पर्यूषण पर्व संक्षिप्त तथ्य
त्यौहार का नाम | पर्यूषण पर्व (Paryushana) |
त्यौहार की तिथि | 11 सितंबर 2023 - 18 सितंबर 2023 |
त्यौहार का प्रकार | धार्मिक |
त्यौहार का स्तर | वैश्विक |
त्यौहार के अनुयायी | जैन |
पर्यूषण पर्व का इतिहास
पर्यूषण पर्व, जैन समाज का एक महत्वपूर्ण पर्व है। जैन धर्मावलंबी भाद्रपद मास में पर्यूषण पर्व मनाते हैं। श्वेताम्बर संप्रदाय के पर्यूषण 8 दिन चलते हैं। 8 वें दिन जैन धर्म के लोगों का महत्वपूर्ण त्यौहार संवत्सरी महापर्व मनाया जाता है। इस दिन यथा शक्ति उपवास रखा जाता है। पर्यूषण पर्व की समाप्ति पर क्षमायाचना पर्व मनाया जाता है। उसके बाद दिगंबर संप्रदाय वाले 10 दिन तक पर्यूषण मनाते हैं जिसे वो 'दशलक्षण धर्म' के नाम से संबोधित करते हैं।
पर्यूषण पर्व का इतिहास जैन धर्म के अनुसार अति प्राचीन है। त्योहार का अर्थ श्रमण भाषा में "परिवार का जमावड़ा" है और इसे जैन समुदाय के सदस्यों की सैन्य और आध्यात्मिक प्रवृत्ति का त्योहार माना जाता है। पर्यूषण पर्व का मूल आचरण और अभ्यास जैन तीर्थंकर भगवान महावीर के जीवन काल से चला आ रहा है। ऐसा माना जाता है कि भगवान महावीर ने इस त्योहार के दौरान अपनी नवीनतम शिक्षा दी और जैन धर्म के मुख्य सिद्धांतों को प्रतिपादित किया। पर्यूषण पर्व का इतना महत्व है कि इसे जैन समुदाय के सदस्यों द्वारा लंबे समय से एक धार्मिक त्योहार के रूप में मनाया जाता रहा है। यह पर्व अहिंसा, सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और अनेकांतवाद जैसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों को समर्पित है। पर्यूषण पर्व के दौरान, जैन समुदाय के लोग विभिन्न आचार्यों और गुरुओं के संदेशों का पालन करते हैं और आध्यात्मिक प्रथाओं और प्रतिज्ञाओं के माध्यम से खुद को शुद्ध करते हैं। इसके अलावा, इस अवसर पर, समुदाय के सदस्य विवादों को सुलझाने, दया और क्षमा के महत्व को समझाने और सैन्य और रणनीतिक गठजोड़ को बढ़ावा देने के लिए एक दूसरे के साथ भजन, कीर्तन, प्रवचन और प्रार्थना में शामिल होते हैं। हैं।
पर्यूषण पर्व का महत्व
एक प्रसिद्ध पर्यूषण पर्व से संबंधित कहानी है "चिड़िया और उसके बच्चे" की। यह कहानी बताती है कि एक छोटी सी चिड़िया एक पेड़ पर अपने बच्चों के साथ रहती थी। पर्यूषण पर्व के दौरान, वह चिड़िया और उसके बच्चे व्रत और उपवास के नियमों का पालन करते थे। एक दिन, बहुत भूखी होने के कारण चिड़िया ने एक फल खाने के लिए पेड़ के नीचे उड़ान भरी। तभी एक भालू आया और उसने चिड़िया के पास खड़े उसके बच्चों को खाने के लिए कहा। चिड़िया बहुत दुखी हो गई, लेकिन उसने भालू को बताया कि वह पर्यूषण पर्व मना रही है और व्रत के दौरान वह किसी भी रूप में दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचा सकती है। इस पर, भालू ने चिड़िया से माफी मांगी और उसके बच्चों को छोड़ दिया। वह बाद में चिड़िया के पास लौटा और उसने कहा कि उसे पर्यूषण पर्व के महत्व और अहिंसा का अनुभव हुआ है। उसने समझा कि हर एक जीव की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है और हमें सभी जीवों के प्रति सदयता और करुणा रखनी चाहिए। यह कहानी बताती है कि पर्यूषण पर्व एक ऐसा अवसर है जब हमें अहिंसा, दया, और सामरिकता के महत्व को समझना चाहिए और हमेशा दूसरों के प्रति सम्मान और प्यार रखना चाहिए।
पर्यूषण पर्व कैसे मनाते हैं
