विश्व संस्कृत दिवस (श्रावणी पूर्णिमा) संक्षिप्त तथ्य
कार्यक्रम नाम | विश्व संस्कृत दिवस (श्रावणी पूर्णिमा) (World Sanskrit Day) |
कार्यक्रम दिनांक | 31 / अगस्त |
कार्यक्रम का स्तर | अंतरराष्ट्रीय दिवस |
कार्यक्रम आयोजक | भारत सरकार |
विश्व संस्कृत दिवस (श्रावणी पूर्णिमा) का संक्षिप्त विवरण
भारत में प्रतिवर्ष श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रावणी पूर्णिमा अर्थात् रक्षा बन्धन ऋषियों के स्मरण तथा पूजा और समर्पण का पर्व माना जाता है। ऋषि ही संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत हैं इसलिए श्रावणी पूर्णिमा को ऋषि पर्व और संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है।विश्व संस्कृत दिवस (श्रावणी पूर्णिमा) का इतिहास
सन 1969 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आदेश से केन्द्रीय तथा राज्य स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने का निर्देश जारी किया गया था। तब से संपूर्ण भारत में संस्कृत दिवस श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है इस दिन को इसीलिए चुना गया था कि इसी दिन प्राचीन भारत में शिक्षण सत्र शुरू होता था। इसी दिन वेद पाठ का आरंभ होता था तथा इसी दिन छात्र शास्त्रों के अध्ययन का प्रारंभ किया करते थे।
पौष माह की पूर्णिमा से श्रावण माह की पूर्णिमा तक अध्ययन बन्द हो जाता था। प्राचीन काल में फिर से श्रावण पूर्णिमा से पौष पूर्णिमा तक अध्ययन चलता था, इसीलिए इस दिन को संस्कृत दिवस के रूप से मनाया जाता है।
विश्व संस्कृत दिवस (श्रावणी पूर्णिमा) का उद्देश्य
विश्व संस्कृत दिवस के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- संरक्षण और पुनरुद्धार: विश्व संस्कृत दिवस का उद्देश्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्य रखने वाली संस्कृत भाषा के संरक्षण और पुनरुद्धार के महत्व को उजागर करना है। यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए भाषा को बचाने और बढ़ावा देने के प्रयासों को प्रोत्साहित करना चाहता है।
- भाषाई और साहित्यिक विरासत: संस्कृत को कई भाषाओं की जननी माना जाता है और इसकी एक विशाल साहित्यिक विरासत है। इस दिन का उद्देश्य दर्शन, विज्ञान, गणित, साहित्य और आध्यात्मिकता सहित विभिन्न क्षेत्रों में संस्कृत के भाषाई और साहित्यिक योगदान को सम्मान देना और स्वीकार करना है।
- शिक्षा और अनुसंधान: विश्व संस्कृत दिवस संस्कृत के अध्ययन को बढ़ावा देने और भाषा विज्ञान, साहित्य, इतिहास और इंडोलॉजी सहित संस्कृत से संबंधित विभिन्न विषयों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने का प्रयास करता है। यह शैक्षिक संस्थानों और विद्वानों को संस्कृत ज्ञान की गहराई और विस्तार का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान और एकता: विश्व संस्कृत दिवस का उत्सव सांस्कृतिक आदान-प्रदान और समझ के लिए एक मंच प्रदान करता है, जो विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों में संस्कृत से जुड़ी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को प्रदर्शित करता है। यह संस्कृत भाषा में निहित साझा विरासत को मान्यता देकर विविध संस्कृतियों के बीच एकता और सद्भाव को बढ़ावा देता है।
- आधुनिक प्रासंगिकता: जबकि संस्कृत एक प्राचीन भाषा है, इसका आधुनिक अनुप्रयोग और प्रासंगिकता बनी हुई है। विश्व संस्कृत दिवस का उद्देश्य योग, ध्यान, आयुर्वेद, ज्योतिष और प्रदर्शन कला सहित विभिन्न विषयों पर इसके प्रभाव को प्रदर्शित करके संस्कृत के समकालीन महत्व को उजागर करना है।
विश्व संस्कृत दिवस (श्रावणी पूर्णिमा) कैसे मनाया जाता है?
