द्वितीय विश्‍व युद्ध का इतिहास,कारण,परिणाम और महत्वपूर्ण तथ्‍य: 

दूसरे विश्व युद्ध का इतिहास:

द्वितीय विश्व युद्ध 1 सितंबर 1939 से लेकर 2 सितंबर 1945 तक चला था। द्वितीय विश्व युद्ध में लगभग 70 देशों ने भाग लिया था। इस युद्ध में सेनाएँ दो हिस्सों में विभाजित थीं। एक तरफ मित्र राष्ट्र सेना और दूसरी और धुरी राष्ट्र सेना थी। इस महायुद्ध में विश्व के लगभग 10,000,0000 (दस करोड़) सैनिकों ने हिस्सा लिया था। इस भयावह युद्ध में लगभग 5 से 7 करोड़ लोगों को जानें गईं थी।

दूसरा विश्व युद्ध यूरोप, पेसिफिक, अटलांटिक, साउथ ईस्ट एशिया , चाइना, मिडल ईस्ट, और मेडिटेरियन नोर्थन अफ्रीका में लड़ा गया था। द्वितीय विश्व युद्ध की सेनाओं के जनरल और कमांडर्स:.

  • मित्र राष्ट्र सेना (National Army): जोसफ स्टेलिन, फ्रेंकलिन डि॰ रूज़ल्वेल्ट, विंस्टन चर्चिल, चियांग काई शेक, चार्ल्स डि गौले।
  • धुरी राष्ट्र सेना (Axis Nations Army): एडोल्फ हिटलर, हिरोहिटों, बेनिटो मुसोलिन।

द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत के कारण:

दूसरा या द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत 01 सितम्बर 1939 में जानी जाती है, जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने 1939 में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। लेकिन जैसे-जैसे यह युद्ध यूरोप से बाहर अफ्रीका, एशिया में फैला खासकर जापान और अमेरिका के इसमें शामिल होने से इसने विश्व युद्ध का आकार ले लिया।

आइये जानते द्वितीय विश्व युद्ध जुड़े अन्य महत्वपूर्ण कारणों के बारे  में:- वर्साय की संधि: द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत वर्साय की संधि (Treaty of Versailles) मे ही गई थी। मित्र राष्ट्रों ने जिस प्रकार का अपमानजनक व्यवहार जर्मनी के साथ किया उसे जर्मन जनमानस कभी भी भूल नहीं सका। जर्मनी को इस संधि पर हस्ताक्षर करने को मजबूर कर दिया गया। संधि की शर्तों के अनुसार जर्मन साम्राज्य (German Empire) का एक बड़ा भाग मित्र राष्ट्रों ने उस से छीन कर आपस में बांट लिया. उसे सैनिक और आर्थिक दृष्टि से अपंग बना दिया गया।

जिसके कारण जर्मन लोग वर्साय की संधि (Treaty of Versailles) को एक राष्ट्रीय कलंक मानते थे। मित्र राष्ट्रों के प्रति उनमें प्रबल प्रतिशोध की भावना जगने लगी। हिटलर ने इस मनोभावना को और अधिक उभारकर सत्ता अपने हाथों में ले ली। सत्ता में आते ही उसने वर्साय की संधि (Treaty of Versailles) की धज्जियां उड़ा दी और घोर आक्रामक नीति अपना कर दूसरा विश्व युद्ध आरंभ कर दिया।

तानाशाही शक्तियों का उदय होना: प्रथम विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में तानाशाही शक्तियों का उदय हुआ। इटली में मुसोलिनी (Benito Mussolini) और जर्मनी में हिटलर (Adolf Hitler) तानाशाह बन गए। प्रथम विश्वयुद्ध में इटली मित्र राष्ट्रों की ओर से लड़ा था परंतु पेरिस शांति सम्मेलन (Paris Peace Conference) में हिस्सा ले रहा था जिसमें उसे कोई खास लाभ नहीं हुआ। इससे इटली में असंतोष की भावना जगी इसका लाभ उठा कर मुसोलिनी (Benito Mussolini) ने फासीवाद की स्थापना कर सारी शक्तियां अपने हाथों में केंद्रित कर ली।