पर्यूषण पर्व का मनाने का तरीका जैन समुदाय के विभिन्न सम्प्रदायों और आचार्यों के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है, लेकिन यहां कुछ मुख्य तत्वों का उल्लेख किया गया है जो आमतौर पर पर्यूषण पर्व के दौरान मनाए जाते हैं:
उपवास (व्रत): पर्यूषण पर्व के दौरान, जैन समुदाय के लोग नियमित रूप से उपवास रखते हैं। यह उन्हें अनाज, फल, और मसालेदार भोजन से दूर रहने के लिए प्रोत्साहित करता है। कुछ लोग निरजल उपवास (बिना पानी के उपवास) भी रखते हैं।
प्रतिमा विसर्जन: पर्यूषण पर्व के दौरान, जैन मंदिरों में विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। इन प्रतिमाओं को पर्यूषण पर्व के अंत में विसर्जित किया जाता है। यह आचार्यों के उपदेशों का प्रतीक होता है कि हमें सबको समान दृष्टि से देखना चाहिए और आपसी भेदभाव को दूर करना चाहिए।
व्रत विधि: पर्यूषण पर्व में व्रती लोगों को विशेष व्रत विधि का पालन करना पड़ता है। इसमें उन्हें आचार्यों द्वारा प्रदान की जाने वाली शिक्षाओं का अनुसरण करना होता है, जिसमें अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अनेकांतवाद जैसे मूल्यों का पालन किया जाता है।
पूजा-पाठ: पर्यूषण पर्व में व्रती लोग पूजा-पाठ, प्रवचन, और धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय भाग लेते हैं। वे मंदिरों में जाते हैं और भगवान के दर्शन, भजन, आरती और पूजा करते हैं।
आध्यात्मिक स्वाध्याय: इस अवसर पर, व्रती लोग आध्यात्मिक स्वाध्याय करते हैं, जैसे कि पवित्र ग्रंथों के पाठ और उनके व्याख्यान। इससे उनकी आध्यात्मिकता और ज्ञान का विकास होता है।
सेवा:पर्यूषण पर्व के दौरान, व्रती लोग सेवा-भावना को महत्व देते हैं। वे दान और दया कार्यों में सक्रिय रहते हैं, जैसे कि दरिद्र लोगों की सहायता, अन्नदान, वृक्षारोपण, जल-दान आदि।
पर्यूषण पर्व की परंपराएं और रीति-रिवाज
पर्यूषण पर्व जैन समुदाय का महत्वपूर्ण त्योहार है जो संयम, आध्यात्मिकता, और स्वच्छता के महत्व को प्रतिष्ठित करता है। यह पर्व जैन धर्म की महत्वपूर्ण प्रतिमान है और समुदाय के सदस्यों के लिए धार्मिकता के एक आदर्श रूप का कार्य करता है। पर्यूषण पर्व के दौरान, जैन समुदाय के लोग विभिन्न रीति-रिवाजों का पालन करते हैं, जो उनकी आध्यात्मिकता और संयम को दर्शाते हैं। पर्यूषण में जैन समुदाय के सदस्य अपनी आहारिक आवश्यकताओं को संयमित करते हैं और विशेष आहार पदार्थों का सेवन नहीं करते हैं। यह उनके शरीर, मन, और आत्मा की शुद्धि को प्राप्त करने का एक माध्यम है। कुछ लोग एक बार भोजन करते हैं, जबकि कुछ लोगों का उपवास एकांतिक होता है, जहां वे केवल पानी का सेवन करते हैं। इस प्रकार, वे शरीरिक और मानसिक संयम प्राप्त करते हैं और अपने आध्यात्मिक साधना में प्रगति करते हैं।
पर्यूषण पर्व के दौरान, जैन समुदाय के सदस्य आध्यात्मिक स्वाध्याय करते हैं। वे पवित्र जैन ग्रंथों के पाठ करते हैं और धार्मिक ग्रंथों के व्याख्यान सुनते हैं। यह उनकी आध्यात्मिकता और ज्ञान को विकसित करता है और उन्हें धार्मिक मार्गदर्शन प्रदान करता है। पर्यूषण पर्व के दौरान जलदान भी एक महत्वपूर्ण रीति-रिवाज है। जैन समुदाय में जलदान की प्रथा होती है, जिसमें लोग जल के वस्त्रों को पहनते हैं, जल की बंदूकों से प्रवाहित करते हैं, और जल के मन्त्रों के साथ धार्मिक कार्यों का अभिप्रेत करते हैं। इससे जल का महत्व और उसकी प्रथमता को दर्शाया जाता है और जल के संरक्षण की भावना को बढ़ावा दिया जाता है। इसके अलावा, पर्यूषण पर्व के दौरान जैन समुदाय के सदस्य दान और सेवा को महत्व देते हैं। वे दरिद्र लोगों की सहायता, अन्नदान, वृक्षारोपण, वन में स्वच्छता अभियान, और प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षण में अपनी सहायता और योगदान करते हैं। यह दान और सेवा के माध्यम से समुदाय की सेवा और उदारता को प्रकट करता है। पर्यूषण पर्व के रीति-रिवाज जैन समुदाय के सदस्यों को आध्यात्मिकता, संयम, स्वच्छता, और सेवा की महत्वपूर्ण शिक्षाएं प्रदान करते हैं।पर्यूषण पर्व के बारे में अन्य जानकारी
