आईएनएस वगीर (S25)
INS वागीर (S25) भारतीय नौसेना के लिए छह कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बियों के पहले बैच की पांचवीं पनडुब्बी है जिसे 12 नवंबर 2020 को लॉन्च किया गया था। यह स्कॉर्पीन क्लास पर आधारित डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बी है, जिसे फ्रांसीसी नौसेना द्वारा डिजाइन किया गया और रक्षा और ऊर्जा समूह, नौसेना समूह और मुंबई, महाराष्ट्र में एक भारतीय शिपयार्ड मझगांव डॉक लिमिटेड द्वारा बनाया गया है।
पनडुब्बी को अपना नाम INS वागीर (S41) से विरासत में मिला, जो 1973-2001 तक नौसेना में सेवा करता था, और इसका नाम सैंडफिश की एक प्रजाति के नाम पर रखा गया था। पांचवीं कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बी वागीर ने 2 फरवरी, 2022 को अपना पहला समुद्री परीक्षण शुरू किया और 23 जनवरी, 2023 को कमीशन किया गया।
INS Vagir की यह है खूबियां:-
आईएनएस वागीर कलवारी क्लास की पांचवी पनडुब्बी है और इसमें कई बड़ी मिसाइल रखी जा सकती है। इसका रडार सिस्टम दुनिया से सबसे बेहतरीन में से एक है और इसकी स्पीड भी अच्छी मानी गई है। 67 मीटर लंबी यह पनडुब्बी पानी के ऊपर 20 किमी और पानी के अंदर 40 किमी की स्पीड से चल सकती है। इसमें एक साथ 50 से अधिक नौसेना के जवान और अधिकारी कोई भी मिशन में शामिल हो सकते हैं।
- यह पनडुब्बी 221 फीट लंबी, 40 फीट ऊंची, 19 फीट गहरी और 1565 टन वजनी है।
- मशीनरी को इस तरह लगाया गया है कि करीब 11 किमी लंबी पाइप फिटिंग हो जाती है। करीब 60 किलोमीटर केबल फिटिंग का काम हो चुका है।
- विशेष स्टील से बने सबमर्सिबल में उच्च तन्यता ताकत होती है, जो इसे पानी की अधिक गहराई में काम करने में सक्षम बनाती है। वागीर पनडुब्बी 45-50 दिनों तक पानी के अंदर रह सकती है। स्टील्थ तकनीक के कारण यह रडार की पकड़ में नहीं आता है। किसी भी मौसम में काम करने में सक्षम।
- आईएनएस वगीर के अंदर 360 बैटरी सेल हैं। प्रत्येक बैटरी सेल का वजन लगभग 750 किलोग्राम है। इन बैटरियों के दम पर आईएनएस वगीर 6500 नॉटिकल मील यानी करीब 12000 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है।
- यह दो 1250 kW डीजल इंजन द्वारा संचालित है।
- यह पनडुब्बी 350 मीटर की गहराई में जाकर दुश्मन का पता लगा लेती है। इसकी टॉप स्पीड 22 नोट है।
आईएनएस कलवरी क्लास की सबमरीन:-
आईएनएस वागीर, कलावरी क्लास की पांचवीं सबमरीन है. परियोजना-75 के तहत पहली सबमरीन INS कलवरी को भारतीय नौसेना में दिसंबर 2017, दूसरी सबमरीन INS खंडेरी को सितंबर 2019 में, तीसरी सबमरीन INS करंज को मार्च 2021 में और चौथी INS वेला को नवंबर 2021 में सेवा में शामिल किया गया था. छठी और आखिरी सबमरीन वाग्शीर को 2023 के अंत तक नौसेना में शामिल करने की उम्मीद है.
पनडुब्बियों का निर्माण भारत में मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस के सहयोग से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई द्वारा किया जा रहा है। कलवरी श्रेणी की चार पनडुब्बियों को भारतीय नौसेना में पहले ही शामिल किया जा चुका है।
रेत शार्क 'चुपके और निडरता' का प्रतिनिधित्व करती है, दो गुण जो एक पनडुब्बी के लोकाचार के पर्याय हैं।