वह इटली का अधिनायक बन गया. यही स्थिति जर्मनी में भी थी। हिटलर (Adolf Hitler) ने नाजीवाद (Nazism) की स्थापना कर जर्मनी का तानाशाह गया। मुसोलिनी और हिटलर दोनों ने आक्रामक नीति अपनाई दोनों ने राष्ट्र संघ की सदस्यता त्याग कर अपनी शक्ति बढ़ाने लग गए. उनकी नीतियों ने द्वितीय विश्वयुद्ध को अवश्यंभावी बना दिया।

साम्राज्यवादी प्रवृत्ति: द्वितीय विश्वयुद्ध का एक सबसे बड़ा और प्रमुख कारण बना साम्राज्यवाद (Imperialism)। प्रत्येक साम्राज्यवादी शक्ति अपने साम्राज्य का विस्तार कर अपनी शक्ति और धन में वृद्धि करना चाहता था. इससे साम्राज्यवादी राष्ट्र में प्रतिस्पर्धा आरंभ हुई. 1930 के दशक में इस मनोवृति में वृद्धि हुई. आक्रामक कार्यवाहियां बढ़ गई। सन 1931 में जापान ने चीन पर आक्रमण कर मंचूरिया (Manchuria) पर अधिकार कर लिया. इसी प्रकार 1935 में इटली ने इथोपिया (Ethiopia) पर कब्जा जमा लिया। सन 1935 में जर्मनी ने राइनलैंड पर तथा सन 1938 में ऑस्ट्रिया (Austria) पर विजय प्राप्त कर उसे जर्मन साम्राज्य में मिला लिया।

स्पेन में गृहयुद्ध के दौरान हिटलर और मुसोलिनी ने जनरल फ्रैंको को सैनिक सहायता पहुंचाई। फ्रैंको (Francisco Franco) ने स्पेन में सत्ता हथिया ली। यूरोपीय संयोजन: जर्मनी की बढती शक्ति से आशंकित होकर यूरोपीय राष्ट्र अपनी सुरक्षा के लिए गुटों का निर्माण करने लगे। इसकी पहल फ्रांस ने की। उसने जर्मनी के इर्द-गिर्द के राष्ट्रों का एक जर्मन विरोधी गुट बनाया। इसके प्रत्युत्तर में जर्मनी और इटली ने एक अलग गुट बनाया। जापान भी इस में सम्मिलित हो गया।

इस प्रकार जर्मनी इटली और जापान का त्रिगुट बना। यह राष्ट्र धुरी राष्ट्र के नाम से विख्यात हुए। फ्रांस, इंग्लैंड अमेरिका और सोवियत संघ का अलग ग्रुप बना जो मित्र राष्ट्र के नाम से जाना गया यूरोपीय राष्ट्रों की गुटबंदी ने एक दूसरे के विरुद्ध आशंका घृणा और विद्वेष की भावना जगा दी।

दूसरे विश्व युद्ध में भारत की स्थिति: दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान भी भारत अंग्रेजों का गुलाम था। इसलिए भारत ने भी नाज़ी जर्मनी के खिलाफ 1939 में युद्ध घोषणा कर दी थी। दूसरे विश्व युद्ध में भारती की और से 20 लाख से भी अधिक सैनिक भेजे गए थे। हमारे देश के सैनिक अंग्रेजों और उनके मित्र राष्ट्र सेना की तरफ से लड़े थे। इस विनाशक युद्ध में भारत के सिपाही दुनियाँ के कोने कोने में लड़ाई के लिए भेजे गए थे। पहले विश्व युद्ध की ही तरह दूसरे विश्व युद्ध में भी हमारी देसी रियासतों ने अंग्रेज़ सेना को बड़ी मात्रा में धन सहायता की थी।

1939 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बिटिश भारतीय सेना (British Indian Army) में मात्र 200,000 लोग शामिल थे। युद्ध के अंत तक यह इतिहास की सबसे बड़ी स्वयंसेवी सेना (Volunteer military) बन गई जिसमें कार्यरत लोगों की संख्या बढ़कर अगस्त 1945 तक 25 लाख से अधिक हो गई।

पैदल सेना (इन्फैन्ट्री), बख्तरबंद और अनुभवहीन हवाई बल के डिवीजनों के रूप में अपनी सेवा प्रदान करते हुए उन्होंने अफ्रीका, यूरोप और एशिया के महाद्वीपों में युद्ध किया।

द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम क्या थे?

