प्रथम विश्‍व युद्ध होने के कारण, परिणाम और सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्‍य: 

प्रथम विश्‍व युद्ध की सामान्य जानकारी:

विश्व के इतिहास में प्रथम विश्‍व युद्ध (28 जुलाई 1914 ई. से 11 नवंबर 1918 ई.) के मध्य संसार के तीन महाद्वीप यूरोप, एशिया और अफ्रीका के बीच जल, थल और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र और इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध (World War) का नाम दिया गया।

प्रथम विश्वयुद्ध 4 वर्ष (लगभग 52 महीने) तक चला था। लगभग आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान अनुमानतः एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मारे गए। विश्व युद्ध खत्म होते-होते चार बड़े देश रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और उस्मानिया (Ottoman Empire) ढह गए। यूरोप महाद्वीप की सीमाएं फिर से निर्धारित हुईं और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'सुपर पावर' बन कर उभरा।

प्रथम विश्व युद्ध क्यों हुआ था।

प्रथम विश्व युद्ध, जिसे महान युद्ध और प्रथम विश्व युद्ध के रूप में भी जाना जाता है, एक घातक वैश्विक संघर्ष (global conflict) था जिसकी उत्पत्ति यूरोप में हुई थी। यह 1914 से शुरू हुआ और 1918 तक चला, प्रथम विश्व युद्ध में लगभग नौ मिलियन लड़ाकू मौतें और 13 मिलियन नागरिक मौतें संघर्ष के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में हुईं। 19 वीं शताब्दी के अंत में, यूरोपीय राष्ट्रों के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता (competition) सभी बहुत स्पष्ट हो गई।

जर्मनी, 1871 में अपने एकीकरण पर, एक औद्योगिक शक्ति बन रहा था और यूरोप के अन्य राष्ट्रों, विशेष रूप से फ्रांस और ब्रिटेन, को इससे खतरा महसूस हुआ। इस समय के आसपास ओटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) ने बाल्कन क्षेत्र में नए देशों को जन्म दिया। उनमें से एक, सर्बिया, ऑस्ट्रिया और हंगरी के साम्राज्य की कीमत पर भूमि और शक्ति प्राप्त कर रहा था। इस खतरे का मुकाबला करने के लिए, भविष्य के किसी भी व्यक्ति के साथ, ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य(Austria-Hungary Empire) ने एक दूसरे का बचाव करने के लिए जर्मनी और इटली के साथ गठबंधन किया। जवाब में, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ने इसी उद्देश्य के लिए ट्रिपल एंटेंट (The Triple Entente) का गठन किया। 1900 के दौरान ब्रिटेन और जर्मनी दोनों ने अपने नौसैनिक शस्त्रागार में बड़े और बेहतर युद्धपोतों को जोड़ा। यूरोप के बाकी हिस्सों ने भी शूट किया।

1914 तक, अधिकांश यूरोपीय देशों ने अपनी सेनाओं को युद्ध के लिए तैयार कर लिया था। इसे प्रज्वलित करने के लिए सभी की आवश्यकता एक चिंगारी थी। यह चिंगारी तब सामने आई जब 28 जून, 1914 को बोस्निया (Bosnia) के सार्जेवो (Sarajevo) में आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड (Archduke Franz Ferdinand) की हत्या कर दी गई।

प्रथम विश्‍व युद्ध के कारण:

युरोपीय शक्ति का संतुलन का बिगड़ना:

  • 1871 में जर्मनी के एकीकरण के पूर्व युरोपीय राजनीती में जर्मनी की महत्वपूर्ण भूमिका नहीं थी, परन्तु बिस्मार्क (Otto von Bismarck) के नेतृत्व में एक शक्तिशाली जर्मन राष्ट्र का उदय हुआ। इससे युरोपीय शक्ति – संतुलन गड़बड़ा गया। इंग्लैंड और फ्रांस के लिए जर्मनी एक चुनौती बन गया। इससे युरोपीय राष्ट्रों में प्रतिस्पर्धा की भावना बढ़ी।

गुप्त संधियो का प्रचलन:

