जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023
6 दिसंबर 2023 को लोकसभा ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2023 को ध्वनि मत से पारित कर दिया। लोकसभा में जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक उन विस्थापित लोगों को अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण देने के लिए लाया गया है जो वर्षों से अपने अधिकारों से वंचित हैं और सम्मान के लिए लड़ रहे हैं।
जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023
जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन करता है। यह अधिनियम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण प्रदान करता है।
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन करता है। 2019 अधिनियम ने जम्मू और कश्मीर विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 83 निर्दिष्ट करने के लिए 1950 अधिनियम की दूसरी अनुसूची में संशोधन किया। इसमें छह सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं. अनुसूचित जनजाति के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं की गई। वर्तमान विधेयक में सीटों की कुल संख्या बढ़ाकर 90 कर दी गई है। इसमें अनुसूचित जाति के लिए सात सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए नौ सीटें भी आरक्षित हैं।
विधेयक में कहा गया है कि उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से अधिकतम दो सदस्यों को विधानसभा में नामित कर सकते हैं। नामांकित सदस्यों में से एक महिला होनी चाहिए। विधेयक में यह भी कहा गया है कि उपराज्यपाल पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को विधान सभा में नामित कर सकते हैं।
विधेयकों का उद्देश्य
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि मौजूदा विधेयकों का उद्देश्य सकारात्मक है और वह सभी से इन्हें सर्वसम्मति से पारित करने का अनुरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के दौर में राज्य से 46 हजार 631 परिवार विस्थापित हुए. इसके अलावा पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान 41 हजार 844 परिवार विस्थापित हुए. विधेयक का उद्देश्य इन लोगों को सम्मानपूर्वक उनका अधिकार दिलाना है.
परिवर्तनों का विस्तृत विवरण
गृह मंत्री ने 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आए बदलावों का विस्तृत विवरण दिया. उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद अलगाववाद की जड़ में था, जिसे हटाने से अलगाववाद की भावना धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी. उन्होंने कहा कि इसके कारण घाटी में आतंकवादी घटनाओं में 70 प्रतिशत, नागरिकों की मौत में 72 प्रतिशत और सशस्त्र बलों की मौत में 59 प्रतिशत की कमी आयी है.
इसके अलावा पत्थरबाजी और संगठित हड़तालें भी अब नगण्य हो गई हैं. राज्य में न्यायिक परिसीमन के बाद अब अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 9 सीटें आरक्षित कर दी गई हैं. अब जम्मू में 37 की जगह 43 विधानसभा सीटें और कश्मीर में 46 की जगह 47 विधानसभा सीटें होंगी. जबकि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लिए 24 सीटें आरक्षित की गई हैं. कुल सीटें 107 से बढ़ाकर 114 कर दी गई हैं। दो सीटें विस्थापित लोगों के लिए और दो सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों के लिए नामित की जाएंगी।