  • अंतरराष्ट्रीय शांति बनाए रखने के प्रयास के लिए मित्र राष्ट्रों ने संयुक्त राष्ट्र का गठन किया। यह 24 अक्टूबर 1945 को अधिकारिक तौर पर अस्तित्व में आया।
  • यूरोप में, महाद्वीप अनिवार्य रूप से पश्चिमी और सोवियत क्षेत्रों के बीच तथाकथित लौह परदे, जो की अधीनस्थ ऑस्ट्रिया और मित्र राष्ट्रों के अधीनस्थ जर्मनी से होकर गुजरता था और उन्हें विभाजित करता था, के द्वारा विभाजित था।
  • एशिया में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान पर कब्जा किया और उसके पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के पूर्व द्वीपों को व्यवस्थित किया।
  • सोवियत संघ ने सखालिन और कुरील द्वीपों पर अधिकार कर लिया।
  • जापानी शासित कोरिया को विभाजित कर दिया गया और दोनों शक्तियों के बीच अधिकृत कर दिया गया।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच तनाव जल्दी ही अमेरिका-नेतृत्व नाटो और सोवियत नेतृत्व वाली वारसॉ संधि (Warsaw Pact)  सैन्य गठबंधन के गठन में विकसित हुआ और उनके बीच में शीत युद्ध (Cold War) का प्रारम्भ हुआ।
  • चीन के जनवादी गणराज्य को मुख्य भूमि पर स्थापित किया जबकि राष्ट्रवादी ताकतों ने ताईवान में अपनी सत्ता स्थापित कर ली।
  • ग्रीस में,साम्यवादी (Communism) ताकतोंऔर एंग्लो अमेरिका समर्थित शाहीवादी ताकतों के बिच गृहयुद्ध (Royalist) छिड़ गया, जिसमे शाहीवादी ताकतों की विजय हुई।
  • कोरिया में दक्षिणी कोरिया, जिसको पश्चिमी शक्तियों का समर्थन था, तथा उत्तरी कोरिया, जिसको सोवियत संघ और चीन का समर्थन था, के बीच युद्द छिड़ गया।

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भारत की स्थिति:

द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भारत पर ब्रिटिश उपनिवेश था। इसलिए आधिकारिक रूप से भारत ने भी नाज़ी जर्मनी के विरुद्ध 1939 में युद्ध की घोषणा कर दी। ब्रिटिश राज ने 20 लाख से अधिक सैनिक युद्ध के लिए भेजा जिन्होने ब्रिटिश कमाण्ड के अधीन धुरी शक्तियों के विरुद्ध लड़ा। इसके अलावा सभी देसी रियासतों ने युद्ध के लिए बड़ी मात्रा में अंग्रेजों को धनराशि प्रदान की।

मुस्लिम लीग ने ब्रिटिश युद्ध के प्रयासों का साथ दिया, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पहले स्वतंत्र करने की मांग की, तब कांग्रेस ब्रिटेन की सहायता करेगी। ब्रिटेन ने कांग्रेस की मांग स्वीकार नहीं की, फिर भी कांग्रेस अघोषित रूप से ब्रिटेन के पक्ष में और जर्मनी आदि धूरी राष्ट्रों के विरुद्ध काम करती रही। बहुत बाद में अगस्त 1942 में कांग्रेस ने भारत छोड़ो आन्दोलन की घोषणा की, जो बिलकुल प्रभावी नहीं रहा। इस बीच, सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में, जापान ने भारतीय युद्धबन्दियों की एक सेना स्थापित की, जिसे आजाद हिन्द फौज नाम दिया गया था।

नेताजी के नेतृत्व में इस सेना ने अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी थी और भारत के कुछ भूभाग को अंग्रेजों से मुक्त भी कर दिया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ही 1943 में बंगाल में एक बड़े अकाल के कारण भुखमरी से लाखों लोगों की मौत हो गई।

द्वितीय विश्‍व युद्ध से जुड़े महत्‍वपूर्ण तथ्‍य इस प्रकार हैं:

