विश्व रेगिस्तान तथा सूखा रोकथाम दिवस संक्षिप्त तथ्य
कार्यक्रम नाम | विश्व रेगिस्तान तथा सूखा रोकथाम दिवस (World Desert and Drought Prevention Day) |
कार्यक्रम दिनांक | 17 / जून |
कार्यक्रम की शुरुआत | 1995 |
कार्यक्रम का स्तर | अंतरराष्ट्रीय दिवस |
कार्यक्रम आयोजक | संयुक्त राष्ट्र महासभा |
विश्व रेगिस्तान तथा सूखा रोकथाम दिवस का संक्षिप्त विवरण
प्रत्येक साल विश्व के विभिन्न देशो में 17 जून को विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम दिवस (डब्ल्यूडीसीडी) मनाया जाता है।
विश्व रेगिस्तान तथा सूखा रोकथाम दिवस का इतिहास
वर्ष 1995 से विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम दिवस (डब्ल्यूडीसीडी) से प्रत्येक साल विश्व के विभिन्न देशो में मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग से बंजर और सूखे के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए जन जागरुकता को बढ़ावा देना है। वर्ष 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने प्रस्ताव ए/आऱईएस/49/115 में बंजर औऱ सूखे से जुड़े मुद्दे पर जन जागरुकता को बढ़ावा देने और सूखे और/या मरुस्थलीकरण का दंश झेल रहे देशों खासकर अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र के मरुस्थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन के कार्यान्वयन के लिए विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम और सूखा दिवस की घोषणा की।
विश्व रेगिस्तान तथा सूखा रोकथाम दिवस के बारे में अन्य विवरण
रेगिस्तान या मरुस्थल किसे कहते है?
रेगिस्तान या मरुस्थल एक बंजर, शुष्क क्षेत्र है, जहाँ वनस्पति नहीं के बराबर होती है, यहाँ केवल वही पौधे पनप सकते हैं, जिनमें जल संचय करने की अथवा धरती के बहुत नीचे से जल प्राप्त करने की अदभुत क्षमता हो।
यहाँ पर उगने वाले पौधे ज़मीन के काफ़ी नीचे तक अपनी जड़ों को विकसित कर लेते हैं, जिस कारण नीचे की नमी को ये आसानी से ग्रहण कर लेते हैं। मिट्टी की पतली चादर, जो वायु के तीव्र वेग से पलटती रहती है और जिसमें कि खाद-मिट्टी प्राय: का अभाव होता है, वह उपजाऊ नहीं होती।
इन क्षेत्रों में वाष्पीकरण की क्रिया से वाष्पित जल, वर्षा से प्राप्त कुल जल से अधिक हो जाता है, तथा यहाँ वर्षा बहुत कम और कहीं-कहीं ही हो पाती है। अंटार्कटिका क्षेत्र को छोड़कर अन्य स्थानों पर सूखे की अवधि एक साल या इससे भी अधिक भी हो सकती है। इस क्षेत्र में बेहद शुष्क व गर्म स्थिति किसी भी पैदावार के लिए उपयुक्त नहीं होती है।
मरुस्थल के प्रकार:
विभिन्न प्रकार की भौगोलिक स्थलाकृतियों के आधार पर मरुस्थल निम्न प्रकार के होते हैं
- वास्तविक मरुस्थल: इसमें बालू की प्रचुरता पाई जाती है।
- पथरीले मरुस्थल: इसमें कंकड़-पत्थर से युक्त भूमि पाई जाती है। इन्हें अल्जीरिया में रेग तथा लीबिया में सेरिर के नाम से जाना जाता है।
- चट्टानी मरुस्थल: इसमें चट्टानी भूमि का हिस्सा अधिकाधिक होता है। इन्हें सहारा क्षेत्र में हमादा कहा जाता है।
संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन
संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत तीन रियो समझौतों (Rio Conventions) में से एक है। अन्य दो समझौते निम्नलिखित हैं-
1. जैव विविधता पर समझौता।
2. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क समझौता।
UNCCD एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो पर्यावरण एवं विकास के मुद्दों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी है। मरुस्थलीकरण की चुनौती से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से इस दिवस को 25 साल पहले शुरू किया गया था। तब से प्रत्येक वर्ष 17 जून को "विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस" मनाया जाता है।
जून माह के महत्वपूर्ण दिवस की सूची - (राष्ट्रीय दिवस एवं अंतराष्ट्रीय दिवस):
विश्व रेगिस्तान तथा सूखा रोकथाम दिवस प्रश्नोत्तर (FAQs):
विश्व रेगिस्तान तथा सूखा रोकथाम दिवस प्रत्येक वर्ष 17 जून को मनाया जाता है।
हाँ, विश्व रेगिस्तान तथा सूखा रोकथाम दिवस एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है, जिसे पूरे विश्व हम प्रत्येक वर्ष 17 जून को मानते हैं।
विश्व रेगिस्तान तथा सूखा रोकथाम दिवस की शुरुआत 1995 को की गई थी।
विश्व रेगिस्तान तथा सूखा रोकथाम दिवस प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मनाया जाता है।