  • जर्मनी के एकीकरण के पश्चात वहां के चांसलर बिस्मार्क (Otto von Bismarck) ने अपने देश को युरोपीय राजनीती में प्रभावशाली बनाने के लिए तथा फ्रांस को यूरोप की राजनीती में मित्रविहीन (friendless) बनाए रखने के लिए गुप्त संधियों की नीतियाँ अपनायीं। उसने ऑस्ट्रिया-हंगरी (1879) के साथ द्वैत संधि (Dual Alliance) की. रूस (1881 और 1887) के साथ भी मैत्री संधि की गयी। इंग्लैंड के साथ भी बिस्मार्क (Otto von Bismarck) ने मैत्रीवत सम्बन्ध बनाये। 1882 में उसने इटली और ऑस्ट्रिया के साथ मैत्री संधि की। फलस्वरूप , यूरोप में एक नए गुट का निर्माण हुआ जिसे त्रिगुट संधि (Triple Alliance) कहा जाता है। इसमें जर्मनी , ऑस्ट्रिया-हंगरी एवं इटली सम्मिलित थे. इंगलैंड और फ्रांस इस गुट से अलग रहे।

जर्मनी और फ्रांस का संघर्ष:

  • जर्मनी एवं फ्रांस के मध्य पुरानी दुश्मनी थी। जर्मनी के एकीकरण के दौरान बिस्मार्क ने फ्रांस के धनी प्रदेश अल्सेस- लौरेन (Alsace-Lorraine) पर अधिकार कर लिया था। मोरक्को में भी फ़्रांसिसी हितो को क्षति पहुचाई गयी थी। इसलिए फ्रांस का जनमत जर्मनी के विरुद्ध था। फ्रांस सदैव जर्मनी को नीचा दिखलाने के प्रयास में लगा रहता था। दूसरी ओर जर्मनी भी फ्रांस को शक्तिहीन बनाये रखना चाहता था। इसलिए जर्मनी ने फ्रांस को मित्रविहीन बनाये रखने के लिए त्रिगुट समझौते किया| बदले में फ्रांस ने भी जर्मनी के विरुद्ध अपने सहयोगी राष्ट्रों का गुट बना लिया। प्रथम विश्वयुद्ध के समय तक जर्मनी और फ्रांस की शत्रुता इतनी बढ़ गयी की इसने युद्ध को अवश्यम्भावी बना दिया।

साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा:

  • साम्राज्यवादी (Imperialism) साम्राज्य विस्तार के लिए आपसी प्रतिद्वंदिता एवं हितों की टकराहट ) देशों का प्रथम विश्वयुद्ध का मूल कारण माना जा सकता है।
  • औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप कल-कारखानों को चलाने के लिए कच्चा माल एवं कारखानों में उत्पादित वस्तुओं की खपत के लिए बाजार की आवश्यकता पड़ी। फलस्वरुप साम्राज्यवादी शक्तियों का उपयोग करके इंग्लैंड फ्रांस और रूस ने एशिया और अफ्रीका में अपने-अपने उपनिवेश बनाकर उन पर अधिकार कर लिए थे।
  • जर्मनी और इटली जब बाद में उपनिवेशवादी (Colonialism) दौड़ में सम्मिलित हुए तो उन के विस्तार के लिए बहुत कम संभावना थी। अतः इन देशों ने उपनिवेशवादी विस्तार की एक नई नीति अपनाई. यह नीति थी दूसरे राष्ट्रों के उपनिवेशों पर बलपूर्वक अधिकार कर अपनी स्थिति सुदृढ़ करने की।
  • प्रथम विश्वयुद्ध आरंभ होने से पहले तक जर्मनी की आर्थिक एवं औद्योगिक स्थिति अत्यंत सुदृढ़ हो चुकी थी। अतः जर्मनी सम्राट धरती पर और सूर्य के नीचे जर्मनी को समुचित स्थान दिलाने के लिए बेसुध हो उठा। उसकी थल सेना तो शुरू से ही मजबूत थी ही अब वह एक मजबूत जहाजी बेड़ा का निर्माण कर अपने साम्राज्य का विकास तथा इंग्लैंड के समुद्र पर स्वामित्व को चुनौती देने के प्रयास में लग गया।
  • 1911 में आंग्ल जर्मनी नाविक प्रतिस्पर्धा के परिणाम स्वरुप अगादिर का संकट उत्पन्न हो गया. इसे सुलझाने का प्रयास किया गया परंतु यह विफल हो गया। 1912 में जर्मनी में एक विशाल जहाज इमपरेटर बनाया गया जो उस समय का सबसे बड़ा जहाज था। फलतः जर्मनी और इंग्लैंड में वैमनस्य एवं प्रतिस्पर्धा बढ़ गई।
  • इसी प्रकार मोरक्को तथा बोस्निया संकट ने इंग्लैंड और जर्मनी की प्रतिस्पर्धा को और बढ़ावा दिया।
  • अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने के लिए जब पतनशील तुर्की साम्राज्य की अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण स्थापित करने के उद्देश्य से जर्मनी ने वर्लीन बगदाद रेल मार्ग योजना बनाई तो इंग्लैंड फ्रांस और रूस ने इसका विरोध किया. इससे कटुता बढ़ी।

