भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के बारे में जानकारी:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर के क्षेत्र को विशेष दर्जा दिया था, जिससे इसे एक अलग संविधान, राज्य का झंडा और राज्य के आंतरिक प्रशासन पर स्वायत्तता मिली थी। संविधान के भाग XXI के लेख की एक पाण्डुलिपि तैयार की गई थी जिसके अनुसार जम्मू और कश्मीर को संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान दिये गए थे साथ ही जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा को, इसकी स्थापना के बाद, भारतीय संविधान के उन लेखों की रिकमेंडेशन करने का अधिकार दिया गया था।
इसके बाद वर्ष 1954 में जम्मू और कश्मीर राज्य की संविधान सभा के साथ परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा आदेश आदेश जारी किया गया था।
अनुच्छेद 370 का संसक्षिप्त विवरण:
अनुच्छेद सम्बन्धी भाग | XXI |
अनुच्छेद 370 के भाग का नाम | अस्थायी, परिवर्ती और विशेष प्रावधान |
विशेष हस्तक्षेप से तैयार | जवाहरलाल नेहरू |
लागू होने की तिथि | 26 जनवरी 1950 |
अनुच्छेद 370 के शीर्षक के शब्द | जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अस्थायी प्रावधान |
अनुच्छेद 370 के अनुसार जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष अधिकार:
- धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार,भारतीय संसद को जम्मू-कश्मीर की रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है परंतु किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र सरकार को राज्य सरकार का समर्थन चाहिये।
- धारा 370 का विशेष दर्जा प्राप्त के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर भारतीय संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती हैं धारा 365 में राज्यों की सांविधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबंध दिया गया है।
- धारा 370 के कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को समाप्त करने का अधिकार नहीं है।
- 1976 का शहरी भूमि कानून भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता है।
- भारत के अन्य राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं। धारा 370 के तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार है।
- भारतीय संविधान की धारा 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने वाला प्रावधान दिया गया है वह जम्मू-कश्मीर राज्य पर लागू नहीं होता
- धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर का झंडा अलग होता है जिसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता का अधिकार है।
- केवल जम्मू-कश्मीर राज्य की संविधान सभा की अनुशंसा पर ही अनुच्छेद 370 को निरस्त या संशोधित किया जा सकता है।
अनुच्छेद 370 से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:
- 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रपति के आदेशानुसार, आधिकारिक रूप से संविधान जम्मू और कश्मीर में भारत के संविधान के साथ धारा 370 को समकालीन रूप से लागू किया किया गया था।
- भारतीय संविधान के बाईस भागों में से दस में कुछ लेख जम्मू और कश्मीर के लिए विस्तारित किए गए थे, जिनमें संशोधन और अपवाद राज्य सरकार द्वारा दिए गए थे। परंतु वर्ष 1954 के राष्ट्रपति के आदेश से इस आदेश को निरस्त कर दिया गया था।
- वर्ष 1956 में, ऑक्ट्रोई, केंद्रीय नौसेना, नागरिक उड्डयन और डाक विभाग के कानून और नियम जम्मू और कश्मीर में लागू किए गए थे।
- वर्ष 1958 बाद से, इस राज्य में IAS और IPS अधिकारियों की केंद्रीय सेवा की नियुक्ति शुरू हुई। इसके साथ ही CAG (CAG) के अधिकार भी इस राज्य पर लागू हुए और वर्ष 1959 में भारतीय जनगणना कानून जम्मू और कश्मीर पर लागू हुआ था।
- 1979 में, इस राज्य पर संविधान के अनुच्छेद 354 और 35 को लागू किया गया था। इन अनुच्छेद के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में संवैधानिक व्यवस्था में गड़बड़ी होने पर राष्ट्रपति को जम्मू और कश्मीर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार प्राप्त था।
- वर्ष 1949 में लोकसभा में प्रत्यक्ष मतदान द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को भेजने का अधिकार दिया गया था जिसके बाद 1985 से, श्रम कल्याण, श्रम संगठन, सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक बीमा से संबंधित केंद्रीय कानून राज्य में लागू हुए थे।
- गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 5 अगस्त 2019 को, जम्मू और कश्मीर को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों दर्जा देने के लिए राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया था जिसमें जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख को राज्य दर्जा दिलाने का उद्देश्य सम्मिलित था यह केवल जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में विधेयक के तहत एक विधायिका का प्रस्ताव है, जबकि लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश में एक नहीं होने का प्रस्ताव है। प्रस्ताव को राज्यसभा ने 125 मतों से अपने पक्ष में कर लिया। जिसके साथ ही 6 अगस्त 2019 को बिल को लोकसभा ने 370 मतों से अपने पक्ष में कर लिया था।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 की समाप्ति पर बदलाव:
- जम्मू और कश्मीर से लद्दाख से अलग होगा।
- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे।
- जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश के साथ विधानसभा भी होंगे, जैसे-दिल्ली।
- जम्मू-कश्मीर में अगल संविधान नहीं रहेगा।
- जम्मू और कश्मीर की विधानसभा का कार्यालय 6 वर्ष की बजाय 5 वर्ष ।
- दोहरे प्रतिकों में नागरिकता, झण्डा और संविधान की समाप्ति हो जाएगी।
- जम्मू-कश्मीर में भारत का कोई भी नागरिक संपत्ति अर्जित का सकेगा।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश एवं संसद के कानून मान्य होंगे।
- अल्पसंख्यकों को आरक्षण की सुविधा प्राप्त होगी।
यह भी पढ़ें:
- भारतीय संविधान की अनुसूचियां और उनसे सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य 🔗
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