1. संस्कृत कार्यशालाओं और कार्यक्रमों का आयोजन
संस्कृत भाषा, साहित्य और संस्कृति पर कार्यशालाओं, सेमिनारों और व्याख्यानों की व्यवस्था करें। अपने ज्ञान और अंतर्दृष्टि को साझा करने के लिए संस्कृत के विद्वानों, भाषाविदों और विशेषज्ञों को आमंत्रित करें। यह शैक्षणिक संस्थानों, सामुदायिक केंद्रों या सांस्कृतिक संगठनों में किया जा सकता है।
2. संस्कृत पाठ एवं प्रतियोगिताएं आयोजित करना
संस्कृत पाठ प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए व्यक्तियों, विशेष रूप से छात्रों को प्रोत्साहित करें। सस्वर पाठ कार्यक्रम आयोजित करके संस्कृत श्लोकों की सुंदरता और माधुर्य को बढ़ावा देना। प्रतिभागियों को उनके प्रयासों के लिए पहचानें और पुरस्कृत करें और भाषा के प्रति प्रेम को प्रोत्साहित करें।
3. संस्कृत प्रदर्शनियों को प्रदर्शित करना
विभिन्न क्षेत्रों में संस्कृत के इतिहास, साहित्य और योगदान को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियाँ बनाएँ। संस्कृत संस्कृति से संबंधित प्राचीन पांडुलिपियों, कलाकृतियों और चित्रों को प्रदर्शित करें। यह आगंतुकों के लिए एक दृश्य उपचार हो सकता है और संस्कृत विरासत के बारे में अधिक जानने का अवसर प्रदान करता है।
4. संस्कृत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की व्यवस्था करना
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करें जिसमें संस्कृत संगीत, नृत्य और नाटक प्रदर्शन शामिल हों। पारंपरिक संस्कृत रचनाओं को प्रस्तुत करने के लिए कलाकारों को प्रोत्साहित करें और संस्कृत प्रदर्शन कलाओं की समृद्धि का प्रदर्शन करें। दर्शकों के लिए यह एक सुखद अनुभव हो सकता है।
5. सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाना
विश्व संस्कृत दिवस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करें। संस्कृत भाषा और उसके महत्व से संबंधित रोचक तथ्य, उद्धरण और संसाधन साझा करें। उत्सव में शामिल होने के लिए दूसरों को प्रोत्साहित करें और संस्कृत की सुंदरता को बढ़ावा दें।
विश्व संस्कृत दिवस (श्रावणी पूर्णिमा) के बारे में अन्य विवरण
संस्कृत भाषा भारत देश की सबसे प्राचीन भाषा है, इसी से देश में दूसरी भाषाएँ निकली है। सबसे पहले भारत में संस्कृत ही बोली गई थी। आज इसे भारत के 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। उत्तराखंड राज्य की यह एक आधिकारिक भाषा है। भारत देश के प्राचीन ग्रन्थ, वेद आदि की रचना संस्कृत में ही हुई थी। यह भाषा बहुत सी भाषा की जननी है, इसके बहुत से शब्दों के द्वारा अंग्रेजी के शब्द बने है।
महाभारत काल में वैदिक संस्कृत का प्रयोग होता है। संस्कृत आज देश की कम बोले जानी वाली भाषा बन गई है। लेकिन इस भाषा की महत्ता को हम सब जानते है, इसके द्वारा ही हमें दूसरी भाषा सिखने बोलने में मदद मिली, इसकी सहायता से बाकि भाषा की व्याकरण समझ में आई।
भारत में मौजूद संस्कृत यूनिवर्सिटी (List of Sanskrit University in India):
भारत में अभी भी बहुत से ऐसे लोग है, जो संस्कृत भाषा में अध्ययन करते है। भारत में पहली संस्कृत यूनिवर्सिटी 1791 में वाराणसी में खुली थी।