सेन्यवाद और शस्त्रीकरण पर जोर:

  • साम्राज्यवाद के समान सैन्यवाद (Militarism) ने भी प्रथम विश्वयुद्ध को निकट ला दिया। प्रत्येक राष्ट्र अपनी सुरक्षा एवं विस्तारवादी (expansionism) नीति को कार्यान्वित करने के लिए अस्त्र शस्त्रों के निर्माण एवं उनकी खरीद बिक्री में लग गया। अपने अपने उपनिवेशों की सुरक्षा के लिए भी सैनिक दृष्टिकोण से मजबूत होना आवश्यक हो गया। फलतः युद्ध के नए अस्त्र-शस्त्र बनाए गए। राष्ट्रीय आय का बहुत बड़ा भाग अस्त्र शस्त्रों के निर्माण एवं सैनिक संगठन पर खर्च किया जाने लगा। उदाहरण के लिए फ्रांस, जर्मनी और अन्य प्रमुख राष्ट्र अपनी आय का 85% सैन्य व्यवस्था पर खर्च कर रहे थे। अनेक देशों में अनिवार्य सैनिक सेवा लागू की गई। सैनिकों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि की गई। सैनिक अधिकारियों का देश की राजनीति में वर्चस्व हो गया। इस प्रकार पूरा यूरोप बारूद के ढेर पर बैठ गया। बस विस्फोट होने की देरी थी यह विस्फोट 1914 में हुआ।

उग्र राष्ट्रवाद:

  • उग्र अथवा विकृत राष्ट्रवाद भी प्रथम विश्वयुद्ध का एक मौलिक कारण बना।
  • यूरोप के सभी राष्ट्रों में इसका समान रूप से विकास हुआ. यह भावना तेजी से बढ़ती गई की समान जाति, धर्म, भाषा, और ऐतिहासिक परंपरा के व्यक्ति एक साथ मिल कर रहे और कार्य करें तो उनकी अलग पहचान बनेगी और उनकी प्रगति होगी।
  • पहले भी इस आधार पर जर्मनी और इटली का एकीकरण हो चुका था. बाल्कन (Balkans) क्षेत्र में यह भावना अधिक बलवती थी। बाल्कन (Balkans) प्रदेश तुर्की साम्राज्य के अंतर्गत था। तुर्की साम्राज्य के कमजोर पड़ने पर इस क्षेत्र में स्वतंत्रता की मांग जोर पकड़ने लगी। तुर्की साम्राज्य तथा ऑस्ट्रिया-हंगरी के अनेक क्षेत्रों में स्लाव प्रजाति के लोगों का बाहुल्य था। वह अलग स्लाव राष्ट्र (Slavic Nations) की मांग कर रहे थे।
  • रूस का यह मानना था कि ऑस्ट्रिया-हंगरी एवं तुर्की से स्वतंत्र होने के बाद स्लाव रूस के प्रभाव में आ जाएंगे. इसलिए रूस ने अखिल स्लाव अथवा सर्वस्लाववाद आंदोलन को बढ़ावा दिया. इससे रूस और ऑस्ट्रिया-हंगरी के संबंध दरार आ गई।
  • इसी प्रकार सर्वजर्मन आंदोलन (Pan-Germanism) भी चला. सर्व, चेक तथा पोल प्रजाति के लोग भी स्वतंत्रता की मांग कर रहे थे. इससे यूरोपीय राष्ट्रों में कटुता की भावना बढ़ती गई।

सामाचार पत्र एव प्रचार सधनो द्वारा विसेली प्रचार:

  • प्रत्येक देश के राजनीतिज्ञ दार्शनिक और लेखक अपने लेखों में युद्ध की वकालत कर रहे थे। पूंजीपति वर्ग भी अपने स्वार्थ में युद्ध का समर्थक बन गया युद्धोन्मुखी जनमत तैयार करने में सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका समाचार पत्रों की थी।
  • प्रत्येक देश का समाचार पत्र दूसरे राष्ट्र के विरोध में झूठा और भड़काऊ लेख प्रकाशित करता था. इससे विभिन्न राष्ट्रों एवं वहां की जनता में कटुता उत्पन्न हुई. समाचार पत्रों के झूठे प्रचार ने यूरोप का वातावरण विषाक्त कर युद्ध को अवश्यंभावी बना दिया।