पर्यूषण पर्व मनाने में विभिन्न बदलाव हुए हैं जो समय के साथ जैन समुदाय में प्रभावी हुए हैं। पर्यूषण पर्व के दौरान अब जैन समुदाय के सदस्य जैन तीर्थंकरों के जीवन के बारे में और उनके व्याख्यानों के बारे में अधिक जानने के लिए उत्साहित किए जाते हैं। इसके माध्यम से, वे जैन धर्म की महत्वपूर्ण उपदेशों और सिद्धान्तों का अध्ययन करते हैं और उनके आचरण में सम्मिलित होने का प्रयास करते हैं। इंटरनेट और डिजिटल तकनीकों की उपलब्धता के साथ, आध्यात्मिक वेबिनार और संगठनों की संख्या में वृद्धि हुई है। पर्यूषण पर्व के दौरान वैबिनार और संगठनों के माध्यम से जैन समुदाय के सदस्य आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते हैं, धार्मिक ग्रंथों के बारे में विचार-विमर्श करते हैं और समुदाय के अन्य सदस्यों के साथ अनुभव साझा करते हैं। पर्यूषण पर्व के दौरान श्रावक-श्राविका सभाएं आयोजित की जाती हैं, जहां जैन समुदाय के सदस्य एक दूसरे के साथ मिलकर आध्यात्मिकता, संयम, स्वच्छता, और जल संरक्षण के विषय में विचार-विमर्श करते हैं। ये सभाएं जैन समुदाय के सदस्यों के बीच आपसी सम्बन्ध और आध्यात्मिकता को मजबूत करती हैं। पर्यूषण पर्व के आधार पर, जैन समुदाय के सदस्यों के बीच प्रदूषण कम करने के लिए विभिन्न पहल किए जाते हैं। उन्हें प्रदूषण कम करने के लिए धार्मिक आदेशों और नियमों का पालन करने की संकल्पना बनाई जाती है और वे प्रदूषण जैसी समस्याओं के समाधान के लिए उत्साहित किए जाते हैं।
ये बदलाव पर्यूषण पर्व मनाने में देखे जाने वाले हैं, जो जैन समुदाय के सदस्यों को आध्यात्मिक उद्धार, स्वच्छता, और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझने और अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। इन बदलावों के माध्यम से, पर्यूषण पर्व समाज में जागरूकता और परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण संकेत है।
महत्वपूर्ण त्योहारों की सूची:
तिथि | त्योहार का नाम |
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25 मार्च 2024 | होली |
14-15 जनवरी 2024 | पोंगल |
14 फरवरी 2024 | वसंत पंचमी |
8 मार्च 2024 | महा शिवरात्रि |
15 नवंबर 2023 | भाई दूज |
28 जून 2023 | ईद अल-अज़हा |
17 नवंबर 2023 - 20 नवंबर 2023 | छठ पूजा |
23 मई 2024 | बुद्ध पूर्णिमा |
7 सितंबर 2023 | जन्माष्टमी |
19 सितंबर 2023 | गणेश चतुर्थी |
12 नवंबर 2023 | दिवाली |
27 नवंबर 2023 | गुरु पर्व |
11 सितंबर 2023 - 18 सितंबर 2023 | पर्यूषण पर्व |
10 – 11 अप्रैल 2024 | ईद उल-फितर |
पर्यूषण पर्व प्रश्नोत्तर (FAQs):
इस वर्ष पर्यूषण पर्व का त्यौहार 11 सितंबर 2023 - 18 सितंबर 2023 को है।
पर्यूषण पर्व एक धार्मिक त्यौहार है, जिसे प्रत्येक वर्ष बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
पर्यूषण पर्व का त्यौहार प्रत्येक वर्ष जैन धर्म / समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है।
पर्यूषण पर्व एक वैश्विक स्तर का त्यौहार है, जिसे मुख्यतः जैन धर्म / समुदाय के लोगों द्वारा धूम धाम से मनाया जाता है।