स्थापना वर्ष | यूनिवर्सिटी का नाम | स्थान |
1791 | सम्पूर्ण आनंद संस्कृत यूनिवर्सिटी | वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
1876 | सद्विद्या पाठशाला | मैसूर, कर्नाटक |
1961 | कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत यूनिवर्सिटी | दरभंगा, बिहार |
1962 | राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ | तिरुपति, आंध्र प्रदेश |
1962 | श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ | नई दिल्ली |
1970 | राष्ट्रीय संस्कृत संसथान | नई दिल्ली |
1981 | श्री जगन्नाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी | पूरी, उड़ीसा |
1986 | नेपाल संस्कृत यूनिवर्सिटी | नेपाल |
1993 | श्री शंकराचार्य यूनिवर्सिटी ऑफ़ संस्कृत | कलादी, केरल |
1997 | कविकुलागुरु कालिदास संस्कृत यूनिवर्सिटी | रामटेक, महाराष्ट्र |
2001 | जगद्गुरु रामानंदचार्य राजस्थान संस्कृत यूनिवर्सिटी | जयपुर, राजस्थान |
2005 | श्री सोमनाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी | सोमनाथ, गुजरात |
2008 | महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय | उज्जैन, मध्य प्रदेश |
2011 | कर्नाटक संस्कृत यूनिवर्सिटी | बेंगलुरु, कर्नाटक |
2011 | कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत और प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय | नलबाड़ी, असम |
2011 | महर्षि बाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय | कैथल, हरियाणा |
अगस्त माह के महत्वपूर्ण दिवस की सूची - (राष्ट्रीय दिवस एवं अंतराष्ट्रीय दिवस):
तिथि | दिवस का नाम - उत्सव का स्तर |
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06 अगस्त | हिरोशिमा दिवस - अंतरराष्ट्रीय दिवस |
10 अगस्त | डेंगू निरोधक दिवस - अंतरराष्ट्रीय दिवस |
12 अगस्त | विश्व हाथी दिवस - अंतरराष्ट्रीय दिवस |
12 अगस्त | अन्तरराष्ट्रीय युवा दिवस - अंतरराष्ट्रीय दिवस |
13 अगस्त | विश्व अंगदान दिवस - अंतरराष्ट्रीय दिवस |
15 अगस्त | स्वतंत्रता दिवस - राष्ट्रीय दिवस |
19 अगस्त | विश्व फोटोग्राफी दिवस - अंतरराष्ट्रीय दिवस |
20 अगस्त | विश्व मच्छर दिवस - अंतरराष्ट्रीय दिवस |
20 अगस्त | सद्भावना दिवस - राष्ट्रीय दिवस |
26 अगस्त | अंतरराष्ट्रीय महिला समानता दिवस - अंतरराष्ट्रीय दिवस |
29 अगस्त | राष्ट्रीय खेल दिवस - राष्ट्रीय दिवस |
30 अगस्त | अंतर्राष्ट्रीय लघु उद्योग - अंतरराष्ट्रीय दिवस |
31 अगस्त | विश्व संस्कृत दिवस (श्रावणी पूर्णिमा) - अंतरराष्ट्रीय दिवस |
अगस्त माह का पहला सप्ताह अगस्त | विश्व स्तनपान सप्ताह - अंतरराष्ट्रीय दिवस |
विश्व संस्कृत दिवस (श्रावणी पूर्णिमा) प्रश्नोत्तर (FAQs):
विश्व संस्कृत दिवस (श्रावणी पूर्णिमा) प्रत्येक वर्ष 31 अगस्त को मनाया जाता है।
हाँ, विश्व संस्कृत दिवस (श्रावणी पूर्णिमा) एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है, जिसे पूरे भारत हम प्रत्येक वर्ष 31 अगस्त को मानते हैं।
विश्व संस्कृत दिवस (श्रावणी पूर्णिमा) प्रत्येक वर्ष भारत सरकार द्वारा मनाया जाता है।