तत्कालीन कारण:

  • प्रथम विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण बना ऑस्ट्रिया की युवराज आर्क ड्यूक फ्रांसिस फर्डिनेंड (Archduke Franz Ferdinand) की बोस्निया (Bosnia) की राजधानी सेराजेवो में हत्या। 28 जून 1914 को एक आतंकवादी संगठन काला हाथ से संबंध सर्व प्रजाति के एक बोस्नियाई युवक ने राजकुमार और उनकी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी। इससे सारा यूरोप स्तब्ध हो गया। ऑस्ट्रिया ने इस घटना के लिए सर्विया को उत्तरदाई माना।
  • ऑस्ट्रिया ने सर्बिया को धमकी दी कि वह 48 घंटे के अंदर इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करें तथा आतंकवादियों का दमन करे। सर्बिया ने ऑस्ट्रिया की मांगों को ठुकरा दिया। परिणामस्वरूप 28 जुलाई 1914 को ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इसके साथ ही अन्य राष्ट्र भी अपने अपने गुटों के समर्थन में युद्ध में सम्मिलित हो गए. इस प्रकार प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हुआ।

पेरिस शांति सम्मेलन:

प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद पेरिस में विजयी देशों का जो सम्मेलन हुआ उसे पेरिस शांति सम्मेलन कहते हैं। इसमें पराजित देशों पर लागू की जाने वाली 'शांति की शर्तों' का निर्माण हुआ। यह सम्मेलन 1919 में पेरिस में हुआ था जिसमें विश्व के 32 देशों के राजनयिकों ने भाग लिया। इसमें लिये गये मुख्य निर्णय थे- लीग ऑफ नेशन्स का निर्माण तथा पराजित देशों के साथ पाँच शान्ति-संधियाँ।

वर्साय की सन्धि: यह संधि मित्र राष्ट्रों एवं जर्मनी के बीच में हुई थी। जिनमें फ्रान्स, अमेरिका, रूस आदि देश सम्मिलित थे। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पराजित जर्मनी ने 28 जून 1919 के दिन वर्साय की सन्धि पर हस्ताक्षर किये। इसकी वजह से जर्मनी को अपनी भूमि के एक बड़े हिस्से से हाथ धोना पड़ा, दूसरे राज्यों पर कब्जा करने की पाबन्दी लगा दी गयी, उनकी सेना का आकार सीमित कर दिया गया और भारी क्षतिपूर्ति थोप दी गयी। वर्साय की सन्धि को जर्मनी पर जबरदस्ती थोपा गया था। इस कारण एडोल्फ हिटलर और अन्य जर्मन लोग इसे अपमानजनक मानते थे और इस तरह से यह सन्धि द्वितीय विश्वयुद्ध के कारणों में से एक थी।

सेंट-जर्मैन-एन-लाए की संधि: सेंट-जर्मैन-एन-लाए की संधि 10 सितम्बर 1919 को हुई थी इसके साथ मांटिनिग्रो को मिलाकर युगों स्लोवाकिया का निर्माण किया गया. पोलैंड का पुनर्गठन हुआ. ऑस्ट्रिया का कुछ क्षेत्र इटली को भी दिया गया। जिसमें बोस्निया एवं हर्जेगोविना प्रदेश छीनकर सर्बिया को दिये गए। कुछ क्षेत्रों को अलग कर चेकोस्लोवाकिया राज्य की स्थापना की गई। आस्ट्रिया पर जर्मनी के साथ किसी भी प्रकार के राजनैतिक सम्बन्धों पर रोक लगाई गई।

निऊली की संधि: 27 नवम्बर 1919 को बुल्गारिया के कुछ क्षेत्र यूनान, युगोस्लाविया और रोमानिया को दे दिया।

ट्रियानान की संधि: 4 जून 1920 में स्लोवाकिया तथा रुथेनिया, चेकोस्लोवाकिया को दिया गया। युगोस्लाविया तथा रोमानिया को भी अनेक क्षेत्र दिए गए। इन संधियों के परिणामस्वरुप ऑस्ट्रिया हंगरी की राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति अत्यंत दुर्बल हो गई।