  • द्वितीय विश्व युद्ध 6 सालों तक लड़ा गया।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत 1 सितंबर 1939 ई. में हुई।
  • इस युद्ध का अंत 2 सितंबर 1945 ई. में हुआ।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध में 61 देशों ने हिस्सा लिया।
  • युद्ध का तात्कालिक कारण जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण था।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन जनरल रोम्मेले (Erwin Rommel) का का नाम डेजर्ट फॉक्स (Desert Fox) रखा गया।
  • म्यूनिख पैक्ट (Munich Agreement) सितंबर 1938 ई. में संपन्न  हुआ।
  • जर्मनी ने वर्साय की संधि (Treaty of Versailles) का उल्लंघन किया था।
  • जर्मनी ने वर्साय की संधि (Treaty of Versailles) 1935 ई. में तोड़ी।
  • स्पेन में गृहयुद्ध 1936 ई. में शुरू हुआ।
  • संयुक्त रूप से इटली और जर्मनी का पहला शिकार स्पेरन बना।
  • सोवियत संघ पर जर्मनी के आक्रमण करने की योजना को बारबोसा (Barbosa) योजना कहा गया।
  • जर्मनी की ओर से द्वितीय विश्वयुद्ध में इटली ने 10 जून 1940 ई. को प्रवेश किया।
  • अमेरिका द्वितीय विश्वयुद्ध में 8 सितंबर 1941 ई. में शामिल हुआ।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध (2nd world war ke karan in hindi) के समय अमेरिका का राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी॰ रूज़वेल्ट (Franklin D. Roosevelt) था।
  • इस समय इंगलैंड का प्रधानमंत्री विन्सटन चर्चिल(Winston Churchill) था।
  • वर्साय संधि (Treaty of Versailles) को आरोपित संधि के नाम से जाना जाता है।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय का श्रेय रूस को जाता है।
  • अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम (Nuclear weapon) का इस्तेेमाल 6 अगस्तर 1945 ई. में किया।
  • जापान के हिरोशिमा और नागासाकी (Hiroshima and Nagasaki) शहरों पर परमाणु बम (Nuclear weapon) गिराया गया।
  • द्वितीय विश्व युद्ध में मित्रराष्ट्रों के द्वारा पराजित होने वाला अंतिम देश जापान था।
  • अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में द्वितीय विश्व युद्ध (2nd world war in hindi) का सबसे बड़ा योगदान संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्‍थापना है।

अब संबंधित प्रश्नों का अभ्यास करें और देखें कि आपने क्या सीखा?

द्वितीय विश्व युद्ध से संबंधित प्रश्न उत्तर 🔗

यह भी पढ़ें:

द्वितीय विश्‍व युद्ध प्रश्नोत्तर (FAQs):

1 सितंबर 1939 को द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ। जर्मन नेशनल सोशलिस्ट पार्टी के नेता एडॉल्फ हिटलर के नेतृत्व में नाजी जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण करके युद्ध शुरू किया।

द्वितीय विश्व युद्ध 2 सितंबर 1945 को समाप्त हुआ। उस दिन युद्ध में जर्मनी की प्रतियां खो गईं, और जर्मन सेना ने उसी दिन पूर्ण नूर्नबर्ग समझौते पर हस्ताक्षर किए।

द्वितीय विश्व युद्ध के युद्ध-अपराधियों का ट्रायल न्यूरेमबर्ग नामक शहर में किया गया था। न्यूरेमबर्ग जर्मनी के बटनबर्ग पहाड़ियों पर स्थित एक शहर है, जहां पर न्यायिक प्रक्रिया आयोजित की गई थी।

जनरल इरविन रोमेल एक प्रसिद्ध सैन्य सिद्धांतकार और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन जनरल थे, जिन्हें सबसे सक्षम टैंक कमांडर होने के कारण 'द डेजर्ट फॉक्स' उपनाम दिया गया था।

द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी, इटली, जापान धुरी राष्ट्र थे। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का रुख प्रचलन में आ गया क्योंकि इस युद्ध में शामिल सभी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक और वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में लगा दी थी।

  Last update :  Mon 10 Oct 2022
  Download :  PDF
  Post Views :  20236