भारत का पहला गैसोलीन और डीजल संदर्भ ईंधन
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL) ने भारत का पहला गैसोलीन और डीजल संदर्भ ईंधन लॉन्च किया, जिसका उपयोग इंजन विकसित करने और उनके प्रदर्शन का आकलन करने के लिए किया जाता था। यह समारोह केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी की उपस्थिति में आयोजित किया गया। ये 'संदर्भ' ईंधन नियमित और प्रीमियम पेट्रोल और डीजल से अलग हैं, क्योंकि इनमें उच्च विशिष्टताएं हैं, जो इन्हें निर्माताओं और एजेंसियों जैसे इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी) और ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन द्वारा कैलिब्रेटिंग और परीक्षण के लिए उपयोग करने की अनुमति देती हैं।दशकों से, भारत इन विशेष ईंधनों की मांग को पूरा करने के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर रहा है, जिससे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता बढ़ गई है।
संदर्भ ईंधन लॉन्च मुख्य तथ्य
- इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने आयात को प्रतिस्थापित करने और कम लागत पर विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इन उच्च-विनिर्देश संदर्भ ईंधन को विकसित किया है।
- IOCL ने अपनी पारादीप रिफाइनरी में E0, E5, E10, E20 और E85 के उपलब्ध ग्रेड के साथ गैसोलीन संदर्भ ईंधन और अपनी पानीपत रिफाइनरी में डीजल संदर्भ ईंधन (B7 ग्रेड) के उत्पादन के लिए सुविधाएं स्थापित की हैं।
- घरेलू स्तर पर 'संदर्भ' ईंधन का उत्पादन एक महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ प्रदान करता है। जबकि आयातित 'संदर्भ' ईंधन की लागत 800-850 रुपये प्रति लीटर के बीच है, इसके घरेलू उत्पादन से लागत लगभग 450 रुपये प्रति लीटर कम होने की उम्मीद है।
- इन ईंधनों का उपयोग ऑटोमोबाइल निर्माताओं और परीक्षण एजेंसियों जैसे इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी) और ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा वाहनों के अंशांकन और परीक्षण के लिए किया जाता है।
- भारत की आत्मनिर्भरता रणनीति का लक्ष्य ऊर्जा क्षेत्र में आयात पर देश की निर्भरता को खत्म करना है।
- यह पहली बार है कि भारत ने आयात निर्भरता को कम करते हुए संदर्भ गैसोलीन और डीजल ईंधन के उत्पादन में कदम रखा है।
- यह कदम भारत के ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने, कार्बन पदचिह्न को कम करने और आयात को समाप्त करके लागत लाभ प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) की भूमिका
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) ने आयात के स्थान पर स्वदेशी उत्पाद विकसित करके इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह न केवल 'संदर्भ' ईंधन की विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करता है बल्कि वाहन निर्माताओं और परीक्षण एजेंसियों के लिए लागत को भी काफी हद तक कम करता है। ओडिशा में आईओसी की पारादीप रिफाइनरी 'रेफरेंस' ग्रेड पेट्रोल का उत्पादन करेगी, जबकि हरियाणा में इसकी पानीपत इकाई उच्च गुणवत्ता वाले डीजल का उत्पादन करेगी।