सेव्रेस की संधि: प्रथम महायुद्ध में तुर्की जर्मनी की और से लड़ा था और पराजित होने के बाद उसे मित्र राष्ट्रों से संधि करनी पड़ी जिसे सेव्रेस की संधि कहा जाता है यह संधि 10 अगस्त 1920 को हुई थीमिस्त्र, सूडान, फिलिस्तीन, मोरक्को, अरब, सीरिया, इरान आदि क्षेत्र तुर्की से अलग किए गए। सीरिया पर फ्रांस एवं फिलिस्तीन एवं इरान जैसे क्षेत्र पर ब्रिटेन का नियंत्रण हुआ।

रपालो की संधि: रपालो की संधि 16 अप्रैल 1922 को जर्मनी और रूसी सोवियत संघीय समाजवादी गणराज्य के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अंतरगत प्रथम विश्व युद्ध के शत्रु रूस और जर्मनी इटली के शहर रपालो में तय किया था कि वे उन क्षेत्रीय और वित्तीय दावों को छोड़ देंगे जो 1918 में ब्रेस्ट-लिटोव्सक के शांति समझौते (Peace Treaty of Brest-Litovsk) के अंतरगत उन्हें प्राप्त हुए थे।

लुसाने की संधि: लुसाने की संधि (The Treaty of Lausanne) स्विट्जरलैण्ड के लुसाने नगर में 26 जुलाई 1923 को किया गया एक शान्ति समझौता था। इसके परिणामस्वरूप तुर्की, ब्रिटिश साम्राज्य, फ्रेंच गणराज्य, इटली राजतंत्र, जापान साम्राज्य, ग्रीस राजतंत्र, रोमानिया राजतंत्र तथा सर्व-क्रोट-स्लोवीन राज्य के बीच प्रथम विश्वयुद्ध के आरम्भ के समय से चला आ रहा युद्ध औपचारिक रूप से समाप्त हो गया। यह सेव्रेस की संधि के टूट जाने के बाद शान्ति की दिशा में किया गया दूसरा प्रयास था।

प्रथम विश्‍व युद्ध से जुड़े महवपूर्ण तथ्‍य इस प्रकार हैं:

  • प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत 28 जुलाई 1914 ई. में हुई।
  • प्रथम विश्वयुद्ध 4 वर्ष तक चला।
  • प्रथम विश्‍वयुद्ध में 32 देशों ने भाग लिया था।
  • प्रथम विश्वयुद्ध का तात्का‍लिक कारण ऑस्ट्रिया के राजकुमार फर्डिंनेंड की हत्या थी।
  • ऑस्ट्रिया के राजकुमार की हत्या बोस्निया की राजधानी सेराजेवो में हुई.
  • प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान दुनिया मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र दो खेमों में बंट गई.
  • धुरी राष्ट्रों का नेतृत्व जर्मनी के अलावे ऑस्ट्रिया, हंगरी और इटली जैसे देशों ने भी किया।
  • मित्र राष्ट्रों में इंगलैंड, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस तथा फ्रांस थे।
  • गुप्त संधियों की प्रणाली का जनक बिस्मार्क था।
  • ऑस्ट्रिया, जर्मनी और इटली के बीच त्रिगुट का निर्माण 1882 ई. में हुआ।
  • सर्बिया की गुप्त क्रांतिकारी संस्था काला हाथ थी।
  • रूस-जापान युद्ध का अंत अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्टा से हुआ।
  • मोरक्को संकट 1906 ई. में सामने आया।
  • प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी ने रूस पर 1 अगस्त 1914 ई. में आक्रमण किया।
  • जर्मनी ने फ्रांस पर हमला 3 अगस्त 1914 ई. में किया।
  • इंग्‍लैंड प्रथम विश्व युद्ध में 8 अगस्त 1914 ई. को शामिल हुआ।
  • प्रथम विश्वथयुद्ध के समय अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन थे।
  • जर्मनी के यू बोट द्वारा इंगलैंड लूसीतानिया नामक जहाज को डुबोने के बाद अमेरिका प्रथम विश्ववयुद्ध में शामिल हुआ। क्योंकि लूसीतानिया जहाज पर मरने वाले 1153 लोगों में 128 व्यक्ति अमेरिकी थे।
  • इटली मित्र राष्ट्र की तरफ से प्रथम विश्वयुद्ध में 26 अप्रैल 1915 ई. में शामिल हुआ।
  • प्रथम विश्वयुद्ध 11 नवंबर 1918 ई. में खत्म हुआ।
  • पेरिस शांति सम्मेलन 18 जून 1919 ई. में हुआ।
  • पेरिस शांति सम्मेलन में 27 देशों ने भाग लिया।
  • यह युद्ध जमीन के अतिरिक्त आकाश और समुद्र में भी लड़ा गया।
  • वरसाय की संधि जर्मनी और मित्र राष्ट्रों के बीच (28 जून 1919 ई.) हुई.
  • युद्ध के हर्जाने के रूप में जर्मनी से 6 अरब 50 करोड़ की राशि की मांग की गई थी।
  • अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में प्रथम विश्वयुद्ध का सबसे बड़ा योगदान राष्ट्रसंघ की स्थापना था।
  • "विश्व युद्ध" शब्द का उपयोग पहली बार सितंबर 1914 में जर्मन जीवविज्ञानी और दार्शनिक अर्नस्ट हैकेल द्वारा किया गया था, जिन्होंने दावा किया था कि "इसमें कोई संदेह नहीं है कि भयभीत 'यूरोपीय युद्ध' का पाठ्यक्रम और चरित्र ... प्रथम विश्व युद्ध बन जाएगा।

