, स्विडेन 1859, ब्राजिल 1871, अफ्रिकन संरक्षित राज्य 1897, 1901, फिलिपाइन 1902, अबीसीनिया 1921। इस प्रकार 20वीं शती में प्राय: सभी राष्ट्रों ने दासता को अमानवीय तथा अनैतिक संस्था मानकर उसके उन्मूलनार्थ कदम उठाए।
भारत में दास प्रथा:
दक्षिण एशिया विशेष रूप से भारत, पाकिस्तान और नेपाल में ग़रीबी से तंग लोग ग़ुलाम बनने पर मजबूर हुए। भारत में भी बंधुआ मज़दूरी के तौर पर दास प्रथा जारी है। हालांकि सरकार ने वर्ष 1975 में राष्ट्रपति के एक अध्यादेश के जरिए बंधुआ मज़दूर प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया था, किंतु इसके बावजूद यह सिलसिला आज भी जारी है।
भारत के "श्रम व रोजगार मंत्रालय" की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार देश में 19 प्रदेशों से दो लाख 86 हज़ार 612 बंधुआ मज़दूरों की पहचान की गई और उन्हें मुक्त कराया गया। उत्तर प्रदेश के 28 हज़ार 385 में से केवल 58 बंधुआ मज़दूरों को पुनर्वासित किया गया।
दिसम्बर माह के महत्वपूर्ण दिवस की सूची - (राष्ट्रीय दिवस एवं अंतराष्ट्रीय दिवस):
अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस प्रश्नोत्तर (FAQs):
अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस प्रत्येक वर्ष 02 दिसम्बर को मनाया जाता है।
हाँ, अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है, जिसे पूरे विश्व हम प्रत्येक वर्ष 02 दिसम्बर को मानते हैं।
अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस की शुरुआत 2 दिसंबर 1949 को की गई थी।
अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मनाया जाता है।