प्रथम विश्व युद्ध से पहले और उसके दौरान की घटनाएँ

वर्ष/माह प्रतिस्पर्धा
1878 सर्बिया ने ओटोमन साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त की
1881 जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली युद्ध की स्थिति में एक दूसरे का बचाव करने के लिए ट्रिपल एलायंस बनाते हैं
1904 ब्रिटेन फ्रांस के साथ एंटेंटे कॉर्डिएल बनाता है
1907 ट्रिपल एंटेंट के निर्माण के लिए रूस ब्रिटेन के साथ जुड़ता है
1908 सर्बिया को नियंत्रण में लेने से रोकने के लिए ऑस्ट्रिया-हंगरी ने बोस्निया-हर्जेगोविना पर कब्जा कर लिया
1912-1913 बाल्कन युद्धों को बाल्कन लीग (सर्बिया, बुल्गारिया, ग्रीस और मोंटेनेग्रो) के बीच लड़ा जाता है। बाल्कन लीग विजयी है
1914 - 28 जून गवरिलो प्रिंसिपल ने साराजेवो में आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या कर दी
1914 - 28 जुलाई ऑस्ट्रिया ने सर्बिया पर युद्ध की घोषणा की। रूस ने ऑस्ट्रिया से सर्बिया का बचाव करने की तैयारी की
1914 - 1 अगस्त जर्मनी ने ऑस्ट्रिया की रक्षा के लिए रूस पर युद्ध की घोषणा की
1914 - 3 अगस्त जर्मनी ने फ्रांस, रूस के सहयोगी युद्ध की घोषणा की
1914 - 4 अगस्त जर्मन सेनाएं बेल्जियम से फ्रांस तक मार्च करती हैं। ब्रिटेन ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा की प्रथम विश्व युद्ध शुरू होता है
1914 - 26 अगस्त जर्मनी ने टेनबर्ग की लड़ाई में रूसी सेनाओं को हराया
1914 - सितंबर मार्ने की लड़ाई में मित्र राष्ट्रों ने पेरिस पर जर्मन अग्रिम रोक दिया। उसी महीने में जर्मन जीत पूर्वी प्रशिया में रूसी भागीदारी को समाप्त करती है।

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प्रथम विश्व युद्ध से संबंधित प्रश्न उत्तर 🔗

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प्रथम विश्‍व युद्ध प्रश्नोत्तर (FAQs):

प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण 28 जून, 1914 को एक बोस्नियाई छात्र गैब्रिएली प्रिंसिप द्वारा ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फ्रांसिस फर्डिनेंड और उनकी पत्नी सोफिया की हत्या है। 28 जुलाई, 1914 को ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी थी।

प्रथम विश्व युद्ध में, जापान ने यूनाइटेड किंगडम के साथ मिलकर जर्मनी के विरुद्ध लड़ाई लड़ी।

प्रथम विश्व युद्ध यूरोप में एक वैश्विक युद्ध था जो 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक चला। इसे महान युद्ध या "सभी युद्धों को समाप्त करने वाला युद्ध" के रूप में जाना जाता था।

प्रथम विश्व युद्ध यूरोप में एक वैश्विक युद्ध था जो 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक चला। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने धुरी शक्तियों का नेतृत्व किया।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वुडरो विल्सन संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति थे। विल्सन ने 1913 से 1921 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया और युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका का नेतृत्व कर रहे थे।

  Last update :  Fri 17 Mar 2023
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